भोपालएक घंटा पहलेलेखक: सुमित पांडेय
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भोपाल में सरकार के आदेश के बाद कोरोना की फील्ड सैंपलिंग बंद कर दी गई। यहां पर अब कोरोना के रैपिड टेस्ट और आरटीपीसीआर। दोनों के तरह के सैंपल फीवर क्लीनिक में लिए जाएंगे। ऐसा टेस्टिंग में तेजी लाने के लिए किया गया है, लेकिन फीवर क्लीनिक में एक दिन में 10 सैंपल भी नहीं हो पा रहे हैं।
- अब भोपाल में कोरोना सैंपलिंग फीवर क्लीनिक के हवाले; टेस्टिंग में 25 अगस्त के बाद एक दिन भी 10 सैंपल भी नहीं हो पा रहे हैं
- भेल के पिपलानी और अशोका गार्डन के पंजाबी बाग में दो फीवर क्लीनिक में एक घंटे के अंदर एक भी मरीज नहीं आया सैंपल देने
भोपाल में फीवर क्लीनिक चर्चा में हैं। इन क्लीनिक पर अब कोरोना सैंपलिंग की जिम्मेदारी है। सरकार ने कोरोना की फील्ड सैंपलिंग बंद करने का आदेश दे दिया है। कोरोना जांच के लिए सैंपल फीवर क्लीनिक में मुफ्त में दिए जा सकेंगे। कोरोना की टेस्टिंग में तेजी आए, इसलिए शहर के 61 फीवर क्लीनिक 12 घंटे यानि सुबह 8 से रात 8 बजे तक खुले रहेंगे, लेकिन हकीकत यह है कि फीवर क्लीनिक में हर रोज टेस्टिंग की संख्या दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पा रही है। ऐसा तब है, जब हर रोज राजधानी में 200 से ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीज मिल रहे हैं। पढ़िए भास्कर की दो फीवर क्लीनिक से लाइव रिपोर्ट…

पिपलानी के फीवर क्लीनिक में आने वाले हर मरीज की स्क्रीनिंग करते हैं, इसके बाद गेट पर भी मरीजों को खड़ा कर दिया जाता है, यहां से मरीज से उसकी बीमारी पूछते हैं और फिर दवा दी जाती है।
भेल का पिपलानी इलाका। सुबह के 11:30 बजे हैं और तेज धूप के साथ उमस है। 15-20 मिनट खोजने और लोगों से पूछताछ के बाद पिपलानी पोस्ट ऑफिस से थोड़ा आगे जाने पर आरोग्यम स्वास्थ्य केंद्र नजर आ जाता है। यहीं पर फीवर क्लीनिक का संचालन हो रहा है। स्वास्थ्य केंद्र के बाहर एक व्यक्ति पीपीई किट पहने पसीने से तरबतर अकेले बैठा है। ये फीवर क्लीनिक में ड्यूटी कर रहे डॉ. विपिन तिवारी हैं। ये प्राइवेट डॉक्टर हैं और कोरोना काल में सरकार की तरफ से सैंपलिंग के लिए लगाए गए हैं।

पिपलानी के फीवर क्लीनिक में कोरोना की जांच बाहर हो रही है, वहीं नॉर्मल मरीज को गेट से उसका मर्ज पूछने के बाद दवा देकर रवाना कर दिया जा रहा है।
स्वास्थ्य केंद्र में अंदर सरकारी मेडिकल स्टाफ और प्रभारी डॉक्टर मरीजों की स्क्रीनिंग कर रहे हैं, इसके लिए मरीज को गेट पर ही खड़ा कर दिया जाता है। डॉक्टर अपनी कुर्सी में बैठकर आवाज लगाकर मरीज से उसका हाल पूछ रहे हैं और वह बता रही है, इसके बाद डॉक्टर कम्पाउंडर को मरीज को देने वाली दवा लिखवाती हैं। फिर एक दूसरा कर्मचारी दवा लेकर मरीज को गेट पर ही देता है और रवाना कर दिया जाता है। इस दौरान मरीज की स्क्रीनिंग भी की जाती है।

