भारत की खाद्य सुरक्षा एवं मानक अथॉरिटी (FSSAI) की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सीसे और कैडमियम जैसी खतरनाक धातुओं की निर्धारित मात्रा से दो से तीन गुना ज़्यादा तक सब्ज़ियों में पाई गई है. देश भर के बाज़ारों में बेची जा रही सब्ज़ियों में से कम से कम 9.5 फीसदी खाने लायक नहीं पाई गई हैं. राज्यों के हिसाब से भी आंकड़े सामने आए हैं और इसके पीछे की तस्वीर भी.
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सबसे खराब हालत मध्य प्रदेश मेंसब्ज़ियों की क्वालिटी चेक करने के लिए कई राज्यों से अलग अलग नमूने लिये गए थे, जिनमें से करीब 10 फीसदी नमूने फेल हो गए यानी खाने लायक नहीं पाए गए. मध्य प्रदेश से जो नमूने लिये गए, उनमें से 25 फीसदी जांच में फेल हो गए. यह सबसे खराब आंकड़ा रहा. दूसरे नंबर पर छत्तीसगढ़ राज्य रहा, जिसके 13 फीसदी नमूने फेल पाए गए. इसके बाद बिहार, चंडीगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान, झारखंड, पंजाब और दिल्ली का नंबर रहा.
ज़हरीली सब्ज़ियां देश भर में बाज़ारों में हैं.
जी हां, आप ठीक समझ रहे हैं. इस अध्ययन के लिए देश को पांच ज़ोनों में बांटकर 3300 से ज़्यादा नमूने इकट्ठे किए गए थे. दक्षिण ज़ोन से जो नमूने लिये गए, सिर्फ वही जांच में पास हुए और उत्तर, पूर्व, पश्चिम और मध्य ज़ोन के नमूनों में से 306 नमूने फेल हो गए और 5 से 15 फीसदी तक ज़हरीले स्तर तक मिलावट पाई गई. 205 नमूनों में निर्धारित स्तर से ज़्यादा घातक मिलावट पाई गई.
कितनी हो सकती है धातु की मात्रा?
पत्तों वाली सब्ज़ियों को छोड़ दिया जाए तो बाकी में लेड की मात्रा 100 माइक्रोग्राम से ज़्यादा नहीं होना चाहिए. सब्ज़ियों में मिलावट को लेकर डीएनए की विशेष रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश के टमाटरों के नमूने में 600 माइक्रोग्राम तक लेड पाया गया, जबकि भिंडी में 1000 माइक्रोग्राम. सिर्फ लेड ही नहीं, देश भर में जो सब्ज़ियां खुले बाज़ारों में पहुंच चुकी हैं, उनमें कैडमियम, आर्सेनिक और मर्करी जैसी घातक धातुओं की मिलावट है.
कहां से आ रहा है सब्ज़ियों में ज़हर?
पत्ते वाली, फल वाली और ज़मीन के अंदर उगने वाली, FSSAI ने इन तीन किस्म की सब्ज़ियों के नमूने लेकर जांच की और जो रिपोर्ट तैयार की, उसमें साफ कहा गया कि सब्ज़ियों में हेवी मेटल्स की मात्रा कीटनाशकों के इस्तेमाल बढ़ने से बढ़ी है. साथ ही, सीवेज के गंदे पानी से सिंचाई होना और मिट्टी का खराब हो जाना अन्य कारण बताए गए हैं. FSSAI ने यह भी कहा है कि इस विषय पर बड़े स्तर पर स्टडी की ज़रूरत है.
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कितना घातक हो सकता है असर?
