बड़ी गड़बड़ी : बर्खास्त और जेल गए कर्मचारियों को दे दिया कोरोना योद्धा सेवा सम्मान | shivpuri – News in Hindi

बड़ी गड़बड़ी : बर्खास्त और जेल गए कर्मचारियों को दे दिया कोरोना योद्धा सेवा सम्मान | shivpuri – News in Hindi


मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है कि ये लिस्ट हमने जारी नहीं की है.

कोरोना सेवा सम्मान में दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह है कि जो लगातार कोरोना (Corona) ड्यूटी में लगे हैं और सैंपल ले रहे है,उन्हें यह प्रशंसा पत्र दिए ही नहीं गए.

शिवपुरी. शिवपुरी (Shivpuri) में कोरोना योद्धा (Corona warriors ) सेवा सम्मान में बड़ी गड़बड़ी पकड़ में आयी है. यह सम्मान ऐसे स्वास्थ्य कर्मचारियों (Health workers) को दे दिया गया जो निलंबित, बर्खास्त और जेल जा चुके हैं. मज़ेदार बात ये कि जिन लोगों ने कोरोना संकट काल में दिन रात सेवा की उनमें से किसी का नाम इन योद्धाओं की सूची में नहीं है.

कोरोना काल के दौरान अपनी जान की बाज़ी लगाकर मरीज़ों की सेवा करने वाले डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों को कोरोना योद्धा के रूप में सम्मानित करने के लिए प्रदेश सरकार ने डिजिटल प्रशंसा पत्र जारी किए हैं.लेकिन इनमें कुछ प्रशंसा पत्र ऐसे लोगों को जारी कर दिए गए जो भ्रष्टाचार जैसे गंभीर आरोपों में निलंबित या बर्खास्त हो चुके हैं. इतना ही नहीं ऐसे स्वास्थ्य कर्मी को भी प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया जो इन दिनों जेल में है.

अपात्र को सम्मान
प्रशंसा पत्र पाने वाले इन लोगों में मनोज शर्मा लैब टेक्नीशियन का नाम भी है जो दो साल से निलंबित है. वहीं वॉर्ड बॉय सुम्मा आदिवासी जो चेक बाउंस के मामले में जेल में है उसे भी कोरोना योद्धा सेवा सम्मान दिया गया. इसी तरह एक महिला पुष्पा कुशवाह, एक ब्लॉक अकाउंट मैनेजर वरुण मंगल सहित कुछ अन्य ऐसे नाम हैं जो कहीं ना कहीं आरोपों से घिरे हैं. खास बात ये है कि इनमें से किसी ने भी कोरोना ड्यूटी नहीं की है.कोरोना वॉरियर्स का दर्द

दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह है कि जो लगातार कोरोना ड्यूटी में लगे हैं और सैंपल ले रहे है,उन्हें यह प्रशंसा पत्र दिए ही नहीं गए. ऐसे ही एक लैब टेक्नीशियन का कहना है वे लगातार कोरोना सैंपल लेते हैं और जांच भी करते हैं बावजूद उन्हें प्रमाण पत्र नहीं मिले. इसका उन्हें दुख है. उन्हें उम्मीद है कि सरकार उनके काम को भी तरजीह देगी.

किसने की लापरवाही

इस संबंध में जब मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से बात की गई तो वे बचाव करते नज़र आए. उनका कहना है जिस सूची से प्रमाण पत्र बनाए गए हैं वह हमने जारी नहीं की थी. वो तो सीधे प्रदेश से ही उठा ली गई और प्रमाण पत्र जारी कर दिए गए. कुल मिलाकर जब उनसे यह पूछा गया कि इसकी इस लापरवाही का जिम्मेदार कौन है तो कोई जवाब नहीं था.





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