The hospital stopped the body of the young man after the intervention of the collector got the family | बिल के लिए अस्पताल ने रोका युवक का शव कलेक्टर के हस्तक्षेप के बाद परिजनों को मिला

The hospital stopped the body of the young man after the intervention of the collector got the family | बिल के लिए अस्पताल ने रोका युवक का शव कलेक्टर के हस्तक्षेप के बाद परिजनों को मिला


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जबलपुर4 घंटे पहले

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  • महाकाैशल हॉस्पिटल की कैथलैब का मामला, प्रबंधन ने कहा- शव को नहीं रोका

रविवार को राइट टाउन स्थित महाकौशल हॉस्पिटल की माई हार्ट कैथलैब में एक 22 वर्षीय मरीज की मौत होने के बाद बिल के लिए शव को रोकने का मामला सामने आया। गाेराबाजार निवासी उक्त मरीज को 9 अक्टूबर को यहाँ भर्ती कराया गया था, रविवार को उपचार के दौरान मौत होेने के बाद परिजनाें को 72 हजार का बिल थमाया गया। परिजनों ने इतने पैसे नहीं होने की बात की तो उक्त बिल में 12 हजार का डिस्काउंट किया गया। इतनी राशि जमा करने के बाद ही शव दिए जाने की बात होने पर परिजनों द्वारा इसकी शिकायत कलेक्टर, सीएमएचओ को की गई। कलेक्टर कर्मवीर शर्मा के हस्तक्षेप के बाद उक्त बिल 25000 रुपए किया गया, जिसे जमा करने के बाद ही परिजनों को शव मिल सका।

जानकारी के अनुसार गोराबाजार क्षेत्र का रहने वाले 22 वर्षीय अर्जुन चौधरी को पैर में तकलीफ होने पर यहाँ भर्ती किया गया था। डॉक्टर्स के अनुसार उसके पैर की नसें ब्लॉक थीं। पैर की एंजियोग्राफी कर नसों को खोलने का इलाज शुरू हुआ। दूसरे दिन फिर एंजियोग्राफी की गई थी। मरीज को खून पतला करने के साथ ही अन्य दवाएँ दी जा रही थीं। रविवार को उसकी मौत होने का कारण कार्डियक अरेस्ट माना जा रहा है।

72 हजार का बना बिल

मरीज को जब भर्ती किया गया था तो डिपॉजिट जमा नहीं किया गया था, मौत के बाद दो दिन के इलाज का बिल 72775 रुपए का बना। परिजनों का कहना था कि उन्हें उक्त राशि जमा करने के बाद ही शव सौंपने की बात की गई तो इसकी शिकायत कलेक्टर, क्षेत्रीय विधायक अशोक रोहाणी को दी गई। इतनी राशि न होने की बात पर प्रबंधन ने बिल को घटाकर 60 हजार किया गया, लेकिन वह भी परिजनों के लिए काफी था। तमाम कोशिशों के बावजूद परिजन यह रकम जुटा नहीं पाए। दूसरी तरफ कलेक्टर, सीएमएचओ के निर्देश पर एक स्वास्थ्य अधिकारी को अस्पताल भेजा गया, उसके बाद 25 हजार रुपए जमा कर शव परिजनों को सौंपा गया।

शव रोकने की बात गलत: प्रबंधन

कैथ लैब के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी अंकित चौधरी का कहना था कि शव रोका नहीं गया था। एडमिशन के समय कोई डिपॉजिट नहीं लिया, परिजनों ने उस समय जल्द व्यवस्था करने की बात की थी तो उपचार को प्राथमिकता दी गई। परिजनों को कोई शिकायत नहीं थी किसी अन्य ने शव रोकने की शिकायत कलेक्टर को की। बिल में डिस्काउंट कर दिया गया है, स्वास्थ्य विभाग से आए अधिकारी के सामने ही शिकायत का निराकरण कर दिया गया।

शिकायत यही आई थी कि बिल जमा नहीं होने के कारण शव रोका गया है, अस्पताल प्रबंधन को इसके बारे में साफ किया गया कि वे किसी भी सूरत में शव नहीं रोक सकते हैं। बिल नहीं मिलने पर एफआईआर करा सकते हैं। परिजनों व अस्पताल प्रबंधन की सहमति से यह मामला सुलझ गया।
– डॉ. रत्नेश कुररिया, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी



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