National park animals are harming crops, how long farmers will continue to waste | नेशनल पार्क के जानवर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे, कब तक किसान बर्बाद होते रहेंगे

National park animals are harming crops, how long farmers will continue to waste | नेशनल पार्क के जानवर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे, कब तक किसान बर्बाद होते रहेंगे


शिवपुरी14 घंटे पहले

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  • नाराज किसान संघ ने कलेक्टोरेट में प्रदर्शन कर अपनी .मांगें रखीं, न माने जाने पर प्रदर्शन की चेतावनी

हमारी खेतों में खड़ी फसल को कभी नेशनल पार्क से आए जानवर तो कभी जंगली क्षेत्रों में रहने वाले जानवर आकर बर्बाद कर रहे हैं ।कई बार वन विभाग और अधिकारियों को लिखित और मौखिक सूचना दी पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही। लगातार किसानों की फसल चौपट होने से उन्हें आर्थिक क्षति के साथ-साथ मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है । इन मांगों के साथ किसानों ने अपना विरोध जताते हुए कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया ।और मांगे ना माने जाने पर उग्र प्रदर्शन कर विरोध जताने की बात भी उन्होंने कही।

कलेक्टोरेट के बाहर समूह में एकत्रित हुए किसान संघ के पदाधिकारियों ने एकत्रित होकर अपनी मांग रखी और एडीएम आर एस बालोदिया को बताया कि किस तरह से वह अपने खेतों में वन्यजीवों से परेशान हो रहे हैं। किसान संघ के अध्यक्ष कल्याण सिंह यादव बंटी ने बताया कि अकेले शिवपुरी और उसके आसपास के किसान इन जंगली जानवरों के चलते परेशान नहीं हो रहे वरन जिले भर में यह हालात वन क्षेत्रों में बने हुए हैं। किसान अपनी फसलों को उगाते हैं और जंगली जानवर फसल को चट कर जाते हैं।इससे किसान आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान हैं,वहीं इस आर्थिक क्षति का भुगतान ना तो सरकार देती और ना ही किसानों को मुआवजा मिलता ।ऐसे में यदि किसान परेशान होते रहे तो फिर उन्हें सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने बाध्य होना पड़ेगा।

फसल बीमा योजना में खेत को पूरी इकाई मानना चाहिए: किसान संघ
कलेक्टोरेट पर प्रदर्शन के दौरान किसान संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि फसल बीमा योजना में खेत को पूरा इकाई मानना चाहिए। बैंक द्वारा जो केसीसी लिमिट जारी की जाती है, उसमें राशि की पावती बैंक नहीं देती। उसे देने का प्रावधान बनाना चाहिए । सरकार को चाहिए कि वह कृषि यंत्र, दवा, बीज और जो कृषक संबंधी उपकरण है उन पर जीएसटी ना लगे। बैंक में जब किसान ऋण लेने आवेदन करते हैं या के लगाने अपने दस्तावेज देते हैं, तो बैंक द्वारा किसानों को परेशान किया जाता है, ऐसे में एक हेल्प लाइन डेस्क के साथ बैंक में एक अलग अधिकारी की नियुक्ति होनी चाहिए। जो किसानों की समस्याओं का समाधान कर सके।

जिस तरह किसानों को मुद्रा लोन की व्यवस्था शासन ने दी है, ठीक उसी तरह से कृषि लोन की व्यवस्था शासन को देनी चाहिए। ग्राम स्तर पर किसानों की जानकारी के लिए वर्षा मापक यंत्र लगने चाहिए ताकि किसानों को पता हो कि अब तक उनके यहां कितनी वर्षा हो गई और आगे किस तरह में अपने खेतों में कौन सी फसल लगाएं ताकि उन्हें नुकसान ना हो। जिले स्तर पर कृषि महाविद्यालय और छोटी छोटी कक्षाओं में कृषि के कोर्स शुरू होना चाहिए ताकि विद्यार्थी बचपन से ही खेती के गुर कक्षाओं में सीख सकें। किसान संघ के इस प्रदर्शन में किसान संघ के अध्यक्ष कल्याण सिंह यादव,बंटी यादव, राकेश वर्मा, सुघर सिंह,नरेश कुमार, देवकीनंदन, हर्ष यादव, पप्पू चौहान, नरेंद्र कुशवाह, देवेश शर्मा, अखिल गुर्जर ,पप्पन आदिवासी और अन्य किसान शामिल थे।

डिप्लोमा इंजीनियर बोले- हमारी मांगे नहीं मानी तो प्रदेश में निर्माण कार्य ठप कर देंगे
डिप्लोमा इंजीनियर संघ ने अपनी मांगों के समर्थन में प्रदर्शन कर कहा कि 2017-18 में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की थी कि वह डिप्लोमा इंजीनियर्स की सारी मांगे मानेंगे।लेकिन 3 साल हो गए अब तक ना तो डिप्लोमा इंजीनियर्स की मांगे मानी गई और ना ही कोई सुनवाई हुई। ऐसे में नाराज डिप्लोमा इंजीनियर्स ने चेतावनी दी है कि वह मांगे ना माने जाने पर निर्माण कार्यों को ठप कर देंगे। जिससे सारी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।

डिप्लोमा इंजीनियर ने अपनी मांग रखते हुए कहा कि जिन डिप्लोमा इंजीनियर्स की 28 साल की सेवा पूरी हो गई है, उन्हें सहायक यंत्री पद पर पदोन्नत किया जाए। संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाए यदि जल्द शासन ने मांगे नहीं मानी तो फिर डिप्लोमा इंजीनियर विरोध जताते हुए प्रदेश में निर्माण कार्य ठप कर देंगे।ज्ञापन देने वालों में संघ के प्रांत अध्यक्ष राजेंद्र भदौरिया, रविंद्र सिंह,रजनीश गुप्ता, अजय राज, दिलीप गुप्ता,यूपी शर्मा, पीके तिवारी,हरीवल्लभ वर्मा सहित कई डिप्लोमा इंजीनियर्स पदाधिकारी और सदस्य मौजूद थे।

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