Kovid Ward of the old building of Hamidia Hospital; Where distraught families stand on the road under the window to see and hear their loved ones | हमीदिया अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग का कोविड वार्ड; जहां अपनों को देखने-सुनने के लिए व्याकुल परिजन खिड़की के नीचे सड़क पर खड़े हो जाते हैं

Kovid Ward of the old building of Hamidia Hospital; Where distraught families stand on the road under the window to see and hear their loved ones | हमीदिया अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग का कोविड वार्ड; जहां अपनों को देखने-सुनने के लिए व्याकुल परिजन खिड़की के नीचे सड़क पर खड़े हो जाते हैं


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भोपाल17 मिनट पहले

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भोपाल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल हमीदिया की पुरानी बिल्डिंग में कोविड वार्ड बनाया गया है, लेकिन यहां पर नेटवर्क की समस्या होने की वजह से मरीज अपने परिजनों से बात नहीं कर पाते हैं। ऐसे में परिजन वार्ड के बाहर सड़क पर खड़े हो जाते हैं और मरीज खिड़की पर आ जाते हैं, जिससे दोनों के बीच थोड़ा-बहुत संवाद हो जाता है।

  • हमीदिया के पुरानी बिल्डिंग में मोबाइल नेटवर्क नहीं मिलने से परिजनों को नहीं मिल पाता अपनों का हाल
  • कोविड वार्ड में किसी के पिता भर्ती हैं तो किसी की मां, नेटवर्क न होने से परिजन बिल्डिंग के नीचे पहुंच जाते हैं

हमीदिया अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग में बने कोविड वार्ड के बाहर फुटपाथ और सड़क किनारे लेटे परिजनों की पीड़ा भी मरीजों से कम नहीं है। दिन हो या रात, बारिश हो या धूप.. दूसरे और तीसरे माले की खिड़कियों में होने वाली आहट ही परिजनों की उम्मीद है। जब-जब खिड़कियों पर आहट होती है, परिजन के चेहरे पर चमक आ जाती है।

इस बिल्डिंग के भीतर मोबाइल का नेटवर्क नहीं है और परिजनों के पास भर्ती अपनी मां-पिता और पत्नी का हाल जानने के लिए कोई साधन नहीं है। सिवाय इस बात के कि भर्ती मरीज खुद उस खिड़की पर आकर अपनों को यह न बता दे कि वह अब तक ठीक है। समय पर खाना और दवाई खा ली है।

हमीदिया अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग, जहां पर कोविड वार्ड बनाया गया है और यहां पर मरीजों को भर्ती किया गया है।

हमीदिया अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग, जहां पर कोविड वार्ड बनाया गया है और यहां पर मरीजों को भर्ती किया गया है।

एक झलक पाने को करते हैं रोज इंतजार
हमीदिया अस्पताल में रोजाना कोरोना संक्रमित मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। लेकिन मरीज की सेहत की जानकारी लेने और उनकी झलक पाने के लिए परिजन दिन रात अस्पताल परिसर में बैठकर आवाज आने का इंतजार करते दिखाई देते हैं। मेडिकल-एक, दो, तीन और चार में भर्ती मरीज के परिजन सड़क पर खड़े होकर मरीज की झलक पाने के लिए खड़े होते हैं।

वजह यह है- यहां अस्पताल के भीतर मोबाइल का नेटवर्क ही नहीं है। मरीज सड़क पर खड़े परिजनों को आवाज देकर बुलाते हैं। इस दौरान परिजन बिल्डिंग के नीचे से ऊपर की तरफ आवाज लगाते हैं ताकि उनकी सेहत के बारे में जानकारी मिल सके। परिजनों का कहना है कि कोविड यूनिट के ब्लॉक वन में भर्ती मरीजों की वीडियों कॉल के जरिए बात करा दी जाती है लेकिन पुरानी बिल्डिंग में नेटवर्क के चलते बात नहीं हो पाती है। उन्हें हमेशा ये चिंता सताती है कि मरीज की स्थिति ठीक है या नहीं। उनके उम्मीदें बस इस खिड़की पर अटकी होती है। जब-जब उनका कोई अपना इस खिड़की पर आकर उन्हें पुकारता है तब ही उन्हें उनके स्वस्थ्य होने का पता चलता है।

