प्रबल मावई अपने चचेरे भाई राकेश को टिकट मिलने से नाराज़ हैं.
कांग्रेस (Congress) इसे टिकट वितरण का असंतोष मान रही है. पार्टी (Party) का कहना है यह दरअसल भाई – भाई और परिवार की लड़ाई है जो जल्द सुलझ जाएगी.
कांग्रेस यू तो इस उपचुनाव के ज़रिए सत्ता में वापसी की आस लगाए बैठी है. लेकिन कांग्रेस अभी भी अंदरूनी बगावत रोकने में नाकाम साबित हुई है. मंगलवार को आई कांग्रेस प्रत्याशियों की तीसरी लिस्ट के बाद मुरैना में कांग्रेस दो फाड़ हो गयी. इस सीट पर पूर्व कांग्रेस विधायक स्व. सोबरन मावई के बेटे और पूर्व नगर पालिका उपाध्यक्ष प्रबल प्रताप मावई टिकट की दावेदारी कर रहे थे. लेकिन टिकट उन्हें न मिलकर उनके चचेरे भाई और वर्तमान कांग्रेस जिलाध्यक्ष राकेश मावई को दे दिया गया. इसके बाद नाराज प्रबल प्रताप ने पार्टी प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सीएम कमलनाथ को अपना इस्तीफा भेज दिया.
पार्टी पर आरोप
प्रबल प्रताप ने सीधे पार्टी के प्रदेश नेतृत्व पर हमला बोला. उन्होंने कहा पार्टी नेतृत्व ने मन मुताबिक टिकट बांटे.प्रबल प्रताप पूर्व में सिंधिया समर्थक रहे हैं लेकिन 2018 में कांग्रेस से टिकट ना मिलने पर यह दिग्विजय सिंह की शरण में चले गए थे. प्रबल प्रताप ने सिंधिया के साथ भाजपा में जाने की अटकल से फिलहाल इंकार किया है. साथ ही कहा है कि वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे या नही इसका फैसला वो अपने शुभचिंतकों से बात करने के बाद ही करेंगे.ये भाई-भाई का झगड़ा
कांग्रेस इसे टिकट वितरण का असंतोष मान रही है. पार्टी का कहना है कि यह दरअसल भाई – भाई और परिवार की लड़ाई है जो जल्द सुलझ जाएगी. कांग्रेस पार्टी ने प्रत्याशी चयन कई छलनियां लगाकर किया जो सही है.
घर-परिवार से हारेगी कांग्रेस
कांग्रेस में टिकट प्रक्रिया पर सवाल और वरिष्ठ कांग्रेसी के इस्तीफे के बाद हमलावर हुई भाजपा ने कहा कांग्रेस में कोई नेता या नेतृत्व नहीं है. कांग्रेस घर से ही हारेगी. भाजपा विकास और जन हित के मुद्दे पर चुनाव में जाएगी और सभी सीटों पर जीत हासिल करेगी.