CBRI की टीम में डॉ अचल मित्तल, डॉ देवदत्त घोष, दीपक एस और ऋषभ अग्रवाल शामिल हैं.
इससे पहले टीम (team) ने 7 सितंबर 2017 को मंदिर (Temple) के स्ट्रक्चर का जायजा लिया था. उसे मंदिर के ऊपरी हिस्से में कई जगह स्ट्रक्चर कमजोर लगा था.
- News18Hindi
- Last Updated:
September 22, 2020, 4:00 PM IST
विश्व प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में शिवलिंग के क्षरण को लेकर देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगायी गयी थी.इस याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में महाकाल मंदिर के पूरे स्ट्रक्चर की मजबूती जांचने के लिए केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) रुड़की को आदेश दिया था. अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि इस पूरे काम पर आने वाला 41 लाख रुपए का खर्च महाकाल मंदिर समिति वहन करेगी.
टीम ने की नापजोख
आज सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की से (CBRI ) का चार सदस्यीय दल महाकाल मंदिर पहुंचा. टीम ने यहां पहुंच कर सबसे पहले महाकाल मंदिर के शिखर पर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर का निरीक्षण कर अपने काम की शुरुआत की. ये मंदिर साल में सिर्फ एक बार नागपंचमी पर खुलता है.CBRI ने मंदिर के स्ट्रक्चर की मजबूती देखने के लिए अलग-अलग यंत्रों से नापजोख की. 4 सदस्यों की इस टीम जिसमें डॉक्टर अचल मित्तल, डॉक्टर देवदत्त घोष, दीपक एस और ऋषभ अग्रवाल शामिल हैं. यह चारों 24 सितंबर तक उज्जैन में रहकर महाकाल मंदिर के भवन की मजबूती की जांच करेंगे. टीम अगले 6 महीने में अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार के सामने पेश करेगी.
ऊपरी हिस्सा कमज़ोर
इससे पहले कमेटी ने 7 सितंबर 2017 को मंदिर के स्ट्रक्चर का जायजा लिया था. उसे मंदिर के ऊपरी हिस्से में कई जगह स्ट्रक्चर कमजोर लगा था.मामला सुप्रीम कोर्ट में होने के कारण टीम के किसी सदस्य ने फिलहाल इस पूरे मामले में मीडिया से बात नहीं की.