- Hindi News
- Local
- Mp
- Indore
- Dead Body Exchange In Madhya Pradesh Indore: Human Rights Commission To Greater Kailash Hospital Management
इंदौर24 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष आशीष हिंदुजा ने अस्पताल प्रबंधक डॉ. बंडी से बात की।
- खंडवा के व्यापारी की शनिवार को मृत्यु हो गई थी, उनके स्थान पर किसी और का शव परिजनों को दे दिया गया था
- परिवार 70 किमी दूर बड़वाह-सनावद के बीच पहुंचा ही था कि अस्पताल ने फोन कर कहा कि वह शव आपका नहीं है
दो दिन पहले शनिवार को अस्पताल ग्रेटर कैलाश में शवों की अदला-बदली मामले को मानव अधिकार आयोग ने संज्ञान में लिया है। सोमवार को आयोग के अध्यक्ष टीम के साथ अस्पताल पहुंचे और प्रबंधन से मामले को लेकर सवाल जवाब किया। उन्होंने पूछा कि आपने दूसरे परिवार को काेविड मरीज की बाॅडी सौंप दी। यदि वह परिवार संक्रमित हो जाता है तो उसकी जवाबदारी कौन लेगा। आयोग ने आरोप लगाया कि प्रबंधन हम पर प्रशासनिक दबाव बना रहा है। वहीं, मामले में अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि उन्होंने दोषियों पर कार्रवाई करते हुए पूरा सिस्टम ही बदल दिया है।
आयोग बोला – हम पर प्रबंधन दबाव बना रहा है
मानव अधिकार संघ के अध्यक्ष आशीष हिंदुजा का कहना था कि अभी तक अस्पताल प्रबंधन ने दोषियों पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की है। हमने इनसे कहा कि आपने काेविड-19 मरीज की बाॅडी दूसरे परिवार काे दे दी, ऐसे में जाे दूसरा परिवार संक्रमित हाेगा, उसकी जवाबदारी काैन लेगा। उनका कहना है कि इतनी बड़ी घटना हाे गई और अस्पताल प्रबंधन सोता रहा। 70 किमी दूर जाने के बाद इनकी नींद खुली। हम इनके पास जानकारी लेने पहुंचे तो इन्होंने एक उच्च अधिकारी का नाम लेकर कहा कि इनसे बात कर लो। ये हम पर प्रशासन द्वारा दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। मामले में कमिश्नर कार्यालय जाकर कमिश्नर को एक ज्ञापन सौंपेंगे।

शनिवार को अस्पताल में शव की अदला-बदली का मामला सामने आया था।
किसी को निलंबित करने से काम नहीं होता
अस्पताल प्रबंधक डॉक्टर अनिल बंडी का कहना है कि इन्होंने हमसे पूछा था कि आखिर यह घटना कैसे हुई। यह घटना थर्ड औ फोर्थ कर्मचारियों से हुआ है। भविष्य में ऐसी लगती ना हाे इसलिए हमने एक सिस्टम बना लिया है कि अब डबल चेक हो, गवाह की साइन हो। मरीज और अस्पताल दोनों की ही ओर से पूरी तरह से पुख्ता हो जाए, इसके बाद ही आगे की कार्रवाई हो। हमने दोषियों पर कार्रवाई की है। किसी को निलंबित करने से काम नहीं होता है। अभी काेविड की स्थितियां इतनी खराब हैं। वे लाेग काफी समय से कोविड में काम कर रहे हैं। आखिर वे भी इनसान हैं। उनसे भूल हो गई है। उन्हें निलंबित करने से सब ठीक तो नहीं जो जाएगा ना। हां गलती हुई, लेकिन उसे जल्द ही सुधार भी लिया गया।
यह है मामला
खंडवा के बर्तन व्यापारी गेंदालाल राठौर (64) का अस्पताल में लंग्स कैंसर और निमोनिया का इलाज चल रहा था। शनिवार तड़के पौने पांच बजे उनकी मृत्यु हो गई। सुबह अस्पताल प्रबंधन ने शव को कोविड प्रोटोकॉल की तरह पैक कर बेटे नितिन को सौंप दिया। परिजन ने शव खोलकर देखना चाहा तो कर्मचारियों ने मना कर दिया। नितिन परिजन के साथ शव लेकर खंडवा के लिए रवाना हो गए। वे शव लेकर इंदौर से 70 किमी दूर बड़वाह-सनावद के बीच ग्राम दौड़वा पहुंचे ही थे कि नितिन के पास ग्रेटर कैलाश अस्पताल से फोन आया कि जो शव आपको सौंपा है, वह महू के कोविड मरीज टेडी सैम्युअल का है। आप तुरंत लौट आइए, ताकि आपके पिता का शव सौंप सकें। यह सुनते ही परिजन के होश उड़ गए। दो लोग शव के ठीक पास बैठे थे, जबकि बाकी दूसरी गाड़ी में थे। कोविड शव सुनकर सभी ने गाड़ी रुकवाई और वहीं खड़े हो गए। नितिन ने फोन पर अस्पताल को आने से इनकार कर दिया और कहा कि आप ही पिताजी का शव लेकर यहां आइए।
इसी बीच सैम्युअल के बेटे मनीष की भी नितिन से बात हुई। मनीष ने उन्हें वहीं रुकने को कहा और बताया कि वे शव लेकर आ रहे हैं। जहां आप हैं, वहीं अदला-बदली कर लेंगे। बड़वाह से 7 किमी आगे राठौर परिवार अनजान शव के साथ दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक खड़ा रहा। तीन बजे सैम्युअल का शव लेकर दूसरी एम्बुलेंस वहां पहुंची। यहां राठौर का शव महू की एम्बुलेंस में रखा और सैम्युअल का शव उनके परिजन को सौंपा। इधर, खंडवा में राठौर के निवास पर बड़ी संख्या में रिश्तेदार एकत्र हो गए थे, क्योंकि उन्हें 12 बजे अंतिम संस्कार करने की सूचना दी थी। शव 5 बजे के लगभग खंडवा पहुंचा और फिर अंतिम संस्कार हुआ।