सागर17 घंटे पहले
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- बीएमसी – कोरोना पॉजिटिव मरीजों की मौत के मामले में एमपी एमसीआई नहीं करेगी कार्रवाई
कोरोना पॉजिटिव मरीजों की मौत के मामले में बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के तीन जूनियर डॉक्टरों के खिलाफ एमपी एमसीआई द्वारा की गई कार्रवाई गुरुवार को वापस ले ली गई। साथ ही डॉ. आरएस वर्मा सहित तीन अन्य डॉक्टरों का रुका हुआ वेतन भी रिलीज कर दिया गया। इसी के साथ मृत्युंजय महादेव मंदिर परिसर में मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के बैनर तले हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों ने भी आंदोलन समाप्त कर दिया। हड़ताल के दूसरे दिन कई अन्य संगठनों द्वारा प्रदर्शन स्थल पर आकर समर्थन दिया था।
माना जा रहा था कि दूसरे दिन भी हड़ताल जारी रह सकती है, लेकिन दोपहर 1 बजे मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. जीएस पटेल ने सभी के बीच पहुंचकर तीनों जूनियर डॉक्टरों पर की गई कार्रवाई को वापस ले लिए जाने की बात बताई। उन्होंने तीनों जूनियर डॉक्टरों की बहाली के पत्र भी दिए। वहीं डॉ. पटेल ने बताया कि सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. आरएस वर्मा का 4 महीने का वेतन भी रिलीज कर दिया गया है। उन्होंने मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन अध्यक्ष डॉ. सर्वेश जैन से कहा कि जो अन्य मांगे हैं। उन पर उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है और उच्च स्तर पर यह निर्णय होगा। इसके बाद डॉक्टरों ने बैठक कर हड़ताल समाप्त करने की घोषणा की।
बीएमसी के डीन डॉ. जीएस पटेल का कहना है कि हड़ताल पर जाने से पहले डॉक्टरों को 24 से 48 घंटे का समय देना चाहिए था। ताकि हम वैकल्पिक व्यवस्थाएं बना सकें। हालांकि हड़ताल के दौरान इमरजेंसी सेवाएं प्रभावित नहीं हुई। केवल सामान्य मरीजों को नुकसान उठाना पड़ा। आगे इस तरह के हालात नहीं बने। हम इस दिशा में काम कर रहे हैं।
दूसरे दिन भी नहीं मिला इलाज, 200 मरीज लौटे
हड़ताल दोपहर 2.30 बजे तक रही। ओपीडी समय के दौरान डॉक्टर हड़ताल पर ही थे। इस वजह से ओपीडी में चेकअप कराने पहुंचे करीब 200 मरीजों को इलाज नहीं मिला। हालांकि हड़ताल की जानकारी होने से अधिकांश मरीज बीएमसी नहीं आए थे। शुक्रवार से अब व्यवस्था वापस पटरी पर लौट आएगी।
परिजनों की आपबीती
ऐसे में न्याय की उम्मीद नहीं की जा सकती
17 जुलाई को जांच कराने चाचा ( अयूब खान) को लेकर बीएमसी गया था। यहां जांच के बाद डॉक्टरों ने कहा कि इन्हें हम ज्ञानोदय क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखेंगे। जब मैंने उनसे पूछा कि यहां क्यों नहीं रखेंगे? तो उनका कहना था कि मरीज को यहां तब रखा जाएगा जब वह बहुत सीरियस होगा। इसके बाद उन्होंने एंबुलेंस बुलाने की सूचना भेज दी। करीब 2 घंटे के इंतजार के बाद एंबुलेंस आई।
हम लोग चाचा को लेकर बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। हमने प्रशासन और बीएमसी से मामले की जांच कर निष्पक्ष कार्रवाई करने की मांग की थी। काफी प्रयासों के बाद मांग पूरी हो सकी। दोषी लोगों को दूसरे लोगों द्वारा सपोर्ट किया जाना बेहद गलत है। ऐसे में न्याय मिलने की उम्मीद नहीं की जा सकती।
– उमर खान (मृतक मोहम्मद अयूब के भतीजे)
जानिए तीनों डॉक्टरों पर क्या आरोप थे और उनका क्या जवाब है
आरोप – मरीज का इलाज करने के बजाय ट्रिपल सी भेजा
डॉक्टर की सफाई : अयूब खान की मौत के मामले में मैंने आईसीएमआर द्वारा जारी गाइडलाइन का अक्षरसः पालन किया था। मरीज की हालत गंभीर नहीं थी। इसलिए उसे बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में रखा जाना जरूरी नहीं था। पूरे मामले में मेरा कहीं से कहीं तक कोई दोष नहीं है। फिर भी जांच रिपोर्ट में मुझे जिम्मेदार ठहराया गया।
– डॉ. पल्लवी मिश्रा, मेडिकल ऑफिसर बीएमसी
आरोप – बीएमसी में रखकर इलाज करने के बजाय ट्रिपल सी भेजा
डॉक्टर की सफाई : जिस वक्त मरीज को मेडिकल कॉलेज लाया गया था। उसका ऑक्सीजन सैचुरेशन, पल्स रेट बेहतर तथा सर्दी, खांसी, जुकाम या बुखार जैसी कोई शिकायत नहीं थी। इगाइडलाइन का पालन करने को भी जिला प्रशासन ने लापरवाही बताते हुए हमें दोषी माना है। यह जांच गलत और भेदभाव पूर्ण है।
– डॉ. गौरव तिवारी प्रदर्शक बीएमसी सागर
आरोप – बीएमसी में भर्ती कराने के निर्देश का पालन नहीं कराया
डॉक्टर की सफाई : जिस जांच रिपोर्ट के आधार पर मुझे नोटिस जारी किए गए और रजिस्ट्रेशन रद्द करने की धमकी दी गई। वह जांच ही आधारहीन थी। किसी भी जांच में जिन लोगों पर आरोप लगे हैं कम से कम उनके तो बयान लिए जाते हैं। मेरे नहीं लिए गए। फिर मामला परिजनों के वार्ड के बजाय मरीज को घर ले जाने का था। जिसकी सूचना हमने समय पर प्रशासन को दे दी थी। अब इस मामले में आप किसे जिम्मेदार मानेंगे।
– डॉ. अभिजीत सिंघई, मेडिकल ऑफिसर
अब इस बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता
डॉक्टरों की हड़ताल खत्म हो गई है। मामला सुलझ गया है। अब इस बारे में चर्चा करना उचित नहीं है। वैसे भी अभी आचार संहिता लगी है। मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकता, बाद में बताऊंगा।
– मुकेश शुक्ला, कमिश्नर सागर
बेवजह नोटिस दिया जाना गलत है
महामारी के दौरान डॉक्टरों को बेवजह नोटिस जारी कर परेशान किया जाना कितना उचित है। डॉक्टरी पेशा ही इंसानियत से जुड़ा हुआ है। किसी और की गलती पर सजा मिले तो ऐसे कदम उठाना ही पड़ेंगे।
– डॉ. सर्वेश जैन, अध्यक्ष मेडिकल टीचर्स एसो. बीएमसी