Hafiz gave the talisman to the minor, a friend brought the drug, two friends helped him escape | नाबालिग को ‌वश में करने हाफिज ने ताबीज दिया, एक दोस्त नशीला पदार्थ लाया, दो दोस्तों ने भागने में मदद की

Hafiz gave the talisman to the minor, a friend brought the drug, two friends helped him escape | नाबालिग को ‌वश में करने हाफिज ने ताबीज दिया, एक दोस्त नशीला पदार्थ लाया, दो दोस्तों ने भागने में मदद की


शिवपुरी10 घंटे पहले

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  • बाइक मैकेनिक, हाफिज व तीन दोस्त जेल पहुंचे

रन्नौद कस्बे से 15 साल की नाबालिग को अगवा कराने के पीछे हाफिज का षड्यंत्र निकला। रन्नौद थाना पुलिस ने 900 किमी तक पीछा कर नाबालिग को दमन और दीव से बरामद कर लिया और अपहरण कर ले गए बाइक मैकेनिक को भी धर दबोचा। नाबालिग को वशीकरण के लिए आरोपी हाफिज ने ताबीज बनाकर दिया था। ताबीज से लेकर नशे की दवा पहुंचाने से लेकर अगवा करने में मदद करने वाले तीन युवकों को भी पुलिस ने आरोपी बनाया है। बाइक मैकेनिक, हाफिज सहित पांच लोगों को गिरफ्तार कर न्यायालय भेजा, जहां से पांचों को जेल भेज दिया है।

15 साल पांच माह उम्र की नाबालिग लड़की 19 सितंबर की रात अचानक गायब हो गई थी। रन्नौद थाना पुलिस ने माता-पिता की रिपोर्ट पर अपहरण का मुकदमा दर्ज कर तुरंत ही छानबीन शुरू कर दी। सूत्रों से सूचना के आधार पर पुलिस टीम पीछा करते हुए इंदौर, गुजरात के सूरत होते हुए दमन और दीव पहुंची। यहां एक होटल से नाबालिग को बरामद कर लिया। उसे भगाने वाला रन्नौद कस्बे का बाइक मैकेनिक वाहिद (25) पुत्र करमत खान निकला। नाबालिग के बयान दर्ज किए और आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो अपहरण के पीछे की सारी सच्चाई सामने आ गई।

बाइक मैकेनिक वाहिद (25) पुत्र करमत खान ने 15 साल की नाबालिग का अपहरण करने के लिए हाफिज विलाल रजा निवासी बिहार की मदद ली। हाफिज विलाल रन्नौद कस्बे में ही रहता है। हाफिज विलाल ने जो ताबीज बनाकर दिया, उसे वाहिद के दोस्त रिजवान खान ने नाबालिग तक पहुंचाया। इसके बाद वह पूरी तरह वाहिद के वशीकरण में आ गई। कस्बे के ही दीपक कुशवाह ने मेडिकल स्टोर से नींद की गोलियां लाकर नाबालिग को दीं। नाबालिग ने चाय में गोलियां मिलाईं और माता-पिता को पिला दी। 19 सितंबर की रात 9.30 बजे विलाल उसे अगवा करके ले गया। वाहिद की मदद उसके दोस्त विट्‌टू उर्फ अमीनउद्दीन ने बाइक से बदरवास पहुंचाकर की। बदरवास से बस में बैठकर इंदौर और इंदौर से सीधे सूरत पहुंचे। सूरत से दमन और दीव पहुंच गए।



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