भोपाल6 मिनट पहले
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कहने को तो राजधानी की सड़क हूं…लेकिन कुछ इलाके छोड़ दिए जाएं तो मैं कहीं गड्ढों में तो कहीं पोखर मेंं ही बसर कर रही हूं। क्योंकि कुछ जिम्मेदार मेरे ही हक का रास्ता खा गए।
मैं सड़क हूं भाेपाल की… अपना दर्द खुद ही बयां करती हूं- पूरी राजधानी में 4692 किमी का जाल है मेरा। 4 एजेंसियां अलग-अलग इलाकों में मुझे बनाती हैं, संवारती हैं। लेकिन भोपाल नगर निगम की मैं सबसे ज्यादा आभारी हूं। क्योंकि 3879 किमी के मेरे जाल को दुरुस्त रखने की जिम्मेदारी इसी की है। लेकिन न जाने मुझे बनाते समय जिम्मेदार पूरी संजीदगी क्यों नहीं रखते, क्यों डामर की क्वालिटी अच्छी नहीं होती।
जहां मुझे सीमेंट-कांक्रीट से बनाया जाता है, वहां भी पूरा काम बेहिसाब होता है। इन्हीं अनदेखियों का फायदा उठाती है बारिश.. और मैं छलनी-छलनी हो जाती हूं। बहुत बुरा लगता है- जब कोई मेरी जर्जरता के कारण घायल होता है, मरता है। लेकिन जिम्मेदारों को परवाह कहां। निगम की लापरवाही की बात करुं तो 250 किमी का मेरा हिस्सा खस्ताहाल है।
निगम ने 45 में से सिर्फ 5 करोड़ ही खर्च किए
मेरा 250 किमी का हिस्सा पिछले साल हुई बारिश में खस्ताहाल हो गया था। लेकिन निगम ने मेरी मरहम-पट्टी के लिए कुछ नहीं किया। पिछले साल मेरी मरम्मत के लिए खूब हंगामे हुए। बताते हैं 45 करोड़ मेरे मेंटेनेंस और डामरीकरण पर खर्च होने थे, लेकिन हुए सिर्फ 5 करोड़। अब निगम की हालत तो मुझसे भी बदतर हैं, क्योंकि खाते में राशि ही नहीं है। पीडब्ल्यूडी सालाना 20 करोड़ खर्च करती है, लेकिन यह राशि लिंक रोड-1 और 2 पर ही खर्च कर दी जाती है। क्योंकि वहां वीआईपी का आना-जाना है।
नाम की वीआईपी हूं… 25 करोड़ में बनी थी, अब मेरे मेंटेनेंस के लिए बजट नहीं

भ्रम में मत रहिएगा….मेरे नाम में सिर्फ वीआईपी जुड़ा है, हालत जर्जर ही है। भोज वेटलैंड प्रोजेक्ट के तहत 1998 में करीब 25 करोड़ की लागत से तैयार हुई थी। मेरे मेंटेनेंस के लिए 2018 में विस चुनाव से पहले सीएम इंफ्रा फंड से 5 करोड़ स्वीकृत हुए थे। लेकिन यह राशि अब तक नहीं मिली है।
आप ही बताएं खुद को सड़क कहूं या पोखर

मेरी दुर्दशा का इससे बड़ा साक्ष्य क्या दूं। कहने को तो सड़क हूं, लेकिन ये छोटे-छोटे पोखर मुझे चिढ़ाते हैं। यहां से निकलने वाले वाहन चालक सिस्टम को नहीं, मुझे कोसते हैं। कलेक्टोरेट से वीआईपी की ओर जाते वक्त आधे किमी में मेरा अस्तित्व ही नहीं है। हालांकि मुझे जिंदा रखने के लिए पीडब्ल्यूडी ने पिछले साल दिसंबर में मेरा पेचवर्क जरूर किया, लेकिन यह 6 महीने बाद ही मेरा यह हाल हो गया। जिम्मेदारों से भी मेरी उम्मीदें दम तोड़ चुकी है।
पाइपलाइन के कारण खोदा, शनिवार को लगा जाम, लोग मुझे ही कोसेंगे ना

पाइपलाइन बिछाने वालों को न जाने क्या दुश्मनी है मुझसे। हालांकि दोष इनका भी नहीं है, हमारे यहां प्लानिंग ही मुझे मिटाने की है। मनीषा मार्केट के पास से बंसल हॉस्पिटल तक मेरी हालत पर आपको भी रोना आ जाएगा। पहले कोलार पाइपलाइन बिछाने के लिए खुदाई की, इसके घटिया रेस्टोरेशन किया तो बारिश ने उसे छलनी कर दिया। बचे सिर्फ गड्ढे। पीडब्ल्यूडी ने तरस खाकर नगरीय आवास एवं विकास विभाग के अफसरों के समक्ष आपत्ति जताई, लेकिन फिर भी मैं दुरुस्त न हो पाई।
दो साल से ऐसी ही हूं, रहवासियों माफ करना, अफसर ही मेरी सुध नहीं ले रहे

पिछले दो साल से मेरी ऐसी ही हालत है। पिछले दो साल से सीपीए मुझे रिपेयर करने का काम कर रहा है, लेकिन शायद उनकी इच्छाशक्ति में कोई कमी रही होगी। मेरी इस दुर्दशा से विराशा हाईट्स, सागर प्रीमियम, सिग्नेचर 99, भूमिका परिसर समेत आसपास की कॉलोनियों के लोग निकलते वक्त मुझे ही कोसते हैं, लेकिन मैं मजबूर हूं, अफसरों की कार्यशैली के आगे।
ये सड़कें भी खराब
- सोमवारा में कर्फ्यू वाली माता मंदिर
- लिंक रोड नंबर-3
- 1100 क्वार्टर
- शाहपुरा सी सेक्टर से दानिशकुंज
- दानिशकुंज चौराहा रोड
- कोलार रोड
- चूनाभट्टी से लेकर कोलार गेस्ट हाउस
- हबीबगंज स्टेशन के पास
मेरी सुन ली, अब इनकी भी सुन लें
- जिन सड़कों की गारंटी समाप्त हो जाती है उनके मेंटेनेंस के लिए शहर में एक एजेंसी को कांट्रेक्ट देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। वीएस चौधरी कोलसानी कमिश्नर, नगर निगम
- जिन सड़कों पर अलग-अलग कारणों से पानी जमा होता है, वहां सरफेस उखड़ गई है। बारिश बाद काम कराया जाएगा।- जवाहर सिंह, एसई, सीपीए
- खराब सड़कों की रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। उसके बाद बजट मिलने पर रिपेयरिंग का काम शुरू होगा। – मुकेश निगम, सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर, पीडब्ल्यूडी, भोपाल