20 days treatment, report negative, even after 50 days in ICU; Some 45 days later, after being discharged from the hospital, he came home and still on oxygen support | 20 दिन इलाज,रिपोर्ट निगेटिव, इसके बाद भी 50 दिन आईसीयू में; कोई 45 दिन बाद अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर पहुंचा फिर भी ऑक्सीजन सपोर्ट पर

20 days treatment, report negative, even after 50 days in ICU; Some 45 days later, after being discharged from the hospital, he came home and still on oxygen support | 20 दिन इलाज,रिपोर्ट निगेटिव, इसके बाद भी 50 दिन आईसीयू में; कोई 45 दिन बाद अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर पहुंचा फिर भी ऑक्सीजन सपोर्ट पर


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इंदौर3 घंटे पहले

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ये धार जिले के 55 वर्षीय मरीज हैं। इन्हें शुगर भी है। रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद इन्हें नॉन-कोविड वार्ड में शिफ्ट किया जा चुका है। अभी भी सांस लेने में दिक्कत हो रही है। एक माह से ऑक्सीजन (बायपेप) के सहारे हैं।

  • इंदौर में अब 25 हजार मरीज, एक्टिव 4518, वायरस आता है, जाता है; मुसीबत उनकी, जिन्हें रिकवरी में असामान्य रूप से महीनों लग रहे
  • रिपोर्ट निगेटिव फिर भी बायपेप के सहारे रह रहे मरीज

(नीता सिसौदिया) शहर में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 25 हजार पार हो गई है। कोविड मरीजों को ठीक होने पर वैसे तो 10 से 14 दिन में अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है, लेकिन कोरोना से जुड़े कुछ ऐसे भी केस सामने आए हैं, जिनमें दो महीने इलाज के बाद भी मरीज ठीक नहीं हुए हैं। कुछ ऐसे मरीज हैं, जो 50 दिन आईसीयू रहे तो कुछ को अस्पताल से छुट्‌टी मिलने के बाद घर पर भी ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा है। कुछ ऐसे भी मामले हैं, जिनमें मरीज की कोविड रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद नॉन-कोविड वार्ड में शिफ्ट कर ऑक्सीजन के सहारे रखा गया है।

50 दिन में भी सुधार नहीं, डिप्रेशन के शिकार हुए
57 वर्षीय मरीज को 22 जुलाई को यूनिक अस्पताल में भर्ती किया। रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो 31 जुलाई तक वहीं इलाज चलता रहा। जब सांस लेने में तकलीफ हुई तो अरबिंदो अस्पताल शिफ्ट किया। 10 अगस्त को रिपोर्ट निगेटिव आई, तब तक बीमारी ने फेफड़े 70 से 80 फीसदी तक खराब कर दिए। रिपोर्ट निगेटिव थी तो भंडारी अस्पताल शिफ्ट किया गया। 50 दिन बीत गए। कभी शरीर में दर्द तो कभी मानसिक तनाव से गुजरे। इसके लिए डॉक्टरों को अलग दवा देना पड़ी। डॉक्टरों ने फेफड़े ट्रांसप्लांट के विकल्प पर बात की, लेकिन मरीज की जान बच न सकी।

दो माह बाद भी ठीक नहीं, अब भी ऑक्सीजन दे रहे
ग्रीन पार्क कॉॅलोनी निवासी 47 वर्षीय मरीज को 26 जुलाई को भर्ती किया था। रिपोर्ट पॉजिटिव आई। अस्पताल में ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखना पड़ा। 45 दिन आईसीयू में रहे। रिपोर्ट निगेटिव आने पर छुट्टी हो गई, लेकिन घर में भी ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। परिवार के सदस्य थोड़ी-थोड़ी देर में ऑक्सीजन का लेवल जांचते हैं। ध्यान रखना पड़ता है कि कहीं ऑक्सीजन खत्म नहीं हो जाए। डॉक्टर के पास जाते हैं तो ऑक्सीजन सिलेंडर साथ रखना पड़ता है। बड़े भाई बताते हैं कि जब भाई अस्पताल में थे, तब पूरा परिवार क्वारेंटाइन था।

हर सौ में 5 मरीज ठीक होने में एक से दो माह का समय ले रहे, क्योंकि वायरस इनके श्वसन तंत्र को ज्यादा नुकसान पहुंचा रहे : एक्सपर्ट
चेस्ट फिजिशियन डाॅ. रवि डोसी के मुताबिक हर सौ में से पांच मरीज ठीक होने में एक से दो माह का समय ले रहे, क्योंकि वायरस का प्रभाव उनके श्वसन तंत्र पर ज्यादा पड़ा है। ए-सिम्टोमैटिक मरीज भी इस डर से बाहर नहीं आ पा रहे हैं। सांस फूलने की समस्या पर वे सभी तरह की जांच करवा रहे हैं, जबकि सारी रिपोर्ट नॉर्मल आ रही है। हर सौ में से दस मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। इसकी मुख्य रूप से दो वजह है। पहली उम्र और दूसरा पुरानी बीमारियां। इसी कारण वे लंबे समय तक जीवनरक्षक उपकरण पर हैं। फेफड़ों के जिस हिस्से पर वायरस अटैक कर रहा, वे कड़क (फाइब्रोसिस) हो रहे। अब ठंड का मौसम शुरू होने वाला है। यह सामान्य निमोनिया का ही मौसम है। ऐसे में कोविड-19 के कारण होने वाला निमोनिया ज्यादा घातक हो सकता है।



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