21 lakhs paid to PHE instead of panchayat, water did not flow in borewells of four cowsheds, now doubtful about the loss | पंचायत की बजाए पीएचई को कर दिया 21 लाख का भुगतान, चार गोशालाओं के बोरवेल में नहीं निकला पानी, अब नुकसान की भरपाई को लेकर संशय

21 lakhs paid to PHE instead of panchayat, water did not flow in borewells of four cowsheds, now doubtful about the loss | पंचायत की बजाए पीएचई को कर दिया 21 लाख का भुगतान, चार गोशालाओं के बोरवेल में नहीं निकला पानी, अब नुकसान की भरपाई को लेकर संशय


शाजापुर19 घंटे पहले

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  • बोरवेल का ठेका जिला पंचायत से सीधे पीएचई को देने के कारण बनी स्थिति

ग्राम पंचायतों में बनाई जाने वाली गोशालाओं में बोरवेल का नया पेंच सामने आया है। जिले में बनने वाली 27 गोशालाओं में से वैसे तो पूरे निर्माण का जिम्मा ग्राम पंचायत को दिया गया, लेकिन इसमें से 21 गोशालाओं में पानी उपलब्ध कराने के बोरवेल व मोटर आदि लगाने का काम जिला पंचायत के तत्कालीन अधिकारियों ने सीधे पीएचई को सौंप दिया। पीएचई ने बोरवेल खनन कराए तो 4 बोरवेल फेल हो गए। नतीजतन अब इस घाटे की पूर्ति को लेकर ग्राम पंचायत, जिला पंचायत व पीएचई के बीच पेंच फंस गया।

तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में जिले में 27 गोशालाओं के लिए करीब 7.5 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए। इन गोशालाओं में पानी की व्यवस्था जुटाने के लिए प्रत्येक गोशाला के लिए एक-एक लाख रुपए स्वीकृत हुए थे। इधर, जिला पंचायत ने स्वीकृत सभी गोशालाएं बनवाने के लिए स्थानीय ग्राम पंचायत को निर्माण एजेंसी बनाया गया, लेकिन इन गोशालाओं में पानी के स्रोत तैयार करना या पाइप लाइन से पानी उपलब्ध कराने के लिए स्वीकृत प्रत्येक गोशाला के मान से एक-एक लाख रुपए की राशि जिला पंचायत ने सीधे पीएचई को दे दी। पीएचई के अधिकारियों की मानें तो उन्हें सिर्फ 21 लाख रुपए मिले। इनसे उन्होंने सभी 21 गोशालाओं में बोरवेल खनन भी करा दिए। इस बीच 4 गोशाला में 120 से 140 फीट खनन करने के बाद भी पानी नहीं निकला और वे फेल हो गए। सतगांव, आक्या, निपानिया डाबी व कालापीपल क्षेत्र की एक गोशाला में अब नए सिरे से पानी के इंतजाम कराना पड़ेंगे।

राशि को लेकर असमंजस
बोरवेल खनन पर पीएचई ने राशि खर्च कर दी, लेकिन यहां बोरवेल के फेल होने से अब नए इंतजाम के लिए अलग से राशि कौन खर्च करेगा, इसको लेकर ग्राम पंचायत से लेकर पीएचई व जनपद पंचायत के अधिकारी भी असमंजस में हैं। उक्त गोशालाओं में पानी उपलब्ध कराने के लिए खर्च होने वाली राशि कहां से अाएगी, यह स्थिति अभी स्पष्ट नहीं हो पाई। यदि इन गोशालाओं में पानी की व्यवस्था नहीं होगी तो गोशालाओं को संचालन भी शुरू नहीं हो सकेगा। मामले में मनरेगा के परियोजना अधिकारी रमेश भारती ने बताया कि जहां बोरवेल फेल हो चुके हैं। वहां नए इंतजाम क्या किए जाएं, इसको लेकर वरिष्ठ स्तर पर चर्चा की जाएगी।

बड़ा सवाल : निर्माण एजेंसी पंचायत को क्यों नहीं दी राशि
गोशाला निर्माण के लिए शासन स्तर से ग्राम पंचायतों को ही निर्माण एजेंसी बनाया गया था। बड़ा सवाल यह है कि पेयजल व्यवस्था के लिए स्थानीय अधिकारियों ने किसी अन्य विभाग को जिम्मेदार क्यों दे दी। इतना ही नहीं इसके लिए थोक में एक साथ पूरी राशि भी संबंधित विभाग को जारी कर दी। ऐसे में राशि जारी करने वाले तत्कालीन अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी संदेह होने लगा है। इसको लेकर निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायतें भी सवाल खड़ा करने लगी है।

दूसरी योजना के तहत पानी की व्यवस्था करवाएंगे
गाेशालाआों के लिए पहाड़ी क्षेत्रों में ही शासकीय जमीन मिली है। इस कारण पहाड़ी क्षेत्रों में ही बोरवेल खनन कराना पड़ा। स्थिति यह रही कि 120 से 140 फीट गहरे बोरवेल कराना पड़े। इसके बाद भी 4 बोरवेल फेल हो गए। जिन 21 गोशालाओं की राशि मिली थी वह खर्च हो गई है। अब यहां किसी दूसरी योजना के तहत पानी की व्यवस्था करेंगे।
– वी.एस. चौहान, ईई पीएचई शाजापुर

पीएचई को ही कराना पड़ेंगे पानी के इंतजाम
यदि पानी के इंतजाम के लिए पीएचई को जिम्मेदारी दी गई है तो उन्हीं को इसके इंतजाम करना हांेगे। इसके लिए शासन ने एक बार उस मद में राशि दे दी है। बोरवेल फेल होने की स्थिति में भी पीएचई को ही पानी के इंतजाम करना पड़ेंगे।
– मीशा सिंह, सीईओ, जिला पंचायत शाजापुर



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