उच्च शिक्षामंत्री मोहन यादव के पास अपनी समस्याओं को लेकर पहुंचे अतिथि शिक्षक.
फालेन आउट अतिथि विद्वानों (Guest teachers) की समस्या को सुनने के बजाय उच्च शिक्षा मंत्री (Minister of Higher Education) मोहन यादव ने कहा कि आपको लोगों को मुख्यमंत्री से मिलवाने के लिए क्या मैं आत्महत्या कर लूं.
- News18Hindi
- Last Updated:
September 28, 2020, 11:35 AM IST
नौकरी से निकाले गए फालेन आउट अतिथि विद्वान उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव के निवास पर अपनी परेशानी लेकर पहुंचे थे. अतिथि विद्वानों का कहना है कि 900 के करीब फालेन आउट अतिथि विद्वान अभी भी बेरोजगार हैं. अतिथि शिक्षकों का कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नौकरी पर रखने का जो वादा किया था उस वादे को पूरा करें.
इस बात को लेकर उच्च शिक्षा मंत्री से अतिथि विद्वानों ने मुख्यमंत्री से मिलवाने का निवेदन किया, जिसको लेकर उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि जितना मेरे हाथ में था, वह सब मैंने अतिथि विद्वानों के लिए किया है. अब आगे की प्रक्रिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान करेंगे. मेरी सहानुभूति आप सभी अतिथि विद्वानों के साथ है. जितना भला आप सभी का हो सकेगा करेंगे, लेकिन मैं आप सभी को मुख्यमंत्री से कैसे मिलवाऊं इसी बात को लेकर अतिथि विद्वानों और उच्च शिक्षा मंत्री के बीच बहसबाजी हुई.
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प्रदेश भर में असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति के बाद से करीब 1800 से ज्यादा अतिथि विद्वान बेरोजगार हुए थे. हाल ही में उच्च शिक्षा विभाग में करीब 774 अतिथि विद्वानों को नियुक्ति दी गई है. अभी भी करीब 900 से ज्यादा फालेन आउट अतिथि विद्वान नौकरी से बाहर हैं. जल्द से जल्द 900 से ज्यादा फालेन आउट अतिथि विद्वानों को कॉलेजों में नियुक्ति देने उच्च शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री से मांग की है.
नियमितीकरण का वादा है अधूरा
पिछली कांग्रेस सरकार में नियमितीकरण की मांग को लेकर अतिथि विद्वानों का आंदोलन शाहजहानी पार्क में हुआ था. आंदोलन को समर्थन देने के लिए विपक्ष में रही भाजपा के तमाम नेता अतिथि विद्वानों के आंदोलन में पहुंचे थे,जिसमें वर्तमान में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के साथ तमाम बड़े नेता और भाजपा विधायक आंदोलन को समर्थन देने के लिए पहुंचे थे. तमाम भाजपा के नेताओं ने अतिथि विद्वानों से कहा था कि अगर उनकी सरकार सत्ता में आती है तो अतिथि विद्वानों को नियमित किया जाएगा. सत्ता में वापसी के बाद भी अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण का वादा अधूरा है.