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- Greater Kailash Doctor And Hospital Staff Welfare Society Held Press Conference
इंदौर11 मिनट पहले
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- ग्रेटर कैलाश डॉक्टर और हॉस्पिटल स्टाफ वेलफेयर सोसायटी ने प्रेस कांफ्रेंस की
- अस्पताल प्रबंधन से डॉक्टरों व स्टाफ का विवाद न्यूनतम दो साल से ज्यादा पुराना
पिछले दिनों ग्रेटर कैलाश अस्पताल संचालक डॉ. अनिल बंडी और डॉ. विवेक श्रीवास्तव के बीच विवाद का मामला थाने पहुंचा था। दो साल से फीस का भुगतान नहीं किए जाने को लेकर विवाद बताया गया। उसी क्रम में रविवार को ग्रेटर कैलाश डॉक्टर और हॉस्पिटल स्टाफ वेलफेयर सोसायटी ने प्रेस कांफ्रेंस ली और कहा कि बीते दो साल से डॉक्टर व स्टाफ ही नहीं बल्कि अन्य सेवा प्रदाताओं का वेतन नहीं दिया गया है। कई बार मांग उठाई जा चुकी है। इसका कोरोना के मरीजों के इलाज से कोई लेना-देना नहीं है।
दोपहर में डॉ. सीपी कोठारी, डॉ. राजेश गुप्ता, डॉ. विवेक श्रीवास्तव, डॉ. आलोक जैन सहित अन्य डॉक्टर खुलकर सामने आए और कहा कि डॉ. श्रीवास्तव ही नहीं, बल्कि अस्पताल के कई कर्मचारियों का भुगतान बकाया है। लंबे समय से भुगतान की मांग की जा रही थी, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने गलत तथ्य प्रस्तुत किए। गौरतलब है कि इसके लिए डॉक्टरों व स्टाफ ने ग्रेटर कैलाश डॉक्टर्स व हॉस्पिटल्स स्टाफ वेलफेयर सोसायटी नाम से एक समिति का गठन भी किया है।
उसका कहना है कि मुख्यमंत्री तक को शिकायत की गई थी। नोट बंदी के समय आयकर विभाग सहित प्रवर्तन निदेशालय के छापे की कार्रवाई के बाद से ही अस्पताल प्रबंधन ने भुगतान नहीं किया है लेकिन तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया जिससे चिकित्सा जगत की छवि धूमिल हुई है। हमारा मानदेय बकाया है न कि किसी प्रकार का कमीशन। अस्पताल प्रबंधन से डॉक्टरों व स्टाफ का विवाद न्यूनतम दो साल से ज्यादा पुराना है। यह ऐसा समय है जब अस्पतालों में डॉक्टरों व स्टाफ के वेतन में 50 से 80 फीसदी की कटौती की जा चुकी है।
ग्रेटर कैलाश हॉस्पिटल संचालक डॉ. अनिल बंडी का कहना है कि मैंने कभी किसी से नहीं कहा कि आपके रुपए नहीं दूंगा। आर्थिक परेशानियां सभी को कभी न कभी आती है। बुरे समय मे कई लोगों ने अस्पताल का साथ छोड़ा, जिससे स्थितियां और बिगड़ीं। यह आर्थिक मद से जुड़ा मामला है, जिसे लोग निजी बनाने में लगे हैं। जिसका जितना रुपया बनता है मैं दे रहा हूं आगे भी दूंगा। स्थितियां अब पहले से बेहतर है।
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