सागर12 घंटे पहले
- कॉपी लिंक
- नई शिक्षा नीति के तहत 2035 के बाद स्वरूप बदेलेगा
सेंट्रल यूनिवर्सिटी की अलग अवस्थाएं हैं। उनका सिलेबस भी अलग हो जाता है। स्टाफ भी अलग हो जाता है और तरीके भी अलग हो जाते हैं। ऐसे में स्टेट के कॉलेजों के विद्यार्थी राज्य के विवि से ही जुड़े गए हैं। नई शिक्षा नीति के तहत 2035 के बाद विश्वविद्यालयों का स्वरूप ही बदल जाएगा।
कॉलेज अपनी परीक्षा कराएंगे। वह अपने सिलेबस तय करेंगे और ऑटोनॉमस बॉडी की तरह काम करेंगे। ऐसे में छतरपुर से जुड़े कॉलेजों को सागर विवि से जुड़ने की कोई जरूरत नहीं है। हां अगर विद्यार्थियों को कोई समस्या आती है तो उसके लिए मैं पूरी तरह से तैयार हूं। छतरपुर विश्वविद्यालय में अगले सत्र से पढ़ाई शुरू होगी। यह बात प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने भास्कर से विशेष बातचीत में कही। उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे का कोर्ट से निराकरण नहीं हो पाने के कारण प्रदेश में प्राचार्य के 93 परसेंट पदों पर प्रभारी प्राचार्य से काम कराया जा रहा है। मात्र 7 प्रतिशत प्राचार्य रेगुलर हैं।
ऐसे में यह रास्ता निकाल रहे हैं कि प्रभारी प्राचार्य को ट्रेनिंग करा कर उन्हें सब प्रकार से सक्षम बनाएंगे ताकि वे कॉलेज को पूरी तरह से संभाल लें। कॉलेजों में जनभागीदारी समिति के सवाल पर उन्होंने कहा कि समितियों की नियुक्ति को लेकर हम जल्दी ही निर्णय लेने वाले हैं। इसके लिए हमने एक पॉलिसी भी बनाई है।कॉलेजों में आउटसोर्स से हुई नियुक्तियों में भी कई तरह की शिकायतें और गड़बड़ी सामने आई थी। ऐसे में हम इसको लेकर भी पॉलिसी बना रहे हैं। कॉलेजों में नए कोर्स को लेकर हमने साफ निर्देश दिए हैं कि ऑनर्स कोर्स जरूर शुरू करें आजकल ऑनर्स का जमाना है। इसे 13 राज्यों ने अपनाया है। इस मौके पर महाराजा छत्रसाल विवि के कुलपति प्रो. टीआर थापक भी मौजूद थे
0