इंदौर16 मिनट पहले
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विजयवर्गीय पहली बार गृहमंत्री अमित शाह की टीम में महासचिव बने थे।
- भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कैलाश विजयवर्गीय के महासचिव के पद को बरकरार रखा
- सांवेर विधानसभा को लेकर कहा- तुलसी की जीत हमारी जीत, 25 हजार से ज्यादा मतों से जीतेंगे
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपनी नई कार्यकारिणी की घोषणा कर दी है, नई कार्यकारिणी में एक बार फिर से कैलाश विजयवर्गीय को महासचिव के पद पर बरकरार रखा गया है। अभाविप से राजनीतिक करियर शुरू करने वाले विजयवर्गीय की छवि कभी हार नहीं मानने वाले नेता की रही है। पार्टी ने जहां चुनाव लड़ने भेजा, जीते, जहां संगठन का काम सौंपा, सफल रहे। यही वजह है कि पहले अमित शाह और अब जेपी नड्डा ने भी उन पर भरोसा जताया। इस बार वैसे दायित्व के दोबारा मिलने में कई बाधाएं थीं। राजनीतिक विरोधी कई तरह की चर्चाएं चला रहे थे। उनसे ये संकेत मिलने लगे कि इस बार कुछ चौंकाने वाला हो सकता है, लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा ने अपनी टीम में उन्हें साथ लेकर सभी कयासों को गलत साबित कर दिया।
विजयवर्गीय ने फिर से जिम्मेदारी मिलने को लेकर कहा कि मेरी तो एक ही प्राथमिकता है, बंगाल में सरकार बनाना। पार्टी ने मुझे जो बंगाल की चुनौती दी है, मुझे लगता है कि महाकाली और महाकाल की कृपा से हम बंगाल में जरूर सरकार बनाएंगे। शिव-ज्योति के साथ चुनावी मंच पर कैलाश के नजर आने पर उन्होंने कहा कि मप्र में आने वाले समय में राजनीति की एक नई इबारत लिखी जाएगी। पिछले 12-13 महीने में प्रदेश काफी पिछड़ गया है, इसे फिर से पटरी पर लाने की जवाबदारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की है, हम उनका सहयोग करेंगे। सांवेर चुनाव को लेकर कहा कि तुलसी तो एक चेहरा हैं। यहां पर पार्टी की प्रतिष्ठा है। हमारे सामूहिक निर्णय हैं। इसलिए तुलसी की जीत हमारी जीत होगी। तुलसी जितेंगे तो हम जीतेंगे। हमारी जवाबदारी होगी कि तुलसी के जीतने के बाद इस क्षेत्र में आएं और जनता से उनकी समस्याओं को पूछें। इस बार हम 25 हजार से ज्यादा मतों से जीतेंगे।
कैलाश विजयवर्गीय ने कृषि बिल पर विरोधियों को बहस के लिए खुली चुनौती भी दी। उन्होंने कहा कि वे मंच पर आकर बताएं कि यह किसान के विरोध में कैसे है। यह बिल बिचौलिए और दलालों के विरोध में है, जो किसान हितैषी है वह इस बिल का विरोध कर ही नहीं सकता है। इसमें किसानों को स्वतंत्रता और अधिकार दिए गए हैं। पहले किसान जिले के बाहर अपनी उपज नहीं बेच सकते थे, अब वे अंतर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपज बेच सकते हैं। स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को कांग्रेस कहती रही लागू करेंगे, लेकिन अब जब प्रधानमंत्री ने उस रिपोर्ट के रिकमेंड को किसान बिल के हिसाब से लागू किया तो ये लोग उसका विरोध कर रहे हैं। ये किसानों के शुभचिंतक तो नहीं हैं।
पहले हरियाणा, फिर बंगाल में दिलाई जीत
2014 में कठिन माने जा रहे हरियाणा चुनाव के लिए आलाकमान ने विजयवर्गीय को जिम्मेदारी दी। वहां उन्होंने पार्टी को न सिर्फ जीत दिलाई, बल्कि बहुमत के साथ सरकार बनवाई। 2015 में वे पहली मर्तबा महासचिव बने। उन्हें पश्चिम बंगाल का प्रभारी बनाया, जहां पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 18 सीटें जीतीं।
कांग्रेस के गढ़ में चुनाव लड़े, जीते और फिर उसे भाजपा का गढ़ बनाया
1983 में पहली बार पार्षद बने विजयवर्गीय को चुनाव लड़ने का माहिर खिलाड़ी माना जाता है। 1990 में वे पहली बार चार नंबर विधानसभा से चुनाव जीते। इसके बाद चार नंबर विधानसभा में भाजपा कभी नहीं हारी। 1993 में दो नंबर सीट पर पहुंचे, जहां कांग्रेस का दबदबा था। इसे जीतकर भाजपा की सीट बनाया। यहां से 93 के अलावा, 98 और 2003 में जीते। 2008 में पार्टी ने एकदम नई जगह महू भेजा तो दो बार वहां से भी चुनाव जीतकर विश्लेषकों को हैरत में डाला। 1999 से 2004 तक वे महापौर भी रहे। 2003 में उमा भारती की सरकार में पहली बार मंत्री बनने के बाद लंबे समय तक मंत्रिमंडल में रहे।