9376 farmers had crop insurance, only 616 got compensation, 214 of which were less than one thousand rupees | 9376 किसानों ने कराया था फसल बीमा, सिर्फ 616 को मिला मुआवजा, इनमें से 214 को एक हजार रुपए से भी कम

9376 farmers had crop insurance, only 616 got compensation, 214 of which were less than one thousand rupees | 9376 किसानों ने कराया था फसल बीमा, सिर्फ 616 को मिला मुआवजा, इनमें से 214 को एक हजार रुपए से भी कम


टीकमगढ़12 घंटे पहले

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  • जिले के तीन ब्लॉकों को मिलाकर सिर्फ 616 किसानों को खरीफ फसल 2019-20 का बीमा राशि 20 लाख 99 हजार 161 रुपए स्वीकृत

(सुमित कुमार चौबे)
किसानों को लुभाने के लिए सरकार भले ही कई योजनाओं के तहत करोड़ों रुपए खर्च करने की बात करें, लेकिन किसानों तक पहुंचते -पहुंचते कराेड़ों रुपए की योजनाएं सिर्फ 100-200 रुपए में बदल जाती है। इसी प्रत्यक्ष उदाहरण अभी हाल ही में सामने आया है। जिले में 9 हजार 376 किसानों के खरीफ फसल का बीमा कराया था । जिनमें से मात्र 616 लोगों को मुआवजा स्वीकृत हुआ उनमें भी 214 किसान एसे थे जिन्हें एक हजार रुपए से भी कम मुआवजा स्वीकृत किया गया।
कुछ दिन पहले मप्र के उज्जैन में एक कार्यक्रम के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने एक क्लिक से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनांतर्गत खरीफ वर्ष 2019 की फसल बीमा दावा राशि 4 हजार 688 करोड़ रुपए प्रदेश के लगभग 22 लाख किसानों के खातों में ट्रांसफर किए गए, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा दी गई इस बीमित राशि का जिले के किसानों को नाममात्र भी लाभ नहीं पहुंचा है।
किसानों का कहना है कि जितने रुपए देकर बीमा कराया था।

उस हिसाब से बीमित राशि ही नहीं मिली है। इसके अलावा लिस्ट में अन्य अनियमितताएं भी देखने मिली। जिसमें गांव के बीमित किसानों से अधिक किसानों को बीमा का लाभ दिया गया, जो समझ से परे हैं। हालांकि इस बारे में विभागीय अधिकारी भी कुछ कह पाने में सक्षम दिखाई नहीं दिए। गौरतलब है कि टीकमगढ़ जिले के 9 हजार 376 किसानों की 16 हजार 857 हेक्टेयर फसल का बीमा किया गया था। जिसके लिए किसानों ने 61 लाख 82 हजार 985 रुपए प्रीमियम के जमा किए थे।

इसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकार का अंशदान मिलाकर प्रीमियम की राशि 3 करोड़ 30 लाख 85 हजार 581 रुपए हुई थी। इनमें टीकमगढ़ जिले की तीनों ब्लॉकों को मिलाकर सिर्फ 616 किसानों को खरीफ फसल 2019-20 का बीमा राशि 20 लाख 99 हजार 161 रुपए स्वीकृत किए गए हैं। जिले के 8 किसानों को 300 रुपए, 28 किसानों को 300-500 के बीच, 178 किसानों को 500-1000 और 402 किसान ऐसे हैं जिन्हें 1000 से अधिक बीमा की राशि स्वीकृत हुई है। इनमें से लिधौरा के जेवर गांव के िसर्फ एक किसान को तिल 364 रुपए मुआवजा दिया गया है।

