आदिवासी सम्मेलन में मौजूद सीएम शिवराज सिंह चौहान व अन्य.
भोपाल (Bhopal) में आयोजित वनवासी महोत्सव (Vanvasi Festival) में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने आदिवासियों को जमीन का पट्टा देने और उन पर चल रहे सामान्य केस (case) को वापस लेने की घोषणा की.
- News18Hindi
- Last Updated:
September 20, 2020, 2:21 PM IST
इसके अलावा प्रदेश भर के आदिवासियों से सीएम ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की. इस बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बड़ा ऐलान किया. उन्होंने कहा कि सरकार आदिवासियों के हित के लिए पूरी तरह से समर्पित है. उन्होंने कहा कि आदिवासियों को छोटे-मोटे केसों के चलते कई सालों से अदालतों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. लिहाजा सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है, जिसके तहत जिन आदिवासियों पर मारपीट और कहासुनी जैसी सामान्य धाराओं के केस कई साल से चल रहे हैं, उन्हें सरकार वापस लेगी. हालांकि उन्होंने साफ किया कि गंभीर अपराध वाले केसों में कोई रियायत नहीं दी जाएगी. सीएम शिवराज के ऐलान को चुनाव से पहले आदिवासियों को लुभाने के लिए किए गए ऐलान के तौर पर देखा जा रहा है.
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वनवासियों को दिए पट्टेमुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कार्यक्रम के दौरान 47 जिलों के 22,000 से ज्यादा वनवासियों को जमीन के पट्टे आवंटित किये. इस दौरान सीएम ने धार, गुना और अनूपपुर के वनवासियों से सीधे संवाद भी किया. सीएम ने कार्यक्रम के दौरान ही ऐलान किया कि जिन वनवासियों को पट्टे दिये गए हैं उनके खेतों में पानी की भी व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी, ताकि वनवासी अच्छी फसल तैयार कर सकें और जमीन का भरपूर फायदा उठा सकें. सीएम ने कार्यक्रम के दौरान ही सभी जिलों के कलेक्टर को पानी की व्यवस्था करने के निर्देश दिए.
सरकार वनवासियों के साथ है
इस कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस की सरकार को वनवासियों की उपेक्षा के लिए जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि 15 साल पहले प्रदेश में ट्राइबल डिपार्टमेंट का बजट केवल 600 करोड़ रुपये था जो आज 7300 करोड़ रुपये है. उन्होंने कहा कि सरकार अब आदिवासी बच्चों को जो कॉलेज जाते हैं उन्हें छात्रासवास की सुविधा भी देगी. अगर आदिवासी बच्चों का विदेश की यूनिवर्सिटी में एडमिशन होगा तो उसकी फीस सरकार भरेगी इतना ही नहीं आदिवासियों के बच्चों को पायलट की ट्रेनिंग देना भी शुरू किया जा रहा है. साल 2006 से पहले तक जिनके कब्जे हैं उन्हें पट्टा देने का अभियान चलाया जाएगा, लेकिन अब वनों को बचाने के लिए काम करना होगा. लिहाजा 2006 के बाद पट्टे नहीं दिए जाएंगे.