Sold 500 acres of land from Haridwar to Ayodhya, land worth 200 crores for just 2 crores | हरिद्वार से अयोध्या तक बेच दीं 500 एकड़ जमीनें, 200 करोड़ की जमीनें तो सिर्फ 2 करोड़ रुपए में

Sold 500 acres of land from Haridwar to Ayodhya, land worth 200 crores for just 2 crores | हरिद्वार से अयोध्या तक बेच दीं 500 एकड़ जमीनें, 200 करोड़ की जमीनें तो सिर्फ 2 करोड़ रुपए में


भोपाल/इंदौर19 घंटे पहले

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26 राज्यों में 246 संपत्तियां शामिल हैं।

  • इंदौर के इस ट्रस्ट के पास देशभर में 12 हजार एकड़ से ज्यादा जमीनें हैं, जिनकी कीमत 10 हजार करोड़ से ज्यादा
  • कलेक्टरों से कहा- तत्काल सारी संपत्तियों पर कब्जा लें, अन्य राज्यों से भी मदद का आग्रह

इंदौर के खासगी ट्रस्ट ने हरिद्वार से अयाेध्या तक पावर ऑफ अटार्नी के जरिए देश भर में 500 एकड़ से ज्यादा जमीनें बेच दी हैं। अनुमान है कि यह पूरा घोटाला एक हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का है। हाईकोर्ट का निर्णय आने के बाद सरकार ने आज इस मामले की ईओडब्ल्यू जांच का निर्णय किया है। इसमें 200 करोड़ रुपए से ज्यादा की जमीनें तो सिर्फ 2 करोड़ रुपए में बेच दी गई हैं। सरकार ने सभी राज्यों को पत्र लिखा है कि इन जमीनों के किसी भी तरह के हस्तांतरण पर रोक लगा दी जाए और इनका कब्जा राज्य सरकार को दिया जाए।

प्रदेश के सभी जिलों के कलेक्टरों से कहा गया है कि वे प्रदेश भर में मौजूद संपत्तियों पर तत्काल कब्जा लें और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें। राजस्व विभाग में एक अलग समिति बनाई जा रही है जो इन परिसंपत्तियों के रखरखाव और निगरानी सुनिश्चित करेगी। उच्चतम न्यायालय में एक केविएट भी दायर की जा रही है, ताकि कोई भी एकतरफा निर्णय न हो सके। खासगी ट्रस्ट के पास देशभर में 12 हजार एकड़ से ज्यादा जमीनें हैं, जिनकी कीमत 10 हजार करोड़ से ज्यादा बताई जा रही है।

ट्रस्ट के पास हरिद्वार, बनारस, अयोध्या, इलाहाबाद, पुष्कर, पंढरपुर, चिंदरी, गोकर्ण, रामेश्वरम, वृंदावन, त्र्यंब्यकेश्वर, नासिक और महेश्वर जैसे स्थानों पर 250 से ज्यादा घाट, मंदिर, धर्मशालाएं, छत्रियां आदि है।

खासगी ट्रस्ट की संपत्तियां सरकार में विलीन हो गई थीं
7 मई 1949 को होलकर और मध्यभारत के बीच एक समझौता हुआ जिसमें साफ तौर पर कहा गया कि “खासगी ट्रस्ट की संपत्तियां व आय मध्यभारत में समाहित हो गई हैं”। बदले में मध्यभारत सरकार ने 291952 रुपए का सालाना राजस्व ट्रस्ट को देना तय किया था, यह राजस्व धर्मस्व पर व्यय के लिए था और यह अहिल्याबाई होलकर की चैरिटीज पर ही लागू था। समझौते के बाद यशवंतराव होलकर और उनके उत्तराधिकारियों ने एक न्यास गठित करने की इच्छा जताई थी जिसका उद्देश्य ट्रस्ट का मैनेजमेंट व मैंटेनंस करने का था। इस ट्रस्ट में ऊषादेवी होलकर को अध्यक्ष बनाया जाना था और उनके दो प्रतिनिधि तथा राज्य सरकार के दो प्रतिनिधि भी इसमें रखे गए। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि सरकारों के कोई भी प्रतिनिधि बिना मंत्रिपरिषद् की अनुमति किसी भी जमीन का विक्रय या हस्तांरण नहीं कर सकते थे।

