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- The Public Will Choose Their Own Mayor, The Ordinance Issued; Ward Delimitation Would Be Six Months Earlier, Rather Than Two Months After The Election
भोपाल19 घंटे पहले
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फाइल फोटो
- प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव के बाद निकाय चुनाव संभावित हैं
- पिछली कांग्रेस सरकार ने निकाय चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से करने के लिए अधिनियम में संशोधन किर था
भाजपा सरकार ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के अप्रत्यक्ष प्रणाली से नगर निगम के महापौर और नगर पालिका व नगरपरिषद में अध्यक्ष को चुनने का फैसला पलट दिया है। इसके साथ ही निकायों का वार्ड परिसीमन चुनाव के दो महीने के बजाय छह महीने पहले करने का संशोधन भी किया गया है। अब महापौर का चुनाव जनता ही करेगी। इस संबंध में अधिनियम में जरूरी संशोधन कर अध्यादेश जारी कर दिया गया है।
सरकार ने महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने और वार्ड परिसीमन चुनाव के छह महीने पहले करने के लिए विधेयक तैयार कर लिया था। उसे पिछले विधानसभा सत्र में लाने की तैयारी थी। पहले कार्यसूची में उसे शामिल किया, लेकिन कांग्रेस की आपत्ति के बाद उसे हटा दिया गया। प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव के बाद निकाय चुनाव संभावित हैं। इसे देखते हुए सरकार इस संबंध में अध्यादेश लेकर आई है। पिछली कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक गणित को देखते हुए महापौर व अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से करने के लिए अधिनियम में संशोधन कर दिया था। उस समय भाजपा नेताओं ने इसका काफी विरोध किया था।
सभी 16 महापौर भाजपा के थे :
प्रदेश में 16 नगर निगम हैं, इन सभी का कार्यकाल अब समाप्त हो चुका है। पिछले कार्यकाल में सभी 16 नगर निगमों में भाजपा के ही महापौर थे। इसके साथ अन्य नगरीय निकायों में भी अधिकतर में भाजपा के ही अध्यक्ष थे।
वार्ड परिसीमन छह महीने पहले :
कांग्रेस सरकार ने निकायों की सीमावृद्धि, वार्डों की संख्या व वार्ड परिसीमन की कार्यवाही चुनाव के छह महीने के बजाय दो महीने पहले करने के लिए अधिनियम में संशोधन कर दिया था। इसे भी अध्यादेश के माध्यम से पलट दिया गया है। अब यह कार्यवाही छह महीने पहले ही करना होगी।