इंदौर43 मिनट पहले
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युवतियाें से पूछताछ के लिए आईबी की 6 सदस्यीय टीम भाेपाल से इंदाैर आई।
- बिना पासपोर्ट और वीजा के लाने के बाद गुलाम जैसा रखते हैं, परिजन को फैक्ट्रियों में काम करने का बोलकर वी-कैश एप से बांग्लादेश भेजते हैं रुपया
- चंगुल से छुटी युवतियां बोलीं- एक दिन में 8 काम के 5 से 10 हजार देते, बंधक बनाकर फ्लैट में रखते नहीं सुनने पर सिगरेट से दागते, बेल्ट से पीटते हैं
बांग्लादेश से अवैध तरीके से बॉर्डर पार करवाकर भारत लाई गई 13 बांग्लादेशी युवतियों को मुक्त करवाने के बाद इस रैकेट के तार इंटरनेशनल सेक्स रैकेट के गिरोह से जुड़ गए हैं। मामले में पुलिस के अलावा इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) की टीम भी पूरे मामले पर नजर रखे हुए है। बताया जा रहा है कि शनिवार रात युवतियाें से पूछताछ के लिए 6 सदस्यीय टीम भाेपाल से इंदाैर आई। टीम ने विजयनगर यहां युवतियों ने करीब 5 घंटे तक बात की।
पूछताछ में एक युवती ने बताया कि 5 से 8 काम करवाते हैं और सिर्फ रहने-खाने और कास्मेटिक के खर्च का पैसा देते हैं। ये लोग वाॅट्सएप पर एजेंट ‘माल’, ‘सामान’, 10 हजार वाली गाड़ी, 5 हजार वाली गाड़ी जैसे कोड वर्ड में बात कर उनका सौदा तय करते हैं। इधर, इंदौर आईजी खुद पूरे मामले में माॅनिटरिंग कर रहे हैं। करीब 70 पुलिस अधिकारी और जवानों की एक विशेष टीम बनाकर इंटरनेशनल स्तर पर संचालित हो रहे इस सेक्स रैकेट और मानव तस्करी गैंग के आरोपियों की धरपकड़ भी शुरू कर दी गई है।

टीम ने यहां युवतियों से करीब 5 घंटे तक पूछताछ की।
आईजी योगेश देशमुख ने बताया कि विजय नगर थाने में मुंबई की दो मॉडल युवतियों की शिकायत पर एक महिला और उसके तीन साथियों कि गिरफ्तारी हुई थी। इनसे मिली जानकारी के बाद टीम ने इस गिरोह से जुड़े एस्कार्ट सर्विस (सेक्स रैकेट) के अन्य आरोपी मोहित ओढ़ (27) निवासी आनंद नगर, आकाश चौधरी (22) निवासी रेवेन्यू काॅलोनी अन्नपूर्णा रोड, दीपक मंडल (32) निवासी महालक्ष्मी नगर और हर्षित सिसौदिया (30) निवासी व्यंकटेश विहार काॅलोनी और इनके साथ जुड़ी दो महिलाओं समेत कुल 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इन पर विजय नगर और लसूडिया में मानव तस्करी की धारा में केस दर्ज किए हैं। इनमें तीन महिलाएं जो शहर में ऑल इंडिया सेक्स रैकेट (एस्कार्ट सर्विस) से जुड़ी मिली हैं।
17 युवतियां को गैरकानूनी तरीके से लेकर आए
पुलिस ने देर रात एमआईजी थाने में भी एक नया केस दर्ज कर 2 महिला और दो पुरुष को गिरफ्तार किया है। इनसे मिली जानकारी के बाद 13 लड़कियों के अलावा चार ओर बांग्लादेशी लड़कियां एक फ्लैट से कस्टडी में ली हैं। इसे मिलाकर कुल 17 युवतियां गैरकानूनी तरीके से बांग्लादेश का बाॅर्डर पार कर शहर में लाई गई थीं। इन सभी को यहां जॉब के नाम पर लाकर इनसे देह व्यापार करवाया जा रहा था। पासपोर्ट और वीजा न होने से ये खुद भी खुलकर पुलिस से सामने आने से डरती थी और इसी डर का फायदा उठाकर ये आरोपी इन्हें बंधक बनाकर फ्लैट्स में छिपाकर रखते थे। फिर इनसे देह व्यापार करवाया जाता था।