2007 में हुई संपत्तियां बेचने की शुरुआत… 2012 में पहली शिकायत

  • 23 अगस्त 2007 को खासगी ट्रस्ट ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें ट्रस्ट की संपत्तियों की देखरेख के लिए एक व्यक्ति को अधिकृत करने का फैसला लिया गया। इस ट्रस्ट में ऊषा राजे के अलावा सतीश मल्होत्रा, रणजीत होलकर, तत्कालीन संभागायुक्त बीपी सिंह, सरकारी प्रतिनिधि बीजे हीरजी और बीएन श्रीवास्तव ट्रस्टी थे।
  • खास बात यह है कि इस प्रस्ताव पर सभी के हस्ताक्षर थे। बीपी सिंह बाद में मुख्य सचिव बने, बीजे हीरजी साठ के दशक में इंदौर के कमिश्नर रह चुके थे और बीएन श्रीवास्तव भी इंदौर के संभागायुक्त रहने के बाद मुख्य सचिव पद से रिटायर हुए। इस मामले में छोटी मोटी शिकायतें चलती रहीं लेकिन 2012 में पहली बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने यह मसला आया।

मुख्यमंत्री ने इसकी जांच प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव को सौंपी।
श्रीवास्तव ने अपनी रिपोर्ट तत्कालीन सीएस परशुराम को भेजी। इसमें खासगी के इस संपत्ति अधिकार को ही गलत ठहराया। रिपोर्ट में अवैध रूप से जमीन बेचने के कई उदाहरण दिए। इसके आधार पर स्थानीय कलेक्टरों ने कार्रवाई शुरू की तो ट्रस्ट ने हाइकोर्ट से स्टे ले लिया और अपना काम शुरू कर दिया।

2014 में खुलासा… कई संपत्तियों के सौदे तो 100 से 700 रुपए तक में
2014 में इंदौर के तत्कालीन संभागायुक्त संजय दुबे ने दोबारा मामला खोला और सरकार को बताया कि खासगी ने हरिद्वार के कुशावर्त घाट के अलावा पुष्कर, रामेश्वरम के पवित्र घाट, वृंदावन, नासिक में संपत्तियां बेच दी है। इन संपत्तियों का बाजार मूल्य उस समय 200 करोड़ रु. से भी ज्यादा का था, जो मात्र 2 करोड़ रुपए में बेचना बताई गई। इसमें कई संपत्तियों के सौदे तो 100 से लेकर 700 रु. तक में कर दिए। इसमें सरकार को बड़े पैमाने पर कालेधन के उपयोग और टैक्स चोरी का अंदेशा था।

चिट्‌ठी में संपत्तियां बिकने का दिया था ब्योरा

  • कुशावर्त घाट हरिद्वार की संपत्ति जनवरी 2008 में बिकी।
  • रामेश्वरम जिला रामनाथपुराम स्थित संपत्ति 2003-04 में बेची।
  • पुष्कर जिला अजमेर में 1984 और 2011 में संपत्ति बेची गई।
  • वृंदावन जिला मथुरा में 2010 में संपत्ति बेची, लेकिन बाद में कानूनी विवाद शुरू हो गया। इलाहाबाद की संपत्त 2010 में बेची, इसमें भी कानूनी विवाद हो गया।
  • नासिक की संपत्ति 2008 में बिकी, इसमें भी कानूनी विवाद है।
  • पंढरपुर की संपत्ति पर 24 लोगों का अतिक्रमण मिला।
  • विष्णु मंदिर, पुणे ट्रस्ट के कब्जे में नहीं मिली।

श्रीवास्तव रिपोर्ट की अनुशंसाएं

  • देश भर में खासगी ट्रस्ट की संपत्तियों का विस्तृत सर्वे हों। उनमें कितने अनधिकृत सौदे किए गए और किस आधार पर बेचा गया या लीज पर दिया गया, यह पता लगाया जाए
  • इन सौदाें से प्राप्त आय ट्रस्ट के खातों में गई या किसी निजी व्यक्ति के खातों में, यह पता लगाया जाए।
  • कितनी संपत्तियों के नामांतरण हुए और आज उन खसरा नंबर की क्या स्थिति है
  • समस्त खासगी ट्रस्ट की हेरा फेरी करने वालों के विरुद्ध क्रिमिनल एक्शन हो
  • ट्रस्टियों के खिलाफ कार्रवाई
  • सभी संपत्तियों पर आधिपत्य लेकर राज्य के नाम दर्ज करना।
  • अन्य राज्यों से जानकारी मंगवाकर संपत्तियों पर आधिपत्य लेना।
  • संपत्तियों के प्रबंधन की व्यवस्था सुनिश्चित करना और उन्हें महाकाल, खजराना की तरह एक अधिनियम लाकर सुरक्षित करना
  • सौदाें में हुए भुगतान की भरपाई ट्रस्टियों से करवाना आदि।



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