मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चावल घोटाला मामले में गंभीरता से जांच के निर्देश दिए हैं. फाइल फोटो.
एफआईआर मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के भोपाल ईओडब्ल्यू (Bhopal EOW) मुख्यालय में दर्ज हुई है. जबलपुर विंग इस पूरे मामले की जांच कर रही है.
हाल ही में केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट ने मध्य प्रदेश की सियासत में खलबली मचा दी थी. इस रिपोर्ट में जानवरों को दिए जाने वाले चावल को इंसानों को बांटने का खुलासा हुआ था. सरकार ने इस रिपोर्ट के आधार पर एक्शन लिया और ईओडब्ल्यू को पूरे मामले की जांच सौंपी थी. ईओडब्ल्यू ने पहले प्राथमिक जांच दर्ज की और इसके बाद अब बालाघाट और मंडला जिले में अलग-अलग एफ आई आर दर्ज की है. इस एफ आई आर दर्ज की है. जिम्मेदारों को प्रारंभिक तौर पर आरोपी बनाया गया है. आरोपी की संख्या आगे बढ़ेगी. साथ ही इन दोनों जिलों के अलावा भी 10 जिलों में जांच की जा रही है. ईओडब्ल्यू के सूत्रों का कहना है कि प्रदेश भर में सरकारी प्रक्रिया के तहत गरीबों को चावल बांटा गया है. ऐसे में 10 जिलों के अलावा भी अन्य दूसरे जिलों को भी जांच में शामिल किया जाएगा. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी वैसे-वैसे इसका दायरा भी बढ़ता जाएगा एफ आई आर की संख्या भी बढ़ेगी और आरोपियों की भी.
इन्हें बनाया आरोपी
बालाघाट में 18 मिलर्स, मंडला में 4 मिलर्स और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के 9 अफसरों को आरोपी गया है. खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक आरके सोनी, तत्कालीन क्वालिटी निरीक्षक नागेश उपाध्याय मुकेश कनेरिया, सीडब्ल्यूसी के क्वालिटी निरीक्षक राकेश सेन एस एल द्विवेदी, बेहर के क्वालिटी निरीक्षक लोचन सिंह टेंभरे, सीडब्ल्यूसी गर्रा के शाखा प्रबंधक विपिन बिसेन, श्वेता वेयर हाउस नेवर गांव के शाखा प्रबंधक उदय राजपूत आदि को आरोपी बनाया है. ईओडब्ल्यू ने 10 जिलों रीवा सतना, सीधी, सिवनी, शहडोल, उमरिया, मंडला, अनूपपुर, कटनी और नरसिंहपुर में भी जांच शुरू की गई है.100 अधिकारियों-कर्मचारियों की टीम
अब जांच का दायरा मंडला और बालाघाट तक ही सिमटकर नहीं रह गया है. अब जांच मध्य प्रदेश के अधिकांश उन जिलों की जा रही है. जहां पर घटिया क्वालिटी का चावल गरीब लोगों को बांटा गया है. ऐसे में ईओडब्ल्यू भोपाल मुख्यालय ने यह फैसला लिया है कि जितनी भी ईओडब्ल्यू की बड़े में इकाइयां हैं. वहां के अधिकारी अपने स्तर पर जांच शुरू करेंगे. यही कारण है कि बालाघाट और मंडला के अलावा दूसरे जिलों में के लिए भी स्पेशल टीम बनाई गई है. कुल मिलाकर 100 अधिकारी कर्मचारियों की टीम इस पूरे मामले की जांच कर रही है. आने वाले दिनों में जांच के दौरान कई बड़े खुलासे हो सकते हैं. क्योंकि इस पूरे मामले में अब राजनीतिक कनेक्शन भी सामने आ रहा है.