प्रदेश मुख्यालय भोपाल में हुई इस बैठक में बीजेपी चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक भूपेंद्र सिंह ने बाकी सदस्यों के साथ प्रचार की रणनीति तैयार की. बीजेपी 25 सितंबर से घर-घर संपर्क अभियान का आगाज करने जा रही है. लेकिन उससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2 बड़े कार्यक्रमों के जरिए चुनावी प्रचार का बिगुल बजा दिया जाएगा. आज की इस बैठक में आगामी कार्यक्रमों की तैयारी की गयी.
दिग्गज करेंगे प्रचार
बीजेपी के लिए ये उप चुनाव परीक्षा की घड़ी है. वो इन सीटों को जीतकर ही सत्ता पर कायम रह पाएगी. इसलिए वो आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार है. पार्टी के तमाम बड़े दिग्गज नेता चुनाव प्रचार में कूद रहे हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते सहित तमाम बड़े नेताओं के दौरे एक-दो दिन के अंदर तेज हो जाएंगे और पार्टी का पूरा फोकस 27 सीटों के उपचुनाव पर होगा.ये है प्लान
>> 9 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एमपी स्वनिधि योजना के प्रदेश के 1.15 लाख स्ट्रीट वेंडर्स (छोटे व्यवसायी) और 12 सितंबर को प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों से वर्चुअल संवाद करेंगे.
>>16 सितंबर को प्रदेश भर में खाद्यान्न पर्ची वितरण का कार्यक्रम होगा. अभी 27 विधानसभाओं में सेक्टर सम्मेलन चल रहे हैं, जो 18 सितंबर तक पूरे हो जाएंगे.
>>उसके बाद 27 विधानसभा क्षेत्रों में महाजनसंपर्क अभियान की तैयारी के लिए 19 और 20 सितंबर को विधानसभा वार बैठकें होंगी.
>>25 सितंबर को पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर प्रदेश भर में मतदान केन्द्र तक कार्यक्रम किए जाएंगे.
>>27 विधानसभाओं में 25 सितंबर से महाजनसंपर्क अभियान शुरू होगा, जो 27 सितंबर तक चलेगा. महाजनसंपर्क अभियान में कार्यकर्ता घर-घर संपर्क करेंगे और केन्द्र और प्रदेश सरकार की उपलब्धियों और योजनाओं के बारे में जनता को बताएंगे. इसके साथ ही हर घर में भारतीय जनता पार्टी का झंडा फहराया जाएगा.
>>11 अक्टूबर से 27 विधानसभाओं में बूथ सम्मेलन होंगे.
करो या मरो
मध्य प्रदेश में 27 सीटों का उपचुनाव बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के लिए करो या मरो का है, क्योंकि इस चुनाव में जो पार्टी जीत दर्ज करेगी वही मध्य प्रदेश की सत्ता पर राज करेगी. यही वजह है कि यह कहा जा रहा है कि मध्य प्रदेश का उपचुनाव विधानसभा या आम चुनाव से ज्यादा महत्वपूर्ण है.इसमें सरकार के साथ सिंधिया की साख भी दांव पर लगी है. अब देखना यह है कि आखिरकार जनता अपना फैसला किसके पक्ष में सुनाती है.