Crisis of livelihood in front of 27 thousand employees; Factories start to breathe due to lack of oxygen, angry entrepreneurs do the trick | 27 हजार कर्मचारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट; ऑक्सीजन न मिलने से फूलने लगीं कारखानों की सांसें, गुस्साए उद्यमियों ने किया चक्काजाम

Crisis of livelihood in front of 27 thousand employees; Factories start to breathe due to lack of oxygen, angry entrepreneurs do the trick | 27 हजार कर्मचारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट; ऑक्सीजन न मिलने से फूलने लगीं कारखानों की सांसें, गुस्साए उद्यमियों ने किया चक्काजाम


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भोपाल2 मिनट पहले

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ऑक्सीजन की मांग को लेकर गाेविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र में प्रदर्शन करते उद्योग संचालक।

  • 700 से ज्यादा उद्योगों काे इसकी जरूरत, लेकिन नहीं मिलने से काम ठप
  • 50 करोड़ का नुकसान रोजाना उद्योगों को उठाना पड़ रहा
  • 30% मांगी थी, 10% के आदेश भी हाे गए, फिर भी नहीं मिली

गाेविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र का मुख्य द्वार, बुधवार दाेपहर एक बजे… हाथाें में बैनर लेकर नारेबाजी करते कारखानाें के संचालक और कर्मचारी। प्रदर्शनकारी उद्योगों को ऑक्सीजन देने की मांग काे लेकर प्रशासन के खिलाफ नारे लगा रहे थे और चक्काजाम कर दिया। हालांकि पुलिस अधिकारियाें की समझाइश के बाद प्रदर्शनकारी वहां से हट गए।

प्रदर्शनकारियाें के बीच माैजूद गाेविंदपुरा इंडस्ट्रियल एसाेसिएशन के सचिव मदनलाल गुर्जर कहा कि पिछले 15 दिनाें से प्रशासन ने उद्याेगाें के लिए ऑक्सीजन देना बंद कर दिया है। इस दाैरान चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग, उद्याेग मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा, विधायक कृष्णा गाैर, कलेक्टर अविनाश लवानिया से भेंट कर उन्हें ज्ञापन साैंपा। इसके बावजूद सुनवाई नहीं हुई ताे प्रदर्शन करेने के लिए मजबूर हाेना पड़ा। एसाेसिएशन के पदाधिकारियाें ने बताया कि गोविंदपुरा और मंडीदीप में ऑक्सीजन के तीन बड़े सप्लायर हैं जिनके यहां शासन ने अपने कर्मचारी तैनात कर रखे हैं। ये निगरानी कर रहे हैं कि उद्योगों को ऑक्सीजन नहीं दी जाए।

70% कारखानाें में इसके बगैर काम नहीं चल सकता
एसाेसिएशन के अध्यक्ष अमरजीत सिंह का कहना है कि गोविंदपुरा में 1100 उद्योग स्थापित हैं। यहां के 70 फ़ीसदी उद्योगों को फेब्रिकेशन एवं मशीनिंग के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। रोजाना 600 सिलेंडर लगते हैं। एक सिलेंडर में 10 क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन हाेती है। अध्यक्ष ने बताया कि इन उद्योगों में करीब 27000 कर्मचारी कार्यरत हैं। कारखानाें में काम काज ठप हाेने से इन्हें वेतन भी नहीं मिल पा रहा है।

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