नागदा15 मिनट पहले
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- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देश, घरों के सीवेज का पानी चंबल में मिलने पर लगेगी रोक
शहर के सीवेज का पानी चंबल में सीधे मिलने पर मार्च तक रोक लग जाएगी, यानी मार्च-2021 तक नागदा नपा परिषद संपूर्ण शहर के सीवेज का पानी उपचारित करने के बाद ही चंबल में छोड़ेगी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नपा को समय सीमा में ट्रीटमेंट प्लांट का काम पूरा करने के निर्देश भी जारी कर दिए हैं। गौरतलब है कि इसके पहले केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले रसायनयुक्त पानी को भी चंबल में मिलने से रोकने के लिए स्थानीय उद्योगों को जेडएलडी (जीरो लिक्विड डिस्चार्ज) प्लांट लगाने का आदेश दे चुका है। इसके तहत लैंक्सेस व केमिकल डिविजन में प्लांट शुरू भी हो चुका है। ग्रेसिम स्टेबल फाइबर डिविजन में जेडएलडी प्लांट का काम तेजी से चल रहा है।
सीधे चंबल नदी में मिल रहा शहर के सीवरेज का सारा पानी
अब तक शहर के सीवरेज का सारा पानी सीधे चंबल नदी में मिल रहा है। बोर्ड ने अपनी कार्रवाई विवरण में चंबल में अउपचारित सीवेज को रोककर बॉयोरिमेडिएशन तत्काल प्रारंभ करने के निर्देश दिए हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देश पर मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 9 सितंबर को वीडियाे कॉन्फ्रेंसिंग कर इस प्रोजेक्ट की समीक्षा भी कर ली है। बैठक बोर्ड के उच्च अधिकारियों एवं नागदा उद्योग के अधिकारियों के बीच हुई। इसमें 11 अधिकारियों एवं प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था।
इस बैठक में नपा सीएमओ अशफाक खान भी मौजूद थे। समीक्षा बैठक की जानकारी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अतिरिक्त निदेशक एवं डिवीजन हेड आईपीसी-1 दीनानाथ गोडा के हस्ताक्षर से डाॅ. सुसान जार्क के – एससी, डीसीपी डिविजन मंत्रालय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन भारत सरकार नई दिल्ली को प्रेषित की है। यह पत्र नई दिल्ली से 21 सितंबर 2020 को जारी किया गया।
केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड को शिकायत करने के बाद कार्रवाई
रेलवे सलाहकार समिति के पूर्व सदस्य अभिषेक चौरसिया ने जानकारी देते
हुए बताया कि चंबल नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए उन्होंने केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड को शिकायत के माध्यम से अवगत कराया था। इस पर क्रियान्वयन शुरू करने की लिखित सूचना केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड से उन्हें सोमवार को मिली है।
चंबल शुद्धिकरण योजना फेल होने के बाद बनी नई योजना
बता दें कि इसके पहले भी चंबल को शहर के सीवेज और औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले प्रदूषित पानी से बचाने के लिए साल 1998 में चंबल शुद्धिकरण योजना प्रस्तावित की गई थी। योजना के तहत चंबल सागर मार्ग पर गंदे नाले पर सीवेज और रासायनिक पानी को उपचारित करने के लिए करोड़ों रुपए का खर्च भी किया गया था। मगर नपा परिषद द्वारा योजना के संचालन में काफी खर्च बताकर प्रोजेक्ट को हैंडओवर करने से इनकार कर दिया था। ऐसे में प्रस्तावित योजना सफल होती है तो चंबल में प्रदूषित पानी मिलने से पूरी तरह रोक लग सकेगी। इससे चंबल के डाउन स्ट्रीम के गांवों में प्रदूषित हुआ भू-जल स्तर में भी सुधार हो सकेगा।
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