Tulsi Silawat and Govind Singh Rajput Will Lose His Minister Post Ahead Of Madhya Pradesh (MP) Vidhan Sabha By-Election 2020 | सिलावट-राजपूत को उपचुनाव से पहले गंवाना पड़ेगा मंत्री पद; 3 नवंबर को ये दोनों बगैर मंत्री मैदान में होंगे

Tulsi Silawat and Govind Singh Rajput Will Lose His Minister Post Ahead Of Madhya Pradesh (MP) Vidhan Sabha By-Election 2020 | सिलावट-राजपूत को उपचुनाव से पहले गंवाना पड़ेगा मंत्री पद; 3 नवंबर को ये दोनों बगैर मंत्री मैदान में होंगे


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भोपाल22 मिनट पहले

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शिवराज सरकार में दो मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट को उपचुनाव से पहले मंत्री पद गंवाना पड़ेगा।

  • 21 अप्रैल को ली थी मंत्री पद की शपथ, गैर विधायक अधिकतम छह माह रह सकते हैं मंत्री
  • उपचुनावों में सिंधिया समर्थक 11 मंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर, तीन अन्य पर भी जीत का दबाव

प्रदेश की सत्ता का भविष्य तय करने वाले 28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। ऐसा पहली बार होगा, जब 14 मंत्री उपचुनाव लड़ेंगे। लेकिन इसमें दो मंत्री तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को मंत्री पद गंवाना पड़ेगा क्योंकि उनका कार्यकाल 20 अक्टूबर को समाप्त हो जाएगा। इसलिए मतदान के दिन यानि 3 नवंबर को ये दोनों बगैर मंत्री पद के मैदान में होंगे। दोनों ने कांग्रेस और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद 21 अप्रैल को भाजपा की सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली थी।

नियमों के अनुसार कोई भी ऐसा व्यक्ति छह माह से अधिक अवधि के लिए मंत्री नहीं रह सकता है, जो विधानसभा का सदस्य न हो। इस हिसाब से 21 अक्टूबर को दोनों मंत्रियों की यह समय सीमा समाप्त हो जाएगी। असल में इस समय सीमा में उपचुनाव की प्रक्रिया भी पूरी नहीं होगी। गोविंद सिंह राजपूत सुरखी और तुलसी सिलावट सांवेर से अपनी परंपरागत सीटों से उप चुनाव लड़ रहे हैं।

सिंधिया के समर्थन में 10 मार्च को 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था, जिसके कारण कमलनाथ सरकार गिर गई थी और चौथी बार शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। शिवराज ने 28 दिन बाद 21 अप्रैल को मंत्रिमंडल का गठन किया था, इसमें सिंधिया खेमे के तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ दिलाई गई थी।

शिवराज सरकार के इन 14 मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर कांग्रेस के 25 पूर्व विधायकों के इस्तीफे से सरकार अल्पमत में आ गई थी और कमलनाथ सरकार गिर गई। बाद में ये सभी भाजपा में शामिल हो गए तब इनमें से भाजपा ने 14 को मंत्री पद से नवाजा। इन उप चुनावों में इन बगैर विधायकी के मंत्री बने मंत्रियों की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है। इसमें खास ये है कि 20 अक्टूबर को मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट का मंत्रिपद खत्म हो जाएगा। 3 नवंबर के ये दोनों बगैर मंत्री रहे मैदान में होंगे।

इन 14 मंत्रियों में इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, गोविंद सिंह राजपूत, तुलसी सिलावट, प्रभुराम चौधरी, हरदीप सिंह डंग, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, बिसाहूलाल सिंह, एदल सिंह कंसाना, बृजेंद्र सिंह यादव, सुरेश धाकड़, ओपीएस भदौरिया और गिर्राज दंडोतिया शामिल हैं।

विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह का कहना है कि प्रावधान यही है कि छह माह तक ऐसे व्यक्ति को मंत्रिमंडल का सदस्य रखा जा सकता है, जो विधानसभा का सदस्य नहीं है। इस अवधि में उसका विधानसभा का सदस्य निर्वाचित होना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो निर्धारित अवधि के बाद संबंधित व्यक्ति अपने आप ही मंत्री पद से हट जाता है। 21 अक्टूबर को सिलावट और राजपूत को मंत्री बने छह माह हो जाएंगे। आदर्श आचरण संहिता प्रभावी हो चुकी है और अब मंत्रिमंडल का विस्तार भी नहीं हो सकता है। इसलिए दोनों नेताओं को मंत्री पद से हटना पड़ेगा।



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