हाथी मोती के उग्र स्वभाव के चलते चिड़ियाघर के कर्मचारी कई सालों से परेशान हैं.
इंदौर के चिड़ियाघर में गुस्सैल हाथी (Angry Elephant) मोती को शांत कराने के लिए म्यूजिक थेरेपी (Music Therapy) का सहारा लिया जा रहा है. हाथी को रोजाना 3 से 4 घंटे बिस्मिल्ला खान (Bismillah Khan) की शहनाई और पंडित हरिप्रसाद चौरसिया (Pandit Hariprasad Chaurasia) की बांसुरी की धुन सुनाई जा रही है.
मोती को शांत कराने के लिए म्यूजिक थेरेपी का सहारा
चिड़ियाघर के प्रभारी डॉ. उत्तम यादव ने बताया कि गुस्सैल हाथी मोती को 25 अगस्त से ये म्यूजिक थेरेपी दी जा रही है. उसके बाड़े में लगाए गए म्यूजिक सिस्टम से मोती को हर दिन दोपहर में तीन से चार घंटे तक बिस्मिल्ला खान की शहनाई, पंडित हरिप्रसाद चौरसिया की बांसुरी के साथ ही संतूरवादन भी सुनाया जा रहा है. इससे उसका गुस्सा शांत होने लगा है. उसका चिड़चिड़ापन कम हो रहा है. उसने बेवजह चिंघाड़ना भी बंद कर दिया है.
डॉक्टर के मुताबिक म्यूजिक थेरेपी शुरू करने से दो दिन पहले गुस्साए मोती ने अपने बाड़े की दीवार तोड़ दी थी और जोर-जोर से चिंघाड़ने लगा था. उसे नियंत्रित करने में चिड़ियाघर कर्मचारियों को खासी मशक्कत करनी पड़ी थी. इसके बाद प्रबंधन ने उसे शांत रखने के लिए म्यूजिक थेरेपी देने का फैसला लिया. म्यूजिक सिस्टम के अलावा उसके बाड़े में जेसीबी, ट्रैक्टर, ट्रक और बसों के टायरों को रखवाया गया है. जिससे मोती इनसे खेलने में व्यस्त रह सके.मोती 40 साल से जू में है
कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय के चिकित्सकों का कहना कि हाथियों में उम्र के साथ गुस्सा बढ़ता है. मोती चिड़ियाघर में पिछले 40 साल से है. वह वर्षों से दर्शकों का चहेता बना हुआ है. 14 दिसंबर 2019 को उसने गुस्से में आकर लक्ष्मी नामक हथिनी पर हमला कर दिया था. उसे इतनी जोर से टक्कर मारी थी कि उसकी किडनी क्षतिग्रस्त हो गई थी. दस दिन चले उपचार के बाद 24 दिसंबर 2019 को उसकी मौत हो गई थी. मोती ने कई बार बाड़े में भी उत्पात मचाया है. उसे काबू में करने के लिए जू के कर्मचारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ती थी. हालांकि अब म्यूजिक थेरेपी से मोती के शांत होने को लेकर आस बंधी है. इसका सकारात्मक प्रभाव मोती पर दिख रहा है. उसका गुस्सा धीरे-धीरे कम हो रहा है.