सब्ज़ियों के ज़हरीले होने की यह कहानी नहीं है, हकीकत है और किसी एक शहर की नहीं बल्कि पूरे देश की है. दक्षिण को छोड़ दिया जाए, तो कम से कम तीन चौथाई देश की तो है ही. पैदावार, उत्पादन और खरीद फरोख्त से जुड़े खतरे तो अलग हैं, लेकिन आम नागरिक जो ये सब्ज़ियां खाने पर मजबूर हैं, उनकी सेहत पर क्या और कितने खतरे मंडरा रहे हैं? इंटरनेट पर जाकर धातुओं के दुष्प्रभाव (और संबंधित नियम भी) पढ़ सकते हैं.
लेड : ज़्यादा मात्रा में इसके सेवन से एनीमिया, कमज़ोरी, किडनी और मस्तिष्क के खराब होने के खतरे होते हैं. अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से मौत भी हो सकती है. गर्भवती मांओं से लेड से होने वाले रोग शिशु को हो सकते हैं और एक पनपते शरीर में नर्वस सिस्टम को लेड बुरी तरह प्रभावित कर सकता है.
कैडमियम : यह बहुत ही खतरनाक और ज़हरीली धातु है. इसके सेवन से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के साथ ही, कार्डियोवैस्कुलर, गुर्दे, आंत, न्यूरोलॉजिकल, प्रजनन और सांस संबंधी गंभीर रोग हो सकते हैं.
आर्सेनिक : त्वचा के कैंसर का खतरा. इसके अलावा, इस धातु के लगातार एक्सपोज़र से फेफड़ों और ब्लैडर के कैंसर का खतरा होता है. पीने या सिंचाई के दूषित पानी में भी यह खतरनाक धातु अगर हो तो कैंसर का कारण बनती है.
जी हां, आप सही समझ रहे हैं. कोविड 19 जैसे रोगों से लड़ने के लिए एक तरफ आपको इम्यूनिटी बढ़ाना है और दूसरी तरफ, आप जो खा रहे हैं, उनकी वजह से आपके शरीर के उन अंगों के गंभीर रूप से खतरे में होने के अंदेशे हैं, जिनके रोग कोविड 19 की स्थिति को बेहद संवेदनशील बना देते हैं.

कीटनाशक का छिड़काव करता किसान.
क्या आपके पास बचने का कोई रास्ता है?
इस ज़हर की चपेट में आकर गंभीर रोगों के शिकार होने का जोखिम तो है, लेकिन क्या इससे बचने का कोई रास्ता है? एक तो यह है कि आप ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल करें. अब यह उपाय तो केवल अमीरों के लिए है क्योंकि एक तो ऑर्गेनिक आसानी से उपलब्ध भी नहीं है, दूसरे है तो महंगा है. दूसरा तरीका यह है कि आप थोड़ी मेहनत करें और रोज़मर्रा की कुछ सब्ज़ियां अपने घर या आसपास ही उगाएं.
तीसरा उपाय यह है कि आप बाज़ार से सब्ज़ियां लाएं तो उन्हें अच्छे से धोकर और जहां तक संभव हो, उबालकर इस्तेमाल करें क्योंकि कई मामलों में सब्ज़ियां उगने और आप तक पहुंचने के बीच भी दूषित होती हैं. नमक के पानी में थोड़ी देर सब्ज़ियां डालकर छोड़ देने से भी कई तरह के प्रदूषण दूर हो सकते हैं.
क्या सरकार की कोई ज़िम्मेदारी है?
जी हां. अव्वल तो सरकार को नदियों के प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए कड़े प्रावधान करने होंगे. दूसरे, दूषित जलस्रोतों के आसपास खाद्य पदार्थों की पैदावार व उत्पादन को प्रतिबंधित करना होगा. तीसरे किसानों को कीटनाशकों के इस्तेमाल से छुटकारा दिलाने के लिए न केवल प्रोत्साहित बल्कि व्यावहारिक हल देने होंगे. भूलिए मत, खाद्य सुरक्षा संबंधी कानूनों और नियमों के तहत सेहतमंद, सुरक्षित और सरलता से भोजन उपलब्ध कराना सरकार की ज़िम्मेदारी है.