The unemployed protested on the streets of the city by taking placards with slogans in their hands | हाथों में स्लोगन लिखी तख्तियां लेकर बेरोजगारों ने नगर की सड़कों पर किया विरोध-प्रदर्शन

The unemployed protested on the streets of the city by taking placards with slogans in their hands | हाथों में स्लोगन लिखी तख्तियां लेकर बेरोजगारों ने नगर की सड़कों पर किया विरोध-प्रदर्शन


गंजबासौदाएक घंटा पहले

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  • उप चुनाव की आचार संहिता लागू हो, उससे पहले नौकरियों के आदेश करें जारी

हाथों में तख्तियां लेकर सोमवार को सैकड़ों बेरोजगारों ने नगर की सड़कों पर प्रदर्शन किया। बोले मामा आश्वासन तो खूब सुनते आ रहे हैं अब हमें नौकरी चाहिए। इसलिए चुनाव आचार संहिता लागू हो उससे पहले नौकरियों के लिए आदेश जारी करें। हम आपसे भीख नहीं हक मांग रहे हैं। प्रदर्शनकारी छात्र छात्राओं ने मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को ज्ञापन दिया।

बेरोजगारों का कहना था कि 12 वर्षों से एम पीपीएससी एग्जामिनेशन सर्विस , 6 वर्षों से आदिम जाति कल्याण विभाग , 12 सालों से ‌ कमर्शियल टेस्ट खाद बीज निगम में, 11 वर्षों से खेल विभाग में, 9 साल से कृषि विभाग में, कृषि कल्याण पंचायत एवं ग्रामीण विभाग में 8 वर्षों से आयुष विभाग में 7 साल से ऑडिट व डेरी फूड मैं 5 साल से कोई भर्ती नहीं हुई है।

3 सालों से पुलिस कांस्टेबल सब इंस्पेक्टर सब इंजीनियर वनरक्षक पटवारी ड्रग इंस्पेक्टर आदि की भी भर्ती नहीं हुई है। 3 साल पहले पटवारी परीक्षा पास किए हुए छात्र भी अफसरशाही की गलतियों की सजा भुगत रहे हैं शिक्षक वर्ग 12 जूनियर सेल्समैन एन एच एम लैब टेक्नीशियन अपना स्थान बना लेने के बाद भी भटक रहे हैं। हालत यह है कि पुलिस आरक्षक के 15000 एस आई के 2500 कृषि उद्यानिकी विभाग अकाउंट मैं 5129 पदों की भर्ती प्रक्रिया शीघ्र प्रारंभ की जाए। शिक्षक वर्ग 1 , 2 व 3 के 70000 रिक्त पदों की पूर्ति के लिए कार्रवाई की जाए। हालत यह है कि प्रदेश के सभी विभागों में हजारों की संख्या में पद खाली पड़े हुए हैं। 3 साल से कोई भर्ती नहीं हुई है।

परिणाम स्वरूप नौकरी की प्रतीक्षा में बैठे छात्र-छात्राओं की आयु भी लगातार बढ़ती जा रही है। इससे उनको अयोग्यता का खतरा सर पर मंडरा रहा है। परिजनों ने पढ़ाई लिखाई पर लाखों रुपए खर्च किए। उनके होनहार बच्चे परिवार का सहारा बन सके। लेकिन हालात यह है कि योग्यता होते हुए भी हम अपने परिजनों पर बोझ बने हुए हैं। सरकार ने अब तक घोषणाएं की हैं। उन पर अमल नहीं। इसलिए चुनावी आचार संहिता लगने से पहले भर्ती प्रक्रिया शुरू कराई जाए। वरना उनको सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। बेरोजगारी की आग सरकार को महंगी पड़ेगी। क्योंकि परेशान होकर आए दिन बेरोजगार आत्महत्या को मजबूर हो रहे।

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