बाॅर्डर पार करवाने वाले एजेंटों की तलाश, मुंबई, मुर्शिदाबाद और कोलकाता पुलिस को भेजा अलर्ट
इंटरनेशनल स्तर पर खुले इस बड़े रैकेट में सक्रिय उन एजेंटों की भी पड़ताल की जा रही है जो युवतियों से बांग्लादेश में संपर्क कर उन्हें जॉब दिलवाने के बहाने यहां लाते हैं। ये पता लगाया जा रहा है कि बांग्लादेश की किस बॉर्डर के इलाके से ये बिना वीजा और पासपोर्ट के इन्हें भारत में ले आते हैं। इसके लिए इंदौर पुलिस ने कोलकाता, मुर्शिदाबाद और मुंबई पुलिस के अधिकारियों को भी अलर्ट किया है। संयुक्त रूप से इस रैकेट में अब सभी जगह की पुलिस काम करेगी। इधर, आईजी भी विजय नगर थाने पहुंचे और मुक्त करवाई युवतियों से खुद चर्चा कर जानकारी जुटाई।

पूछताछ में युवतियों ने कई चौंकाने वाली जानकारी दी है।
कई युवतियां हिंदी भी नहीं जानती, इसी का फायदा उठाते हैं आरोपी
गिरोह के बदमाशों से मुक्त करवाई कई बांग्लादेशी युवतियां ऐसी हैं, जिन्हें हिंदी न तो बोलना आती है ना ही वे समझ पाती हैं। थोड़ी बहुत हिंदी बोलने वाली युवतियों ने बताया कि आरोपियों के तार बांग्लादेश में सक्रिय इनके एजेंटों से जुडे़ हैं। वहां के एजेंट भारत के एजेंटों की डिमांड पर ऐसे घरों की लड़कियों की तलाश करते हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है। कई तो तलाकशुदा और विधवा महिलाओं को भी नौकरी दिलाने के बहाने परिवार वालों की सहमति पर भारत ले आते हैं। यहां बिना-पासपोर्ट वीजा के लाए जाने के बाद उन्हें ये कहकर डरा-धमकाया जाता है कि वे उनकी बातें नहीं सुनेंगी और पुलिस में जाएंगी तो पुलिस उन्हें ही आरोपी बनाकर गिरफ्तार कर जेल भेज देगी। इस डर से वे भारत आने के बाद इनकी गुलाम जैसी हो जाती हैं। कई बार बात न मानने सिगरेट दागते हैं और बेल्ट से पीटते हैं।
दिन में 5 से 8 काम, वेतन 5 से 10 हजार, वी-कैश एप से बांग्लादेश भेजते पैसा
पीडि़ता युवतियों ने बताया कि अवैध तरीके से भारत लाने के बाद यहां इन्हें अलग-अलग शहरों में बंधक बनाकर रखा जाता है। इनके परिवार वालों को ये बताया जाता है कि वे यहां स्टील फैक्ट्री, खिलौना फैक्ट्री या अन्य उद्योगों में काम करती हैं। इन्हें 5 से 10 हजार वेतन मिलता है जो ‘वी केश’ एप के जरिए उन्हीं के सामने उनके परिजन के खातों में डलवा दिया जाता है। जबकि इन्हें यहां सेक्स रैकेट में उतारकर दिन में एक युवती से 5 से 8 काम करवाए जाते हैं और सिर्फ रहने और खाने व कास्मेटिक के खर्च का पैसा देते हैं। एक युवती ने बताया कि उसे एजेंटों के जरिए एक नहीं 4 बार बेचा गया है। वाट्स एप पर एजेंट ‘माल’, ‘सामान’, 10 हजार वाली गाड़ी, 5 हजार वाली गाड़ी ऐसे कोड वर्ड में बात कर उनका सौदा तय करते हैं।