कांग्रेस को डर है कि कहीं भोपाल में सरकार कोई बड़ा फैसला लेकर चुनाव प्रभावित न कर दे.
मध्य प्रदेश (MP) में जिन 28 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव (By Elections) होना है उनमें से भोपाल शहर या जिले की कोई भी विधानसभा सीट शामिल नहीं है.
भोपाल प्रदेश की राजधानी है और पूरा प्रशासनिक महकमा यहीं रहता है. ऐसे में यह जरूरी है कि चुनाव आयोग राजधानी भोपाल को भी आदर्श आचार संहिता के तहत लाये. हालांकि कांग्रेस की इस मांग को बीजेपी ने खारिज किया है. बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल के मुताबिक कांग्रेस नेताओं का मानसिक संतुलन बिगड़ रहा है. गनीमत यह है कि कांग्रेस के नेता अब यह मांग नहीं कर रहे हैं कि चुनाव के लिए देश की राजधानी दिल्ली में भी आचार संहिता लागू की जाए. मध्य प्रदेश में जिन 28 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होना है उनमें से भोपाल शहर या जिले की कोई भी विधानसभा सीट शामिल नहीं है.
क्या है आचार संहिता का दायरा ?
इस बार आचार संहिता में कुछ बदलाव किए गए हैं. इसके तहत अब नगर निगम वाले शहरों में पूरे ज़िले या शहर में आचार संहिता लागू ना होकर सिर्फ उस विधानसभा क्षेत्र तक सीमित रहेगी जहां चुनाव होना हैं. जिन जगहों पर नगर निगम नहीं हैं वहां पूरे जिले में आचार संहिता लागू रहेगी. 28 में से 13 सीटें 7 जिलों के नगर निगम में आती हैं. जबकि 15 सीटें 12 जिलों में आती हैं. भोपाल जिले की किसी भी सीट पर चुनाव नहीं है.
चुनाव कार्यक्रम
चुनाव आयोग की ओर से 28 सीटों के विधानसभा उपचुनाव का कार्यक्रम घोषित कर दिया गया है. इसके तहत 28 सीटों के लिए वोटिंग 3 नवंबर को होगी जबकि मतगणना 10 नवंबर को की जाएगी. उपचुनाव में मैजिक फिगर के लिए बीजेपी को केवल 9 सीटों की जरूरत है तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस को मैजिक फिगर के लिए सभी 28 सीटों पर जीत दर्ज करनी पड़ेगी. ऐसे में ये चुनाव दोनों दलों के लिए करो या मरो का हो गया है.