हाथरस केस: नकली भाभी को कॉलेज से मिला क्लीन चिट, ‘इससे पहले भी बनी थी कथित मौसी’ | jabalpur – News in Hindi

हाथरस केस: नकली भाभी को कॉलेज से मिला क्लीन चिट, ‘इससे पहले भी बनी थी कथित मौसी’ | jabalpur – News in Hindi


इसके साथ ही साथ डिंडोरी में पदस्थ रहने के दौरान भी उनकी उपस्थिति न होने पर उन पर की गई कार्रवाई का भी उन्होंने हवाला दिया था. (फाइल फोटो)

पूरे मामले में अस्पताल के डीन डॉ. प्रदीप प्रसाद (Dean Dr. Pradeep Prasad) ने यू-टर्न ले लिया है. उनके मुताबिक, फिलहाल मेडिकल अस्पताल की ओर से नकली भाभी डॉ. राजकुमारी बंसल को कोई भी शो कॉज नोटिस जारी नहीं होगा.

जबलपुर. हाथरस केस (Hathras case) में जबलपुर की ‘नकली भाभी’ का कनेक्शन सामने आने के बाद कहा जा रहा था कि सोमवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज (Netaji Subhash Chandra Bose Medical College) के प्रशासन उनके खिलाफ शो कॉज नोटिस (Show Cause Notice) जारी कर सकता है. लेकिन पूरे मामले में अस्पताल के डीन डॉ. प्रदीप प्रसाद (Dean Dr. Pradeep Prasad) ने यू-टर्न ले लिया है. उनके मुताबिक, फिलहाल मेडिकल अस्पताल की ओर से नकली भाभी डॉ. राजकुमारी बंसल को कोई भी शो कॉज नोटिस जारी नहीं होगा. अगर शासन स्तर पर कोई आदेश आता हैं तो उन पर कार्रवाई या फिर शो कॉज नोटिस जारी किया जा सकता है.

यह वही डॉक्टर प्रदीप कसार हैं जो अब तक वर्किंग डे होने यानि सोमवार को नोटिस जारी करने की बात कह रहे थे. लेकिन अब उनके सुर बदल गए हैं. गौरतलब है कि बीते 2 दिनों से डॉ. राजकुमारी बंसल का नाम हाथरस मामले में सामने आने के बाद से लगातार नए- नए खुलासे भी हो रहे हैं. पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट के एक अधिवक्ता द्वारा कल सोशल मीडिया पर आकर डॉक्टर बंसल पर कई गंभीर आरोप लगाए गए थे. और 2018 के आगरा में घटित हुए संजलि हत्याकांड में भी उनकी भूमिका मौसी के रूप में होने की बात कही गई थी.

की गई कार्रवाई का भी उन्होंने हवाला दिया था
इसके साथ ही साथ डिंडोरी में पदस्थ रहने के दौरान भी उनकी उपस्थिति न होने पर उन पर की गई कार्रवाई का भी उन्होंने हवाला दिया था. महिला चिकित्सक के आचरण पर जब मेडिकल अस्पताल के डीन प्रदीप कसार से सवाल पूछा गया तो उनका कहना था कि अब तक उनका आचरण ठीक रहा है और जो भी काम उन्हें संपादित किया गया उन्होंने उसका पूरा पालन किया. बहरहाल व्यक्तिगत तौर पर उन्होंने शाम को डॉक्टर बंसल को तलब किया है. खास बात यह भी है कि अब तक यूपी एसआईटी का कोई अधिकारी या जांच दल जबलपुर नहीं पहुंचा है और न ही मेडिकल अस्पताल से फिलहाल कोई पूछताछ की गई है.





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