दतिया14 घंटे पहले
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मम्माजू के बाग के पीछे बनी झोपड़ी में बैठे रामदास।
- नौ महीने पहले तत्कालीन कलेक्टर ने जताई थी नाराजगी, जिन इंजीनियरों पर काम पूरा कराने का जिम्मा, वे न फील्ड में जा रहे न फोन उठाते हैं
केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार घर-घर शौचालय बनवाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है लेकिन जिन पर इन योजनाओं का लाभ आमजन तक पहुंचाने का जिम्मा है वे ही गंभीर नहीं हैं। दतिया नगर पालिका का कुछ यही हाल है। नगर पालिका ने शहर की सवा लाख आबादी का सर्वे कराकर सिर्फ 3252 लोगों के घरों को शौचालय बनवाने के लिए चुना। हैरानी कि तीन साल में सिर्फ 2195 ही बन पाए। घनी आबादी में रहने वाले बुजुर्ग, महिलाएं, मजदूर आज भी खुले में शौच जाते हैं।
प्रदेश सरकार ने हर घर में शौचालय योजना के तहत परिवार को शौचालय बनवाने के लिए 12 हजार रुपए दिए जाते हैं। 1350 रुपए हितग्राही को अंशदान के रूप में नपा में जमा करने होते हैं। नपा के आंकड़ों पर विश्वास करें तो वर्ष 2017 से 2019 तक दो साल में शहर की सवा लाख आबादी का सर्वे कराकर शहर के सभी छत्तीसों वार्डों में 3252 घरों को शौचालय बनवाने के लिए चिन्हित किया। सभी छत्तीसों वार्डों को तीन जोन में बांटकर तीन टेंडर जारी कर शौचालय बनाने का ठेका दिया गया। तीन साल में ठेकेदार सिर्फ 2195 शौचालय बनाकर तैयार कर सके।
बाहरी वार्डों में बिना शौचालय के सबसे ज्यादा घर
शहर के वार्ड क्रमांक 33, वार्ड 36, वार्ड 34, वार्ड 1, 2, 3 शहर की सीमाओं से जुड़े हुए वार्ड हैं। इन वार्डों में ग्रामीण इलाकों से आकर यहां रहने वाले परिवार सबसे ज्यादा हैं। गरीब, बेसहारा, मजदूर परिवार हैं। इन लोगों ने झोपड़ पट्टी बनाकर रहना तो शुरू कर दिया लेकिन शौचालय बनवाने की हैसियत नहीं रखते। प्रतिदिन सुबह 4 बजे सोकर उठते हैं और सड़क मार्गों, झाड़ियों, तालाब किनारों पर शौच जाते हैं। अगर सुबह जल्दी नहीं उठ पाए तो फिर पूरे दिन बिन शौच के ही गुजारना पड़ता है। शाम को जब अंधेरा हो जाता है तब शौच जा पाते हैं। सबसे ज्यादा तकलीफ महिलाओं को होती है। लेकिन इस तकलीफ को न तो जनप्रतिनिधि समझते हैं और न ही निकाय के अधिकारी कर्मचारी।
एई 1 माह से अवकाश पर, इंजीनियरों को चिंता नहीं
जनवरी माह में नगर पालिका भंग हो गई थी तब से पूरी नपा भगवान भरोसे चल रही है। न तो अधिकारियों के आने का समय निर्धारित है और न जाने का। नगर पालिका की सहायक यंत्री अंजली शुक्ला एक महीने से भी ज्यादा वक्त से अवकाश पर हैं। जबकि इंजीनियर सुरभि रौनिया व अन्य इंजीनियर कभी फील्ड में दिखाई नहीं देते हैं। यहां तक कि इन इंजीनियरों को यह भी नहीं पता कि कौन सा निर्माण कार्य कब चालू हुआ और कितना वक्त लगेगा। न शौचालयों की जानकारी है न अन्य विकास कार्यों की।
एई 1 माह से अवकाश पर, इंजीनियरों को चिंता नहीं
जनवरी माह में नगर पालिका भंग हो गई थी तब से पूरी नपा भगवान भरोसे चल रही है। न तो अधिकारियों के आने का समय निर्धारित है और न जाने का। नगर पालिका की सहायक यंत्री अंजली शुक्ला एक महीने से भी ज्यादा वक्त से अवकाश पर हैं। जबकि इंजीनियर सुरभि रौनिया व अन्य इंजीनियर कभी फील्ड में दिखाई नहीं देते हैं। यहां तक कि इन इंजीनियरों को यह भी नहीं पता कि कौन सा निर्माण कार्य कब चालू हुआ और कितना वक्त लगेगा। न शौचालयों की जानकारी है न अन्य विकास कार्यों की।
शाैचालय कितने बने यह पता नहीं है
^शौचालय बनने का काम चल तो रहा है लेकिन कितने बने हैं, ये पता नहीं है। अभी चार्ज हमारे पास नहीं है। पता लगाकर बता पाऊंगी। साथ ही इसकी पूरी जानकारी भी लूंगी।
सुरभि रौनिया, इंजीनियर, नपा
सर्वे के बाद जो लोग रह गए हैं, उन्हें भी लाभ दिलाया जाएगा
^हम दिखवाएंगे कि शौचालय बनवाने में देरी क्यों हो रही है। अभी कुछ दिन से अस्वस्थ हूं। इसलिए कार्यालय नहीं बैठ पा रहे हैं। लेकिन जो रह गए हैं उन्हें जल्द पूरा कराएंगे। सर्वे कराकर जो लोग रह गए हैं उन्हें भी शौचालय का लाभ दिया जाएगा।
एके दुबे, सीएमओ, नगर पालिका