Amlighat: 20 people die every year, there is no security arrangement, then 2 people drown | आंवलीघाट: हर साल 20 लोगों की होती है मौत पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं, फिर 2 लोग डूबे

Amlighat: 20 people die every year, there is no security arrangement, then 2 people drown | आंवलीघाट: हर साल 20 लोगों की होती है मौत पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं, फिर 2 लोग डूबे


सीहोर22 मिनट पहले

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  • अवैध उत्खनन से नर्मदा में 20 से 70 फीट गहरे गड्ढे, इसलिए डूबते हैं लोग

सलकनपुर के पास नर्मदा नदी के आंवली घाट पर शनिवार सुबह नहाते समय गहरे पानी में चले जाने तीन लोग डूब गए। हालांकि स्थानीय लोगों की मदद से एक युवक को किसी तरह बाहर निकाल लिया, लेकिन 15 वर्षीय बालक सहित 27 वर्षीय युवक की डूबने से मौत हो गई। गोताखोरों की मदद से करीब 2-2 घंटे के अंतराल में दोनों के शव मिले। इन दोनों की मौत की सबसे बड़ी वजह यहां अवैध उत्खनन ही है। दरअसल जब गर्मी में नदी का पानी उतर जाता है तो यहां अवैध उत्खनन शुरू हो जाता है। बारिश में पानी बढ़ते ही ये गड्‌ढे डूब जाते हैं और इन्हीं में फंसकर लोग मौत का शिकार बन रहे हैं। भादाकुई से मीणा परिवार के लोग अधिकमास में नर्मदा स्नान करने आए थे। सुबह करीब 11 बजे जब परिवार के सभी लोग नहा रहे थे तभी 15 वर्षीय प्रदीप पुत्र गोविंद मीणा के पैरों के नीचे से अचानक रेत फिसली और वह गिरकर गहरे पानी में चला गया। उसे देखते ही प्रदीप का चाचा अभिषेक पुत्र रामचंद्र 24 वर्ष उसे बचाने के लिए पानी में कूद गए। लोगों ने उन्हें निकाल लिया। प्रदीप को ही बचाने के लिए अभिषेक की बुआ का लड़का निखिल पुत्र मोहन मीणा भी नदी में कूदा था लेकिन वह भी वापस नहीं आया। शाम 4 बजे दोनों के शव मिले।
अवैध उत्खनन पर भी रोक नहीं
आंवलीघाट पर होने वाले अवैध उत्खनन को भी प्रशासन अब तक रोक नहीं पाया है। जब नर्मदा में पानी कम होता है तो रेत माफिया अवैध उत्खनन करते हैं। ऐसे में यहां बड़े-बड़े गड्ढे हाे जाते हैं। बाद में जब नर्मदा में पानी बढ़ता है तो यही गड्ढे स्नान करने पहुंचने वालों के लिए मौत के गड्ढे साबित होते हैं।

ये औपचारिकता ही तो है : त्योहार पर ही प्रशासन करता है सुरक्षा के इंतजाम

सुरंगनुमा गड्ढों में ही फंसकर डूबते हैं लोग
नर्मदा में लगातार डूबने की घटनाएं हो रही थीं। यह सवाल पुलिस को भी परेशान कर रहा था। चार साल पहले तात्कालीन एसपी के निर्देशन में नर्मदा तटीय क्षेत्र के थाना प्रभारियों ने नाव पर सवार होकर नर्मदा की गहराई नापने का प्रयास किया । रस्सी में कड़ी डालकर जब नर्मदा की गहराई नापी गई तो कहीं 20 फीट तो कहीं 70 फीट तक गहरे गड्ढे पाए गए। इनके बीच ज्यादा दूरी भी नहीं थी। ये गड्‌ढे पनडुब्बी या मोटर पंप से रेत निकालने के दौरान बने हुए प्रतीत होते थे।

पानी उतरने के बाद आंवलीघाट पर रेत का अवैध उत्खनन होता है जिससे गड्ऐ बन जाते हैं और फिर इन्हीं में फंसकर लोग डूब जाते हैं। दूसरे चित्र में डूबने वालों को तलाश करते गोताखाेर।

वहां चेतावनी बोर्ड लगाए गए हैं
आंवलीघाट पर नहाने पहुंचने वालों के लिए यहां चेतावनी बोर्ड लगाए गए हैं। शकई बार लोग घाट को छोड़कर गहरे और तेज बहाव वाले पानी में नहाने पहुंच जाते हैं। जअवैध उत्खनन को रोकने के लिए भी पुलिस और खनिज विभाग लगातार कार्रवाई करता है।-समीर यादव, एडि. एसपी सीहोर

आप बीती
मैंने बहुत कोशिश की, लेकिन बचा नहीं पाया : अभिषेक

रिश्ते में मृतक प्रदीप के चाचा और निखिल का मामेरा भाई अभिषेक पुत्र रामचंद्र 24 साल ने भास्कर को बताया कि सुबह करीब 11 बजे जब वे नहा रहे थे तभी अचानक प्रदीप के पैरों के नीचे से रेत फिसली और वह गहरे पानी में गिर गया। प्रदीप को बचाने के लिए मैं भी गहरे पानी में कूदा और उसका हाथ पकड़ लिया। मैं अचानक गड्ढेनुमा जगह में फंसने के कारण मैं घबरा गया और किसी तरह बाहर आने की कोशिश करने लगा। मुझे छटपटाता देख वहां मौजूद अन्य लोगों ने मुझे किसी तरह बाहर निकाला।



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