फीवर क्लीनिक में ड्यूटी कर रहे डॉ. विपिन तिवारी। हर रोज सुबह 10 बजे से कोरोना सैंपलिंग के लिए यहां पर ड्यूटी देते हैं, इसके पहले फील्ड पर सैंपल लेने के लिए जाते थे और फिर ड्यूटी करते थे।
क्लीनिक में सुबह 10 बजे से 11.30 बजे तक केवल चार सैंपल हुए हैं। वह निगेटिव रहे हैं। डॉक्टर विपिन तिवारी ने बताया कि क्लीनिक में सैंपलिंग के लिए बेहद कम संख्या में लोग आ रहे हैं। हालांकि हम अपनी तरफ से लोगों को सैंपल कराने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उन्हें ये भी कहते हैं कि अगर किसी को बुखार है या अन्य कोई तकलीफ समझ में आती है तो वह यहां पर आकर जांच करा सकता है। हालांकि लोग कोरोना को लेकर डरते हैं, उन्हें लगता है कि कहीं कोरोना निकल गया तो फिर क्या होगा। हम हर रोज की रिपोर्ट सीएमएचओ दफ्तर और आईसीएमआर को ऑनलाइन भेजते हैं।

पंजाबी बाग स्थित फीवर क्लीनिक में स्क्रीनिंग सेंटर में ताला जड़ा है, जबकि फीवर क्लीनिक अस्पताल के पीछे एक कमरे में चल रहा है।
समय: दोपहर 12 बजे, पंजाबी बाग फीवर क्लीनिक
दोपहर 12 बजे हैं। अशोका गार्डन का पंजाबी बाग इलाका। यहां पर मुख्य सड़क से अंदर 500 मीटर जाने पर एक मैदान आता है, जिससे लगा हुआ आरोग्यम स्वास्थ्य केंद्र है। यहां के कोरोना स्क्रीनिंग का बोर्ड लगा है, लेकिन नीचे कमरे में ताला लटक रहा है। थोड़ा आगे बढ़ने पर फीवर क्लीनिक का पोस्टर चस्पा है और एरो बना है, लेकिन वह निशान उसी कमरे की तरफ इशारा कर रहा है, जहां पर ताला जड़ा हुआ है।

पंजाबी बाग के फीवर क्लीनिक में ड्यूटी दे रहे डॉ. अतुल गौर ने बताया कि क्लीनिक में आकर सैंपलिंग कराने वालों की संख्या बेहद कम है। कुछ लोग डरकर और अन्य बहानों से सैंपल नहीं देते हैं।
आरोग्यम केंद्र के अंदर पूछने पर एक महिला स्वास्थ्य कर्मी इशारे से बताती हैं कि पीछे की तरफ फीवर क्लीनिक है। पीछे के एक कमरे में फीवर क्लीनिक खुला हुआ है, यहां पर दो घंटे में केवल दो सैंपल लिए गए हैं। पीपीई किट पहनकर बैठे डॉ. अतुल गौर ने बताया कि पेशेंट को कोरोना सैंपल लेने के लिए समझाना बेहद मुश्किल होता है। हालांकि कुछ लोग, जिन्हें लक्षण नहीं भी होते हैं तो सैंपल कराने आ जाते हैं। वह आकर कहते हैं कि हमारा टेस्ट कर लीजिए, जिससे पता चल सके और हमारा परिवार सुरक्षित रहे। फिर भी लोगों के पास सैंपल ना देने के 10 बहाने होते हैं। और वह बहाने बनाने के बाद सैंपल नहीं कराते और वापस चले जाते हैं।

दोनों फीवर क्लीनिक पर एक घंटे के अंदर जीरो सैंपल हो सके हैं।
दोनों फीवर क्लीनिक में 15 दिन में औसतन 6-7 टेस्ट हर रोज हुए
भोपाल में 61 फीवर क्लीनिक खोले गए हैं। इन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के साथ रखा गया है, जिससे मरीज का पर्चा बन सके और कोरोना टेस्ट की जांच हो सके। क्लीनिक में दो तरह के टेस्ट एंटीजन यानि रैपिड और आरटीपीसीआर होता है। पिपलानी के फीवर क्लीनिक में 25 अगस्त से लेकर अब तक करीब 95 टेस्ट हुए हैं। वहीं पंजाबी बाग के फीवर क्लीनिक में इतने ही दिनों में महज 76 सैंपल लिए गए हैं। यहां हर रोज औसतन 5-6 सैंपल और पिपलानी में 6-7 टेस्ट किए गए। वहीं अगर फील्ड सैंपलिंग की बात करें तो एक टीम हर रोज कम से कम 50-60 टेस्ट करती थी।
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