भोपाल3 घंटे पहले
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- विशेषज्ञ संस्था बनाने के लिए सायबर मुख्यालय ने पहली बार शासन से की अनुशंसा, सहमति का इंतजार
(विशाल त्रिपाठी) तकरीबन 12 साल पहले भोपाल के सीआईडी थाने में सायबर क्राइम का पहला अपराध दर्ज हुआ था। पिछले कुछ साल में प्रदेश में जिस रफ्तार से क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड का इस्तेमाल बढ़ा, वही रफ्तार सायबर अपराध का ग्राफ बढ़ने की भी है। सभी शिकायतों और दर्ज हुए अपराधों पर सही कार्रवाई हो सके, इसके लिए प्रदेश में सायबर पुलिस अपनी कार्यप्रणाली में बदलाव कर रही है। इसके लिए अब तकनीकी रूप से दक्ष युवाओं को ही सायबर पुलिस में भर्ती करने के लिए अलग कैडर बनाने की अनुशंसा की गई है।
सायबर मुख्यालय ने शासन से सब इंस्पेक्टर व सिपाही स्तर पर करीब 57 पदों पर भर्ती की अनुशंसा की है। डीएसपी रश्मि खरया ने अफसरों के साथ मिलकर ये अनुशंसा तैयार की है और पुलिस मुख्यालय को भेजी है। पुलिस मुख्यालय ने सैद्धांतिक सहमति देते हुए ये अनुशंसा शासन स्तर तक पहुंचा दी है।
सब इंस्पेक्टर : सायबर पुलिस के लिए एसआई स्तर के अभी 55 पद स्वीकृत हैं। सभी पद प्रतिनियुक्ती से भरे गए हैं। इनमें से 50% पद सायबर कैडर से भरने की अनुशंसा की है। शैक्षणिक योग्यता कंप्यूटर साइंस व आईटी में इंजीनियरिंग या बीसीए होगी। बाकी भर्ती प्रक्रिया अन्य एसआई स्तर के पदों के तहत ही होगी, लेकिन सायबर कैडर के लिए एक कंप्यूटर परीक्षा भी होगी।
सिपाही : सायबर पुलिस के लिए सिपाही स्तर के लिए अभी 61 पद स्वीकृत हैं। तकरीबन सभी प्रतिनियुक्ति से भरे गए हैं। इनमें से 50 फीसदी पद सायबर कैडर से भरे जाने की अनुशंसा की गई है। शैक्षणित योग्यता 12वीं और दो वर्ष का आईटीआई डिप्लोमा होगा। सिपाही के लिए भी कंप्यूटर की एक अलग परीक्षा होगी, जिसे पास करना अनिवार्य होगा।
सायबर में ही होगा प्रमोशन: एडीजी सायबर क्राइम मिलिंद कानस्कर ने बताया कि स्पेशल ब्रांच की तर्ज पर ही सायबर कैडर का प्रस्ताव तैयार किया गया है। फिलहाल हमें शासन की मंजूरी का इंतजार है। मंजूरी के बाद करीब 57 पदों पर भर्ती की जाएगी। सायबर कैडर में भर्ती होने वाला स्टाफ सायबर में ही रहेगा और तय समयसीमा के अनुसार उन्हें यहीं प्रमोशन मिलेगा।
अनुशंसा यह भी- आईटी एक्ट में एसआई को दें जांच का अधिकार
अब तक आईटी एक्ट में इंस्पेक्टर या इससे ऊपर के अफसरों को जांच के अधिकार हैं। अब इंस्पेक्टर के बजाए सब इंस्पेक्टर को आईटी एक्ट में जांच के अधिकार दिए जाने की अनुशंसा की गई है। थानों में पदस्थ सब इंस्पेक्टर्स की संख्या इंस्पेक्टर के मुकाबले ज्यादा रहती है। इसका फायदा ये होगा कि ज्यादा से ज्यादा मामलों की तहकीकात एक साथ की जा सकेगी, जो अब तक लंबित कर दिए जाते थे।