कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग की ये सबसे बड़ी कार्रवाई है.
कोविड टेस्ट का टेंडर हासिल करने के लिए साइंस हाउस मेडिकल प्रायवेट लिमिटेड कंपनी ने भोपाल (Bhopal) के एक प्राइवेट हॉस्पिटल का परफॉरमेंस सर्टिफिकेट लगाया. टेंडर (Tender) देने के पहले जब हेल्थ कॉरपोरेशन ने सर्टिफिकेट की जांच की तो पता चला कि परफॉरमेंस सर्टिफिकेट जाली है.
जून में स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना टेस्ट के लिए आईसीएमआर और एनएबीएल से मान्यता प्राप्त बीएसएल-2 लैब से टेंडर मंगाए थे. ये टेंडर हासिल करने के लिए कई कंपनियां कोशिश में थीं. लेकिन टेंडर मिला साइंस हाउस मेडिकल प्रायवेट लिमिटेड कंपनी को. उसने भोपाल के एक प्राइवेट हॉस्पिटल का परफॉरमेंस सर्टिफिकेट लगाया था. हेल्थ कॉरपोरेशन ने जब इस सर्टिफिकेट का वेरिफिकेशन किया तो पता चला कि परफॉर्मेंस सर्टिफिकेट जाली है.
सबसे बड़ी कार्रवाई
स्वास्थ्य विभाग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई कर कंपनी पर एक करोड़ का जुर्माना ठोक दिया. हेल्थ कॉर्पोरेशन ने साइंस हाउस कंपनी की लगाई एक करोड़ रूपए की बैंक गारंटी जब्त करने का आदेश दिया. स्वास्थ्य विभाग में किसी कंपनी पर कोरोना काल में ये सबसे बड़ी कार्रवाई है.बैंक गारंटी जब्त
जब पूरे देश में अनलॉक की शुरुआत हुई उस समय सरकार ने प्रदेश भर में कोविड टेस्ट बढ़ाने का निर्णय लिया था.इसके लिए विभाग ने ICMR और NABL सर्टिफाइड बायोसेफ्टी लेवल-2 लैब से टेंडर बुलवाए थे. टेंडर हासिल करने के लिए साइंस हाउस मेडिकल प्रायवेट लिमिटेड कंपनी ने भोपाल के एक प्राइवेट हॉस्पिटल का जाली परफॉरमेंस सर्टिफिकेट लगा दिया. टेंडर देने के पहले जब हेल्थ कॉरपोरेशन ने सर्टिफिकेट की जांच की तो पता चला कि परफॉरमेंस सर्टिफिकेट जाली है. इसके बाद हेल्थ कॉरपोरेशन ने कंपनी की बैंक गारंटी जब्त करने का आदेश दिया.कंपनी के पैसे बैंक ऑफ महाराष्ट्र,टीटी नगर ब्रांच में डिपॉजिट हैं हेल्थ कॉरपोरेशन ने बैंक को पत्र लिखकर ये पैसे विभाग के खाते में जमा करने के लिए कहा है.
पहले भी हुई कार्रवाई
स्वास्थ्य विभाग पहले भी कई कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर चुका है. इससे पहले माइक्रोलिट नाम की कंपनी पर भी कार्रवाई की गयी थी. उसे दो साल के लिए ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है. कंपनी ने कोविड टेस्ट के सेंपल के लिए इस्तेमाल में लाई जाने वाली फिल्टर टिप में गलत रेट कोट कर दिया था. इसलिए माइक्रोलिट कंपनी को दो साल के लिए डी बार किया गया है. अब ये कंपनी मप्र में मेडिकल आयटम सप्लाई के किसी भी टेंडर में दो साल तक शामिल नहीं हो पाएगी.