कम्प्यूटर बाबा हमेशा सुर्खियों में रहते हैं.
कभी शिवराज सरकार के खास रहे कम्प्यूटर बाबा (Computer Baba) बाद में कांग्रेस (Congress) से आ मिले थे.कमलनाथ सरकार में वो नर्मदा क्षिप्रा न्यास के अध्यक्ष बनाए गए.
लोकतंत्र बचाने निकले कम्प्यूटर बाबा
लोकतंत्र बचाओ यात्रा लेकर निकले कंप्यूटर बाबा का काफिला अब ग्वालियर पहुंच चुका है. उन्होंने यहां प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार के खिलाफ दगाबाजी करने वाले 25 बीजेपी प्रत्याशियों को हराने के लिए वह निकले हैं. उनकी इस यात्रा को कामयाबी मिल रही है. लोकतंत्र बचाने की फिक्र में निकले कंप्यूटर बाबा कबड्डी के अखाड़े में उतर गए. कम्प्यूटर बाबा और उनके साथ आए करीब दो दर्जन संतों ने दो टीमें बनाईं और फिर शुरू हुआ कबड्डी मुकाबला. कम्प्यूटर बाबा ने पहली सर्विस की और उसके बाद फिर उनके चेले एक दूसरे की टीमों के खिलाफ कबड्डी-कबड्डी करते नजर आए. बाबा के चेले कभी मात खाते तो कभी विपक्षियों को आउट करते.
अखाड़े में सियासी दांवपेंचकम्प्यूटर बाबा का कहना है राजनीति का खेल भी कबड्डी के अखाड़े की तरह ही है.यहां दांवपेंच जरूरी है. हम सिंधिया समर्थक 25 विधायकों को हराने के लिए दांव पेंच तैयार कर रहे हैं और यही वजह है कि हम कबड्डी खेलते हैं. कबड्डी में नए नए दांव आजमाते हैं ताकि हम चुनाव में उम्मीदवारों के जरिए सिंधिया समर्थक 25 बीजेपी प्रत्याशियों को हरा सकें.
बाबा नाराज़ हैं
कभी शिवराज सरकार में खास रहे बाबा बाद में कांग्रेस से आ मिले थे.कमलनाथ सरकार में वो नर्मदा क्षिप्रा न्यास के अध्यक्ष बनाए गए. लेकिन बाद में कमलनाथ सरकार ही गिर गयी. इससे कम्प्यूटर बाबा नाराज़ हैं. यही वजह है कि वो अपने साथी संतों के साथ उन 25 विधानसभा सीटों पर लोकतंत्र बचाओ यात्रा निकाल रहे हैं जिनमें सिंधिया समर्थक पूर्व विधायकों के विधान सभा क्षेत्र भी शामिल हैं.