नालायक, मक्कार और बंटाधार मध्य प्रदेश में वोटरों को कितना लुभा पाएंगे! | – News in Hindi

नालायक, मक्कार और बंटाधार मध्य प्रदेश में वोटरों को कितना लुभा पाएंगे! | – News in Hindi


चुनाव आयोग (Election commission) द्वारा बिहार विधानसभा के चुनाव के साथ मध्‍य प्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव (MP Assembly by-election) कराए जाने के संकेत दिए गए हैं. जबकि प्रचार के दौरान इस बार नालायक और मक्कार जैसे शब्‍द खूब चर्चा में हैं.

Source: News18Hindi
Last updated on: September 23, 2020, 5:06 PM IST

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मध्य प्रदेश में 28 सीटों के लिए विधानसभा के उपचुनाव (Assembly by-election) होना है. भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) और कांग्रेस (Congress) के लिए यह चुनाव आम चुनाव से भी ज्यादा खास है. चुनाव आयोग द्वारा बिहार विधानसभा के चुनाव के साथ उपचुनाव कराए जाने के संकेत दिए गए हैं. बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच राजनीतिक दलों का प्रचार अभियान भी तेज हो रहा है तो, जुबानी जंग भी तेज हो चली है. जबकि इस जंग में नालायक-मक्कार जैसे शब्दों का उपयोग भी हो रहा है.

कांग्रेस ने सिंधिया के खिलाफ छेड़ रखी है मुहिम
सिंधिया के बाइस विधायकों के साथ कांग्रेस पार्टी छोड़ने के बाद राज्य में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी थी. राज्य में आम चुनाव नवंबर 2018 में हुए थे. चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था. कांग्रेस ने बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और निर्दलीय विधायकों की मदद से सरकार बनाई थी. कांग्रेस को चुनाव में कुल 114 सीटें मिलीं थीं. साधारण बहुमत से सरकार बनाने के लिए 116 सीटों की जरूरत होती है. कमलनाथ के नेतृत्व में बनी कांग्रेस की सरकार सिर्फ पंद्रह माह ही चल पाई थी और इसी साल मार्च में ज्योतिररादित्य सिंधिया ने अपने समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी. विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया था. कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के बाद भारतीय जनता पार्टी सदन में विधायकों की संख्या के आधार पर सबसे बड़ा राजनीतिक दल बन गया. इसी गणित से सरकार भी बना ली.

सरकार गिरने के बाद से ही सिंधिया, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के निशाने पर हैं. दोनों नेताओं के समर्थक सिंधिया के खिलाफ लगातार अभियान चलाए हुए हैं. उन्हें श्रीअंत का नाम दिया है. सिंधिया, ग्वालियर राज परिवार के उत्तराधिकारी हैं और राज परिवार के सदस्यों के नाम के आगे श्रीमंत लिखे जाने की परंपरा है.

मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभग के उपाध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता कहते हैं कि हाथ के पंजा निशान पर चुने गए विधायकों ने इस्तीफा देकर पार्टी के साथ गद्दारी की है. हमारा प्रचार अभियान भी गद्दार पर ही के्द्रिरत है. अपने प्रचार को मजबूती देने के लिए ही कमलनाथ अपनी ग्वालियर यात्रा के दौरान रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर श्रद्धांजलि देने गए थे. ग्वालियर निवासी मनोज मुटाटकर कहते हैं कि सिंधिया के नाम के आगे श्रीअंत लिखने से कांग्रेस नेताओं की सोच का पता चलता है.

कमलनाथ ने लायकी पर उठाए सवाल तो निकला नालायक
कमलनाथ ने अपनी ग्वालियर यात्रा के दौरान पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि शिवराज सिंह चौहान इतने नालायक नहीं कि वे यह न समझ पाएं कि किसानें की कर्ज माफी कैसे हुई? कमलनाथ का दावा है कि कांग्रेस की पंद्रह महीने की सरकार में 26 लाख किसानों का कर्ज माफ हुआ. कमलनाथ की जुबां पर नालायक शब्द आया तो भाजपा ने उन्हें मिस्टर मक्कार का खिताब देने में देर नहीं की. मध्य प्रदेश भाजपा के आधिकरिक ट्वीटर अकाउंट पर एक वीडियो जारी कर उन कारणों को गिनाया गया जिनके चलते उन्हें श्रीमान मक्कार का नाम दिया गया है. इस वीडियो में किसानों की कर्ज माफी को झूठा बताया गया है. नालायक पर चुप मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी नहीं रहे. उन्होंने कमलनाथ पर पलटवार करते हुए कहा कि जो सभी को एक भाव से देखे, गरीबों का सम्मान करें, किसान के कल्याण की योजना बनाएं, वो लायक हैं या नालायक, यह फैसला जनता को करना है.

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि पंद्रह महीने की सरकार में मंत्रालय दलालों का अड्डा बन गया था और विकास ठप हो गया था.

दिग्विजय सिंह को बंटाधार का नाम देकर भाजपा ने हासिल की थी सत्ता
भारतीय जनता पार्टी पिछले छह महीने में कमलनाथ के खिलाफ कोई बड़ा मुद्दा खड़ा नहीं कर पाई है. भाजपा नेता गोविंद मालू कहते हैं कि किसानों की कर्ज माफी सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है. कांग्रेस ने वादे के अनुसार किसानों का दो लाख रुपये तक का कर्ज माफ नहीं किया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने भाषणों में लगातार किसानों की कर्ज माफी न होने का जिक्र कर रहे हैं. जबकि मेधावी छात्रों को प्रोत्साहन स्वरूप दिए जाने वाले लैपटॉप की योजना बंद किए जाने पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं. भाजपा के रणनीतिकारों को लग रहा था कि कमलनाथ के खिलाफ बंटाधारा जैसा ही कोई टाइटल चुनावी लड़ाई को इकतरफा बना सकता है. यही कारण है कि कमलनाथ के लिए श्रीमान मक्कार का टाइटल दिया गया. बंटाधार का टाइटल वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को दिया गया था. भाजपा की ओर से उमा भारती मुख्यमंत्री का चेहरा थीं. चुनाव में भाजपा को एतिहासिक जीत हासिल हुई थी और सत्रह साल बाद भी दिग्विजय सिंह मिस्टर बंटाधार की अपनी छवि को जनता के बीच तोड़ नहीं पाए हैं.


First published: September 23, 2020, 5:03 PM IST





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