अस्पताल की खिड़कियों से झांककर मरीज अपने परिजनों से बात करने की कोशिश करते हैं।

अस्पताल की खिड़कियों से झांककर मरीज अपने परिजनों से बात करने की कोशिश करते हैं।

सोने के लिए जगह बारिश में पूरी रात शेड के नीचे गुजारना पड़ रही है
रायसेन से आए सोनू ने बताया कि उनके पिता पिछले कई दिनों से मेडिकल वार्ड में कोरोना संक्रमित होने के बाद भर्ती हुए हैं। मोबाइल फोन भी है, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाती है। इसकी वजह मोबाइल नेटवर्क की दिक्कत है। कई बार तो उनको खिड़की पर देखकर संतुष्ट हो जाता हूं। सरकार यहां पर वाइफाइ की व्यवस्था कराए, ताकि उनकी स्थिति का पता चल सके। पिपरिया से आए परेश ने बताया कि उनके पिता की ऑक्सीजन लेवल कम होने के चलते कोविड ब्लॉक में भर्ती किया गया था। यहां पर सबकुछ ठीक है, लेकिन बातचीत ठीक तरीके से नहीं हो पाने के चलते दिक्कत होती है। सरकार को स्क्रीन लगवाना चाहिए ताकि यहां पर मरीज के परिजन उनकी तस्वीर देखकर संतुष्टि कर सकें।

25 दिन से भर्ती किया पूरी रात जागता रहता हूं
कैलाश चंद ने भास्कर को बताया कि मेरी पत्नी के पेट में दर्द के बाद यहां पर इलाज के लिए लाया था। जांच हुई तो कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। शुरूआत में पत्नी को हमीदिया की पुरानी बिल्डिंग में भर्ती किया गया था। समझ में नहीं आ रहा है कि क्या इलाज दिया जा रहा है। अस्पताल के बाहर ही बैठा रहता हूं। पत्नी रोजाना घर जाने की जिद कर रही है। पांच बच्चे हैं, उनको कोरोना न हो जाए। पत्नी से फोन पर ठीक से बात नहीं हो पाती है। आगे क्या होगा कुछ समझ में नहीं आ रहा है।

चार महीने के बेटे के साथ पत्नी लड़ रही कोरोना की लड़ाई
प्रदीप दामोदर ने भास्कर को बताया कि मेरा चार महीने का बेटा है, उसको कोरोना हो गया है। चूंकि उसे अकेला नहीं छोड़ सकते हैं। इसलिए पत्नी भी उसकी देखभाल के लिए साथ है। 11 दिन हो गए हैं। कुछ समझ नहीं आ रहा है कि हुआ क्या है। कब दोनों ठीक हो कर आएंगे इसकी जानकारी भी नहीं मिल पा रही है। सेहत कैसी है ये भी पता नहीं चल रहा है। पूरी रात जागकर बिताते हैं। जहां पर जगह मिलती है, सो जाते हैं।

यहां पर भोपाल और आसपास के मरीजों को भर्ती किया गया है।

यहां पर भोपाल और आसपास के मरीजों को भर्ती किया गया है।

हमीदिया की कोविड यूनिट के हर फ्लोर पर एक टेबलेट वीडियो कॉल से कराते हैं बात
हमीदिया अस्पताल की ट्रामा बिल्डिंग के हर फ्लोर पर भर्ती मरीजों के परिजनों से बात के लिए जिला प्रशासन के निर्देश पर बीएसएस कॉलेज के डिपार्टमेंट ऑफ सोशल वर्क और भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन संस्था के सहयोग से हेल्पलाइन शुरू की गई है। हेल्पलाइन की संयोजक रचना ढींगरा ने बताया कि पिछले एक महीने में सुबह 8 से रात 8 बजे तक 300 भर्ती कोरोना के मरीजों के परिजनों से वीडियो कॉल के जरिए परिजनों से बात कराई गई। मरीज और परिजनों के बीच बहुत संवाद के लिए ये हेल्पलाइन जिला प्रशासन के निर्देश पर शुरू की गई है। चूंकि पुरानी बिल्डिंग में नेटवर्क की दिक्कत है। इसलिए वहां पर बात नहीं करा पाते हैं।

ये है हेल्पलाइन- हमीदिया अस्पताल में कोरोना के मरीज की सेहत का पता लगाने के लिए इस हेल्पलाइन नंबर 0755-4004633 पर संपर्क कर सकते है।

नेटवर्क की दिक्कत है फीडबैक ले रहे हैं
हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डॉ. आईडी चौरसिया ने कहा कि हमीदिया अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग में नेटवर्क की दिक्कत है। बिल्डिंग पुराने समय की बनी हैं। मरीजों और उनके परिजनों को बात करने में दिक्कत होती है तो इसका फीडबैक लेकर समस्या का समाधान कराएंगे।

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