There is no distinction between caste and wealth among 50 artists | 50 कलाकारों में न जात-पात का भेद और न अमीरी-गरीबी का फासला

There is no distinction between caste and wealth among 50 artists | 50 कलाकारों में न जात-पात का भेद और न अमीरी-गरीबी का फासला


ग्वालियर21 घंटे पहले

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देश में जातीय हिंसा व कटुता की खबरों के बीच मुरार में दशहरे से होने जा रही 110 साल पुरानी रामलीला सौहार्द्र और सामाजिक समरसता की मिसाल बनकर उभरी है। रामलीला में किरदार निभाने वाले 50 कलाकारों के बीच न जात-पात का भेद है और न अमीरी-गरीबी का फासला।

जबकि दलित, पिछड़ा से लेकर सवर्ण तक इसमें मुख्य पात्र बनते हैं। कलाकारों में सरकारी नौकरी करने वाले, व्यापारी, डॉक्टर और छात्र तक शामिल हैं। ये लोग अपनी नौकरी, व्यवसाय और पढ़ाई के बाद रिहर्सल करते हैं।

शिक्षक सुग्रीव बनते हैं तो डॉक्टर नारद के किरदार में रहते हैं। एसएएफ के जवान मेघनाथ बनतेे हैं। कोरोनाकाल में भी न कलाकारों ने रामलीला करने का निर्णय लिया है। छत्री मैदान की रामलीला स्थगित की जा चुकी है।

नारद…दिन में पशु चिकित्सालय में नौकरी और शाम को करता हूं रिहर्सल

मैं 21 साल से मुरार की रामलीला से जुड़ा हुआ हूंं। मुझे बचपन से ही रामलीला का शौक रहा है। वर्तमान में थाटीपुर स्थित पशु चिकित्सालय में पदस्थ हूं। दिन में यहां पर अपना काम पूरा करने के बाद शाम को रामलीला की रिहर्सल करने व अपना किरदार निभाने के लिए पहुंचता हूं।-डॉ. शिवदत्त शर्मा, वेटनरी डॉक्टर

सुुग्रीव…लगाव ऐसा हो गया है कि कहीं भी रहूं, यहां पहुंच ही जाता हूं

25 साल से मुरार रामलीला से जुड़ा हुआ हूं। स्कूल और शिक्षा विभाग से संबंधित कामों को पूरा करने के बाद रामलीला के लिए आता हूं। इस रामलीला से जुड़ाव ऐसा हो गया है कि कहीं भी रहूं, कुछ भी करुं, लेकिन यहां आने से चूकता नहीं हूं।-निरंजन सिंह गुर्जर, शिक्षक, बीआरसी कार्यालय मुरार

मेघनाथ…मुझ पर रामजी की कृपा है इसलिए रामलीला का हिस्सा हूंं

मुझे बचपन से ही रामलीला का शौक रहा है। काफी समय से मुरार की रामलीला से जुड़ा हुआ हूं। नौकरी पूरी करने के बाद समय निकालकर शौक पूरा करता हूं। यह रामजी की कृपा है कि मैं उनकी लीला का हिस्सा बना हूं। रामलीला में मैं मेघनाथ और बाली का किरदार करता हूूं। -दयासागर शर्मा, आरक्षक, एसएएफ



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