Seasonal diseases increased, but Deendayal Mobile Hospital is not benefiting | मौसमी बीमारियां बढ़ीं, लेकिन दीनदयाल चलित अस्पताल का नहीं मिल रहा फायदा

Seasonal diseases increased, but Deendayal Mobile Hospital is not benefiting | मौसमी बीमारियां बढ़ीं, लेकिन दीनदयाल चलित अस्पताल का नहीं मिल रहा फायदा


विदिशा11 घंटे पहले

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  • इलाज नहीं मिलने पर ग्रामीणों को मजबूरी में नीम-हकीमों से कराना पड़ रहा उपचार

सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ सुविधाएं पहुंचाने के लिए दीनदयाल चलित अस्पताल पर हर महीने लाखों रुपए खर्च कर रही है लेकिन कोरोना संकटकाल में जहां ग्रामीण क्षेत्र में मौसमी बीमारियों के परेशान है। बीमारियों से जूझ रहे हैं। उपचार के लिए परेशान हैं। नीम हकीमों के ही भरोसे हैं। दूसरी ओर हालत यह हैं कि इस चलित अस्पताल का ग्रामीण क्षेत्रों में लाभ नहीं मिल रहा है। चलित अस्पताल कब आती है। कब चली जाती है। ग्रामीणों को पता ही नहीं रहता। कर्मचारी गांव में जाने के स्थान पर सड़क किनारे सुनसान जगह दिन बिताते हैं। शाम को वापस चले आते है। चलित अस्पताल का उपचार सिर्फ कागजों तक ही सीमित है। उपचार और दवाओं की फर्जी सीटें तैयार की जाती हैं। बारिश थमते ही गर्मी और ठंडक के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में सर्दी,जुकाम, बुखार, पेट दर्द, उल्टी केे मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। गांवों में बने स्वास्थ केंद्रों में ताले लगे रहते हैं। किसी को पता नहीं कब आती: ग्राम सिरनोटा से उदयपुर 20 किलो मीटर क्षेत्र में सड़क किनारे एक दर्जन गांव पढ़ते है। मंगलवार को जब ग्राम सिरनोटा के राकेश जैन से पूछा दीनदयाल चलित अस्पताल किस दिन आता है। बोले कभी कभार निकलती है। रुकती नहीं। ग्राम कुचौली के मदन सेन ने बताया कभी कभार दोपहर में आती है। पेड़ के नीचे खड़ी होती उसमें सवार डाक्टर कर्मचारी आराम करत रहते है। गांव में नहीं जाती। ग्राम मूडऱी, भिलायां, बड़ाहार साहवा के ग्रामीणों ने तो कहा सरकारी डिब्बा महीने में एक दो बार दिखता ज़रुर है। रुकता नहीं। उपचार भी नहीं मिलता उपस्वास्थ केंद्र बंद रहते है: विकासखंड में कुल 38 स्वास्थ केंद्र हैं। इनमें से आठ के भवन नहीं है। आंगनवाड़ी केंद्र से जोड़ा गया है। इनमें एएनएम की ड्यूटी रहती है। लेकिन ताला लगा रहता है। एएनएम हमेशा भ्रमण पर रहती है। टीका करण का बहना लेकर उपस्थिति से पल्ला झाड़ लेती हैं। सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र महाराज ने बताया ग्राम औरंगपुर बावली लमन्यां सूजा बासौदा के ग्रामीणों ने चलित अस्पताल की शक्ल नहीं देखी। बाबली के उप स्वास्थ केंद्र का ताला पंद्रह दिन में एक बार खुलता है। किंतु उपचार के लिए नहीं। उपस्थिति दर्ज कराने। ग्रामीणों को उप स्वास्थ केंद्र का लाभ नहीं मिल पाता। ग्रामीणों के सामने ऐसी हालत में उपचार के लिए सिर्फ एक ही रास्ता बचता है।

त्योंदा में 101 पंचायत के 312 गांव
त्योंदा सामुदायिक स्वास्थ केंद्र के पारस विकासखंड की 101 ग्राम पंचायतों के अंतर्गत आने वाले 312 गांवों को उपचार व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपी गई है। लेकिन हालत त्योंदा सामुदायिक स्वास्थ केंद्र 30 बिस्तरों वाला अस्पताल है। प्रसूतिगृह भी है। डाक्टरों के छह पद है। वर्तमान में तीन डाक्टर पदस्थ है। एक डॉक्टर पर वर्तमान कोरोना संक्रमण का जिम्मा होने से फील्ड से फुर्सत नहीं। दो डाक्टर अस्पताल मुख्यालय पर सेवाएं दे रहे है। इनमें से एक डाक्टर बांड पर है। उसकी अवधी खत्म होने वाली है। महिला डाक्टर का पद वर्षों से खाली पढ़ा है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्र की स्वास्थ सेवा किस हालत में है।

उप स्वास्थ्य केंद्र में एएनएम हैं पदस्थ ^दीनदयाल चलित वाहन को एनजीओ चला रही है। वह कहां जा रहा है उसे रिर्पोट करना चाहिए। सभी उप स्वास्थ केंद्र में एएनएम पदस्थ हैं। सप्ताह में दो दिन टीका करण के कारण भ्रमण पर रहती हैं। इस कारण केंद्र पर उपस्थित नहीं रहती। डा. लोकेंद्रसिंह रघुवंशी, बीएमओ सामुदायिक स्वास्थ केंद्र त्योंदा।

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