इस घटना की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दे दिए गए हैं.
इससे पहले प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी एम वाय अस्पताल (M Y Hospital) में एक लावारिस लाश (Deadbody) अंतिम संस्कार के इंतज़ार में कंकाल बन गयी थी
इंदौर के अन्नपूर्णा थाना इलाके में स्थित यूनिक अस्पताल में तीन दिन पहले 87 वर्षीय बुजुर्ग नवीन चंद जैन को भर्ती कराया गया था. उन्हें कोरोना हो गया था. रविवार दोपहर तक वह परिवार से फोन पर बात कर रहे थे. उस दौरान उन्होंने खुद या किसी डॉक्टर ने उनकी हालत गंभीर होने की कोई बात नहीं की. अस्पताल प्रबंधन ने सीधे उनकी मौत की सूचना दी. खबर सुनकर जब परिवार के लोग अस्पताल पहुंचे तो उन्हें एक लाख से अधिक का बिल थमा दिया गया. बिल जमा करने के बाद शव परिवार को सौंपा गया.
सन्न रह गया परिवार
शव की हालत देखकर परिवार के लोग सन्न रह गए. शव के चेहरे और पैर में गहरे घाव थे. परिवार का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने शव को कहीं ऐसी जगह पटक दिया,जहां चूहे थे और चूहों ने शव को कुतर दिया. परिवार से मिली जानकारी के मुताबिक मृतक की एक आंख पूरी तरह छतिग्रस्त थी. अपने बुज़ुर्ग की ये हालत देखकर परिवार ने शव को अस्पताल के बाहर रखकर हंगामा शुरू कर दिया. मौके पर पहुंची पुलिस ने समझा सबको शांत किया. हालांकि काफी देर बाद भी अस्पताल की तरफ से कोई जिम्मेदार नहीं आया जो विस्तृत जानकारी परिवार को दे सकता.परिवार को संदेह
मृतक के परिवार की सदस्य प्राची जैन के मुताबिक कल शाम ही नवीन चंद जैन से बात हुई थी. तब वो ठीक लग रहे थे. ऐसा बिलकुल नहीं लगा कि उनकी हालत नाज़ुक है. अस्पताल प्रबंधन ने सीधे उनकी मौत की खबर दी. आज सुबह जब शव लेने आये तो मृतक के शरीर पर घाव थे. प्राची का साफ कहना है कि अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के कारण ऐसा हुआ. यदि अस्पताल प्रबंधन अगर कल रात ही बता देना तो हम रात में ही उनका शव घर ले जाते.
मजिस्ट्रियल जांच का आदेश
घटना की जानकारी मिलते ही इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने मामले में मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दे दिए हैं. एडीएम अजय देव शर्मा को इसकी जांच सौंपी गई है. इससे पहले प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी एम वाय अस्पताल में एक लावारिस लाश अंतिम संस्कार के इंतज़ार में कंकाल बन गयी थी.