तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह दोनों दल बदल कर कांग्रेस से बीजेपी में गए हैं.
कोरोना (Corona) संकट के कारण उपचुनाव की तारीख का ऐलान नहीं हो पाया है. एमपी की 27 सीटों पर उपचुनाव (By Election) होना है.
मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद शिवराज सरकार ने 21 अप्रैल को मंत्रिमंडल का गठन किया था. इस मंत्रिमंडल में 5 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई थी. इसमें से दो मंत्री सिंधिया समर्थक तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत थे. दोनों ही मंत्री पहले अपनी विधायकी छोड़ चुके थे. लिहाजा इनका मंत्री बनने के 6 महीने के भीतर विधायक बनना जरूरी है. लेकिन अब तक उप चुनाव नहीं हुए हैं और दोनों विधानसभा के सदस्य नहीं चुने गए हैं. 21 अक्टूबर को इनके मंत्री बनने के 6 महीने की अवधि पूरी हो रही है लिहाजा नियम के मुताबिक उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ेगा.
क्या है कानूनी प्रावधान ?
न्यूज़ 18 ने इस सिलसिले में मध्यप्रदेश विधानसभा के प्रमुख सचिव ए पी सिंह से बातचीत की. ए पी सिंह के मुताबिक कानूनी प्रावधानों के तहत कोई भी व्यक्ति बिना विधानसभा का सदस्य चुने हुए केवल छह महीने तक ही मंत्री पद पर बना रह सकता है. लिहाजा किसी भी व्यक्ति का मंत्री बने रहने के लिए 6 महीने के अंदर चुनाव जीतना जरूरी है. एक विकल्प इसमें यह हो सकता है कि संबंधित व्यक्ति 6 महीने की अवधि में अपना इस्तीफा दे और बाद में दोबारा मंत्री पद की शपथ ले ले. हालांकि विधानसभा का सदस्य चुने बिना यह प्रावधान भी केवल दो बार ही लागू हो सकता है. उसके बाद उसे चुनाव जीतना जरूरी हैउप चुनाव की तारीख तय नहीं
मध्यप्रदेश में 27 सीटों पर उपचुनाव होना है. इनमें से तुलसी सिलावट की सांवेर और गोविंद सिंह राजपूत की सुर्खी विधानसभा सीट भी शामिल है. इन दोनों का ही इन सीटों से चुनाव लड़ना तय है. चुनाव आयोग यह तो साफ कर चुका है कि मध्य प्रदेश की 27 सीटों पर उपचुनाव 29 नवंबर से पहले करा दिए जाएंगे. लेकिन अगर चुनाव निर्वाचन की प्रक्रिया 21 अक्टूबर तक पूरी नहीं हुई तो फिर दोनों को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ेगा. यह माना जा रहा है कि चुनाव आयोग जल्द ही चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है. लेकिन चुनाव 21 अक्टूबर से पहले संपन्न हो पाएगा ऐसी संभावना कम ही लग रही है.