उपचुनाव से पहले कैग की रिपोर्ट ने MP की सियासत में मचाया घमासान, बड़े भ्रष्टाचार के संकेत | bhopal – News in Hindi

उपचुनाव से पहले कैग की रिपोर्ट ने MP की सियासत में मचाया घमासान, बड़े भ्रष्टाचार के संकेत | bhopal – News in Hindi


कैग ने मध्य प्रदेश में बड़े भ्रष्टाचार के संकेत दिए हैं.

विधानसभा (Assembly) में एक दिन के सत्र के दौरान कैग (CAG) की रिपोर्ट आने के बाद अब मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में सियासी घमासान शुरू हो गया है.

भोपाल. विधानसभा (Assembly) में एक दिन के सत्र के दौरान कैग (CAG) की रिपोर्ट आने के बाद अब मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में सियासी घमासान शुरू हो गया है. आंगनबाड़ी कर्मचारियों की सैलरी दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर करने के खुलासे के बाद बीजेपी कांग्रेस आमने-सामने आ गई हैं. कांग्रेस जिम्मेदार विभाग के मंत्री और उनके अधिकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई की मांग कर रही है. जबकि बीजेपी का कहना है कि इस मामले की पहले जांच की जाएगी और जांच में जो भी दोषी होगा उसके बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी. उपचुनाव (By-Election) से पहले एमपी की सियासत में घमासान मच गया है.

पूर्व मंत्री व कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने कैग की रिपार्ट को लेकर बयान जारी किया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी के कार्यकाल में कई घोटाले हुए हैं. अब कैग ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका के साथ हुए घोटाले को उजागर किया है. सरकार में फर्जीवाड़ा होते रह हैं. इसकी जांच होनी चाहिए. दोषी विभाग के मंत्री और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कांग्रेस कर रही है. वहीं मंत्री विश्वास सारंग ने इस मामले में कहा कि यदि ऐसा कोई मामला आया है तो उसकी जांच की जाएगी, जांच के बाद दोषियों खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी.

ये है पूरा मामला
कैग के अनुसार मई 2014 से दिसंबर 2016 के बीच भोपाल, रायसेन के परियोजना अधिकारियों ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं की करीब 3.19 करोड़ रु. की मानदेय राशि डाटा एंट्री, कंप्यूटर ऑपरेटरों समेत दूसरे 89 बैंक अकाउंट में जमा करा दी. विदिशा, मुरैना, अलीराजपुर और झाबुआ में भी गड़बड़ी सामने आई है. यहां के जिला कार्यक्रम अधिकारी और परियोजना अधिकारियों के दस्तावेजों की जांच में पता चला कि मानदेय का 65 लाख 72 हजार गलत तरीके से आहरण किया गया. बाद में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका के नाम पर जिन खातों में यह पैसा जमा कराया गया वो फर्मों के नाम पर और कर्मचारियों के परिजनों के नाम पर थे.





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