वहीं अन्य सभी किसानों को सोयाबीन की बीमा राशि जारी की गई है। ऐसे में किसानों के राजनीतिक व गैर राजनीतिक संगठन आगामी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। इस मामले में किसान कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अभय रिंकू भदौरा का कहना है कि मप्र की भाजपा सरकार की कथनी और करनी में जमीन आसमान का फर्क है। किसानों को हजारों करोड़ रुपए देने की बात करके सिर्फ 100-200 रुपए देकर चलता कर दिया जाता है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि विधायकों की खरीद फरोख्त में खर्च किए गए रुपए की वसूली किसानों के हक वाले रुपए से भाजपा सरकार कर रही है। क्योंकि बीमा करवाते समय किसानों सपने दिखाए गए थे कि बीमा करवाने फसल के नुकसान की पूरी भरपाई की जाएगी।

कई गांव में देखने मिली अनियमितताएं
जिले के कई गांवों में बीमा का मुआवजा देने के लिए सरकार की अनियमितताएं देखने मिलीं। जिले के कई गांव ऐसे हैं। जिनमें बीमा कराने वाले किसानों से अधिक किसानों को बीमा का लाभ दे दिया गया। इनमें अस्तौन खास में 132 किसानों ने बीमा कराया था। जबकि इस गांव में 271 किसानों को लाभांवित किया गया। इसके अलावा गणेशगंज, लखौरा, बल्देवगढ़ के डुम्बार, गणेशपुरा, गुखरई, बनैरा सहित कई गांव में इसी तरह की अनियमितताएं देखने मिलीं। जो समझ से परे है।

किसान बोले- हममें इतनी ताकत नहीं कि सरकार से लड़ सकें

अस्तौन गांव के किसान जानकी चौरसिया का कहना है कि मेरे पास 3 एकड़ जमीन है। पिछली साल बारिश में पूरी फसल खराब हो गई थी। सोचा थी बीमा की राशि से नुकसान की भरपाई हो जाएगी, लेकिन बीमा की राशि 9 सौ रुपए दी गई। जबकि बीमा कराने के लिए ही करीब 5 सौ रुपए खर्च करने पड़ा था। खेत में खड़ी फसल को 100 फीसदी नुकसान था। इसके बाद भी सिर्फ 9 सौ रुपए का मुआवजा मिला, यह हमारी समझ से परे हैं।

अस्तौन गांव के ही किसान दरू विश्वकर्मा ने बताया कि सवा दो एकड़ जमीन है। बीमा कराबे के लाने हमने सरकार खो 7 सौ रुपए दए ते। अब मुआवजा हमें सवा दो एकड़ खेत को 682 रुपैया मिले। अब हम तो इतने पढ़े-लिखे हैं नैया कि हिसाब किताब लगा पाएं के कै गुना मुआवजा हमें मिलो। मनो इतनो समझ में आ गओ कि बीमा करवाबे से फायदा नहीं भओ उलटो नुकसान और हो गओ। अब परिवार पालबो मुश्किल दिखा रओ।

गणेशगंज के किसान रामदास बिदुआ ने बताया कि 2019-20 में खरीफ फसल को बारिश से भारी नुकसान पहुंचा था। करीब ढाई एकड़ फसल का बीमा कराया था। बीमा कराने के लिए 672 रुपए खर्च किए थे और मुआवजा अब सरकार ने 610 रुपए दिए। यह तो अंधेरगर्दी मची है। हम किसानों को आज तक न तो सरकार का सर्वे समझ और न ही बीमा का मुआवजा किस अनुपात में दिया जाता है। उन्हांेने कहा कि जो किसान खेती पर निर्भर हैं। वह तो सरकार की मुआवजा राशि से आबाद होने की जगह बर्वाद हो गए।

आंकलन के आधार पर दिया गया मुआवजा

कृषि उपसंचालक एसके श्रीवास्तव का कहना है कि किसानों को औसत उपज और ट्रेस होल्ड उपज के आंकलन के आधार पर बीमा राशि स्वीकृत हुई है। वहीं अभी केवल टीकमगढ़ क्षेत्र में सोयाबीन की बीमा राशि दी गई है। हालांकि उड़द फसल की बीमा राशि की लिस्ट भी जल्द आने की उम्मीद है। इसके अलावा गांव में बीमित किसानों से अधिक किसानों को मुआवजा मिलने के बारे में अभी जानकारी नहीं है। लिस्ट दिखवाते हैं।

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