There is no water and sanitation at Ater and Gohad Fort, inconvenience to tourists | अटेर और गोहद किले पर पानी और सफाई की व्यवस्था नहीं, सैलानियों को होती है असुविधा

There is no water and sanitation at Ater and Gohad Fort, inconvenience to tourists | अटेर और गोहद किले पर पानी और सफाई की व्यवस्था नहीं, सैलानियों को होती है असुविधा


गोहद20 घंटे पहले

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अटेर किला जहां सैलानियों के लिए पीने के पानी की नहीं है सुविधा।

  • गोहद में खुदाई के दौरान निकला था 300 वर्ष पुराना महल का हिस्सा

अटेर का भदावर किला जिलेे के प्रमुख पर्यटक स्थलों में शुमार है। इसके बावजूद यहां पर घूमने के लिए आने वाले सैलानियों के लिए पीने के पानी की सुविधा नहीं है। ऐसे में जो भी पर्यटक किला घूमने के लिए आते हैं, वे खुद पानी की बोतल अपने साथ लेकर आते हैं। खास बात यह है कि इस बारे में जिला पुरातत्व विभाग को जानकारी होने के बाद भी उनके द्वारा किले पर पानी की व्यवस्था नहीं कराई गई है।

गौरतलब है कि पर्यटकों के लिए पर्यटक स्थल पर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना राज्य सरकार का दायित्व है। इसके बावजूद अटेर किले में पर्यटकों के लिए पीने के पानी की सुविधा तक नहीं है। यह स्थिति लंबे से बनी हुई है। गुरुवार को भिंड से अटेर किले को देखने आए सैलानी मनीष कौशल, राहुल, विकास और एस कुमार निगम का कहना था कि अटेर किला जिले का सबसे प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक हैं। यहां पर रोजाना सैकड़ों लोग घूमने के लिए आते हैं। उसके बाद भी किले में पीने के पानी की सुविधा नहीं है। हम लोगों को भी किले के नीचे से ही पानी की बोतल खरीदकर लाना पड़ी। आगरा से अटेर में किला देखने के लिए आने वाले विदेशी सैलानियों को भी जब किले में पानी पीने के लिए नहीं मिलता है तो वे पानी खरीदकर पीते हैं।

अटेर किले में खूनी दरवाजा, बदन सिंह का महल, राजा-रानी का बंगला, बारह खंभ महल हैं आकर्षण का केंद्र
अटेर किले का निर्माण कार्य भदौरिया राजा बदन सिंह ने वर्ष 1664 में शुरू किया था, बाद में महा सिंह और बखत सिंह द्वारा 1668 में बनाया गया। इस किले को भदावर किला के नाम से जाना जाता है। खूनी दरवाजा, बदन सिंह का महल, हथियापुर,राजा का बंगला, रानी का बंगला और’ बारह खंबा महल किले के मुख्य आकर्षण हैं। राजा और रानी के महल पर आज भी भित्तीय लेख मौजूद है। जिनमें निर्माणकाल भी अंकित है। वहीं यह किला यह हिंदू और मुगल स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है।

किले में मिली थी पाइप लाइन
आज जिस किले को देखने के लिए सैकड़ों सैलानी प्रतिदिन आते हैं, उनको पीने के पानी के लिए एक हैंडपंप तक नहीं है। लेकिन 16 वीं शताब्दी में निर्मित किले की वर्ष 2001 में हुई साफ-सफाई के दौरान हुई खुदाई में फब्बारों का पता चला है। साथ ही किले में नीचे से पीने का पानी पहुंचाने के लिए पाइप लाइन अवशेष मिले थे। जिससे किले में रहने वालों को ठंडा एवं गर्म पानी मिलता था।

मार्च में खुदाई में निकला था 300 वर्ष पुराना महल
गोहद| मार्च महीने में नगर पालिका गोहद के पास निर्माणाधीन पार्क में साफ-सफाई के दौरान जमीन के अंदर करीब 300 साल पुराना महल निकला था। जमीन के अंदर निकले हुए महल का निर्माण राजा भीम सिंह राणा द्वारा कराया गया था। उस दौरान यह बात पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने कही थी। लेकिन जमीन के अंदर निकलने हुए महल की अभी तक जिला पुरातत्व विभाग द्वारा सफाई नहीं कराई गई है। वर्तमान में महल के अंदर गंदा पानी भरा होने के साथ कचरे के ढेर लगे हुए हैं। वहीं नगर के समाजसेवी महल की सफाई कराने की मांग संबंधित विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों से कर चुके हैं। इसके बाद भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

अधिकारियों को बताया है
किले पर पीने के पानी का कोई इंतजाम नहीं है। इस संबंध में विभागीय अधिकारियों को कई बार सूचित किया जा चुका है।
रघुवीर मीणा, एमटीएस, अटेर किला



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