Small and big farmers do not benefit from the boom of tur | तुअर की तेजी का लाभ छोटे-बड़े किसानों को नहीं

Small and big farmers do not benefit from the boom of tur | तुअर की तेजी का लाभ छोटे-बड़े किसानों को नहीं


इंदौर4 मिनट पहले

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तुअर एवं दाल के भाव गरीब-मध्यम परिवार की क्रयशक्ति के बाहर हो गए हैं। वर्तमान में तुअर की तेजी का लाभ छोटे-बड़े किसानों को मिल रहा है, ऐसा भी नहीं है तुअर का स्टॉक नैफेड अथवा बड़ी कंपनियों एवं 4-6 चुनिंदा व्यापारियों के पास है।इससे आए दिन भावों में तेजी आती जा रही है।

तुअर समर्थन भाव से काफी ऊपर भावों पर बिक रही है। वर्तमान में नैफेड का रवैया भावों में मंदी लाने के बजाय लाभ कमाने का अधिक हो गया है। कम भाव के टेंडर को निरस्त करके आग में पेट्रोल डालने का कार्य कर रही है। ऐसी स्थिति में तुअर एवं दाल के भाव कहां जाकर रुकेंगे, यह कल्पना करना भी आसान नहीं रह गया है। आम धारणा यह बनती जा रही है। केंद्र सरकार एवं उसकी एजेंसियां स्वयं तेजी के पक्ष में है। अन्यथा दालों के भाव इतने नहीं बढ़ सकते थे।

डीजीएफटी ने महीनों पूर्व तुअर एवं मूंग आयात के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे। कुछ माह तक दलहन आयात करने वाली मिलों का भौतिक परीक्षण किया। कहा जा रहा था कि भौतिक परीक्षण के बाद आयात लायसेंस जारी कर दिए जाएंगे।

यदि भौतिक परीक्षण पूरा नहीं हुआ तब उड़द के लिए आवेदन क्यों मंगाए गए हैं। उड़द के आवेदन मंगाने के बजाय आयात अवधि बढ़ाना अधिक सुविधाजनक था। एक बार जो आयात कर चुके हैं, उन्हें फिर से अवसर क्यों दिया गया।

अवधि बढ़ाने पर त्वरित आयात हो सकता था और भावों पर लगाम लग सकती थी। जहां तक तुअर आयात का सवाल है, दिसंबर में नया माल भारत की मंडियों में आना शुरू हो जाएगा। संभवत: आगे-पीछे आयात लायसेंस जारी किए जाएंगे। ऐसी स्थिति किसानों को नुकसान होगा।

कृषि मूल्य आयोग ने भी सुझाव दिया है कि जब किसानी माल की आवक मंडियों में होती है, उस समय नैफेड बिक्री नहीं करें। डीजीएफटी थोक में लायसेंस जारी करेगी। उसका भुगतान किसानों को करना ही है।तुअर एवं दाल के भावों पर नियंत्रण पाना है तब नैफेड को प्रत्येक भाव के टेंडर स्वीकार करना चाहिए एवं डीजीएफटी को आयात लायसेंस जारी करना होंगे।

वर्तमान में दालों की तेजी वर्तमान केंद्र सरकार के 6 वर्ष के कार्यकाल में धब्बा माना जाएगा। दालों में तेजी मानव निर्मित है। प्रकृति निर्मित नहीं। तुअर का उत्पादन हुआ था किंतु कुछ हाथों में जकड़कर रह गई है।

चना कांटा 5500 तुअर महाराष्ट्र 7900 कर्नाटक 8000 निमाड़ी 6500 से 7200 मसूर 5650 से 5675 मूंग हल्का 6000 से 6200 एवरेज 6500 से 6700 बेस्ट 7100 से 7300 उड़द 7200 से 7500 सरसों निमाड़ी 4800 से 4850 रुपए। चना दाल चलनसर 6300 मध्यम 6900 बोल्ड 7100 तुअर दाल फूल 10400 से 10500 सवा नंबर 9700 से 9800 मार्केवाली 107 आयातित तुअर नई 9900 पुरानी 9700 सवा नंबर 9200 से 9400 मसूर दाल 6600 से 6800 मूंगदाल 7800 से 8000 बोल्ड 8400 से 8600 मोगर 8700 से 8800 बोल्ड 9300 से 9400 उड़द दाल 8600 से 8800 बोल्ड 9700 से 9800 मोगर 9800 से 10,000 बोल्ड 11000 से 11500 रुपए। गेहूं मिल क्वालिटी 1550 से 1650 लोकवन 1750 से 1850 पूर्णा 1850 से 1950 मालवराज 2050 से 2150 मक्का 1150 से 1200 रुपए।

तुअर दाल में 200 रुपए तेज
तुअर एवं दाल में सटोरियों की पकड़ मजबूत हो गई है। भाव कहां जाकर स्थिर होंगे, यह कहना भी कठिन है। तुअर दाल का स्टॉक लगभग समाप्त हो गया है। अधिकांश मिलें एक-डेढ़ माह पहले ही ताले लगा चुकी है। अभी तक इंदौर की अपेक्षा महाराष्ट्र में तुअर दाल सस्ती बिकती आई है। इस बार इंदौर से अधिक भाव बोले जा रहे हैं। इंदौर में 200 रुपए दाल में और बढ़ गए। मांग के अभाव में डॉलर चने में मंदी रही। गेहूं की आवक कम है और मांग भी सुस्त है।



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