MP में हॉक फोर्स के 1200 जवानों को नक्सल रिस्क अलाउंस वाुपस करना होगा
नक्सल विरोधी अभियान (anti naxal operation) में लगे हॉक फोर्स (Hawk force) के जवानों के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है. पहले उन्हें नक्सली रिस्क अलाउंस दिया गया और अब उसे वापस लिया जा रहा है.
शासन ने पिछले साल इन हॉक फोर्स जवानों का नक्सली रिस्क अलाउंस बंद कर दिया था. बावजूद इसके पुलिस मुख्यालय एक साल तक उन्हें अलाउंस देता रहा. अब पुलिस मुख्यालय को इसकी याद आयी और उसने पिछले एक साल के अलाउंस की वसूली का आदेश जवानों को दे दिया है. सवाल ये है कि जब शासन ने अलाउंस बंद कर दिया था तो पुलिस मुख्यालय को ये अलाउंस नहीं देना था. मुख्यालय स्तर पर लापरवाही बरती गई और अब इसका खामियाजा 1200 से ज्यादा जवानों को भुगतना पड़ रहा है.
ऐसे हुई गड़बड़ी…
नक्सल विरोधी अभियान के तत्कालीन एडीजी ने अक्टूबर 2017 में एक आदेश जारी किया था. इसके बाद हॉक फोर्स के जवानों को नक्सल जोखिम भत्ता छठवें की जगह सातवें वेतनमान के आधार पर दिया जाने लगा. जबकि सरकार ने इस संबंध में कोई आदेश नहीं दिया था. इस गड़बड़ी को सबसे पहले एडीजी पुलिस कल्याण एवं लेखा ने पकड़ा. उन्होंने पिछले साल सितंबर में यह जानकारी पुलिस मुख्यालय के आला अफसरों को दे दी थी. इसके बाद अक्टूबर में एडीजी नक्सल अभियान के आदेश को निरस्त कर दिया गया.जवानों को भुगतना पड़ रहा खामियाजा
नक्सल ऑपरेशन में तैनात जवानों को वेतन का 70 फीसदी नक्सल जोखिम भत्ता देने का नियम है. ये भत्ता 1200 से अधिक जवानों को जुलाई 2017 से जून 2018 तक दिया गया. यह भत्ता वेतन के साथ हर महीने नहीं मिलता बल्कि बाद में किश्तों के जरिए जवानों को दिया जाता है.पिछले साल अक्टूबर में सातवें वेतनमान के अनुसार भत्ता देने का आदेश निरस्त कर दिया गया था. उसकी वसूली का आदेश अब पुलिस मुख्यालय ने दिया है.
ऐसी होगी वसूलीनक्सल विरोधी अभियान में लगे हॉक फोर्स के इन जवानों से 6वें और 7वें वेतनमान के बीच के अंतर की वसूली होगी. हॉक फोर्स के जवानों को 6वें वेतनमान के अनुसार 70 फीसदी जोखिम भत्ता देने की व्यवस्था है. लेकिन अब इन जवानों से बढ़ा हुआ भत्ता वापस लिया जाएगा. जिन जवानों से वसूली की जाना है, हॉर्क फोर्स ने उनकी लिस्ट जारी कर दी है.