ई-टेंडर घोटाला: शिवराज सरकार में जांच हुई धीमी, 6 महीने बाद भी नहीं मिली 42 टेंडरों की टेक्निकल रिपोर्ट | bhopal – News in Hindi

ई-टेंडर घोटाला: शिवराज सरकार में जांच हुई धीमी, 6 महीने बाद भी नहीं मिली 42 टेंडरों की टेक्निकल रिपोर्ट | bhopal – News in Hindi


पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह. (फाइल फोटो)

बहुचर्चित ई-टेंडर घोटाले (E-tender scam) की जांच फिलहाल धीमी हो गई है. शिवराज सरकार (Shivraj Government) के छह माह होने के बाद भी ईओडब्ल्यू को सेंट्रल एजेंसी इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस से रिपोर्ट नहीं मिली है.


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  • Last Updated:
    September 11, 2020, 12:11 PM IST

भोपाल. तत्कालीन कमलनाथ (Kamal Nath) सरकार में मध्य प्रदेश के बहुचर्चित ई-टेंडर घोटाले (E-tender scam) की जांच ने एक समय प्रदेश की राजनीति में खलबली मचाई थी. अब उस जांच की गति धीमी हो गई है. कारण है कि ईओडब्ल्यू को सेंट्रल एजेंसी इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस से टेंडर से जुड़ी टेक्निकल रिपोर्ट न मिलना. छह महीने पहले ईओडब्ल्यू की टीम दिल्ली पहुंची थी, लेकिन उसे टेक्निकल रिपोर्ट नहीं मिली. अब फिर से ईओडब्ल्यू इस रिपोर्ट को हासिल करने के लिए दोबारा दिल्ली स्थित इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस के दफ्तर जा सकती है.

तत्कालीन कमलनाथ सरकार के दौरान 9 टेंडर को लेकर एफआईआर दर्ज हुई थी. उस दौरान से इस रिपोर्ट को केंद्रीय एजेंसी से मांगा जा रहा था. एक साल गुजरने के बाद भी रिपोर्ट ईओडब्ल्यू को नहीं मिली है. उसे एजेंसी को भेज दिया गया है. ऐसे में उन टेंडरों में हुए घोटालों की जांच रुक गई है, जिसमें गड़बड़ी की पुष्टि ईओडब्ल्यू की प्राथमिक जांच में हुई थी. जब तक टेक्निकल रिपोर्ट नहीं आ जाती तब तक ईओडब्ल्यू इन मामलों में एफआईआर दर्ज नहीं कर सकती है.

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42 टेंडर में एफआईआर अटकीईओडब्ल्यू ने बीजेपी सरकार में हुए ई-टेंडर घोटाले को लेकर सबसे पहली एफआईआर 10 अप्रैल 2019 को दर्ज की थी. ये एफआईआर 9 टेंडर में टेंपरिंग को लेकर की गई थी. ईओडब्ल्यू एफआईआर में बनाए गए एक दर्जन आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है. ईओडब्ल्यू को जांच में कुल 52 टेंडरों में से 42 में टेंपरिंग होने के पुख्ता सबूत मिले थे. 18 मई 2018 को ई-टेंडर में हुई गड़बड़ी को लेकर जांच शुरू हुई थी. जांच शुरू होने से ठीक 2 महीने पहले मार्च 2018 तक 52 टेंडरों की जांच में 42 टेंडरों में टेंपरिंग होने का खुलासा हुआ था.

52 टेंडर अक्टूबर 2017 से मार्च 2018 के दौरान प्रोसेस में आए थे. इनमें 42 टेंडरों में छेड़छाड़ के पुख्ता सबूत मिले हैं. ईओडब्ल्यू ने चिन्हित 42 टेंडरों में टेंपरिंग को लेकर राज्य शासन और टेंडरों से जुड़े संबंधित विभागों को जानकारी भेजी थी. जानकारी के भेजने के बावजूद किसी भी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. अब 42 टेंडरों की तकनीकी जांच इंडियन कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम भारत सरकार से आने का बाद ही एफआईआर की कार्रवाई हो सकेगी.

राजनेता और नौकरशाह का कनेक्शन
इन 42 टेंडर में नौकरशाहों और राजनेताओं का कनेक्शन सामने आ रहा है. जिन 42 टेंडरों में टेंपरिंग की गई, वो अरबों रुपए के बताए जा रहे हैं. इनमें अधिकांश टेंडर के तहत प्रदेश के कई हिस्सों में काम भी किए जा रहे हैं. ये टेंडर जल संसाधन, सड़क विकास निगम, नर्मदा घाटी विकास, नगरीय प्रशासन, नगर निगम स्मार्ट सिटी, मेट्रो रेल, जल निगम, एनेक्सी भवन समेत कई निर्माण काम करने वाले विभागों के हैं. सूत्रों ने बताया है कि अरबों रुपये के इन टेंडरों में ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन और एंटेरस सिस्टम कंपनी के पदाधिकारियों के जरिए टेंपरिंग की है. इसमें कई दलाल, संबंधित विभागों के अधिकारी-कर्मचारी और राजनेता भी शामिल हैं.





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