The building was sanctioned for 13.36 lakhs, 6.50 lakh rupees remained in the account of the panchayat for 5 years, now primary schools are being built | 13.36 लाख में स्वीकृत हुआ था भवन, 6.50 लाख रुपए 5 साल तक पंचायत के खाते में रहा, अब बनवा रहे प्राथमिक स्कूल

The building was sanctioned for 13.36 lakhs, 6.50 lakh rupees remained in the account of the panchayat for 5 years, now primary schools are being built | 13.36 लाख में स्वीकृत हुआ था भवन, 6.50 लाख रुपए 5 साल तक पंचायत के खाते में रहा, अब बनवा रहे प्राथमिक स्कूल


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खट्‌टाली2 घंटे पहले

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  • ग्राम चमार बेगड़ा के बामनिया फलिया में किराए के कच्चे मकान में लगता था स्कूल, भास्कर ने उठाया था मुद्दा

ग्राम चमार बेगड़ा के बामनिया फलिए में अब तक कोई स्कूल भवन नहीं है। सालों से यहां बच्चे किराए के कच्चे मकान में बैठकर पढ़ते आ रहे थे। वहीं ग्रामीण लंबे समय से मांग करते आ रहे थे कि गांव में स्कूल भवन बनवाया जाया। जिससे उनके बच्चों को सुविधा मिल सके। क्योंकि कच्चे मकान में बारिश में बच्चों को काफी परेशानी होती थी। लंबी समय की मांग के बाद शासन से गांव के लिए एक प्राथमिक विद्यालय की स्वीकृति मिली। जिसके लिए 13.36 लाख स्वीकृत किए गए। 2015 में इसमें 6.50 लाख रुपए की राशि पंचायत के खाते में डाल भी दी गई। लेकिन जिम्मेदारों ने स्कूल का निर्माण कार्य शुरू कराना जरूरी नहीं समझा। करीब 5 साल तक ये राशि पंचायत के खाते में ही पड़ी रही। इस संबंध में भास्कर ने नवंबर 2019 में प्रमुखता से खबर प्रकाशित की। जिसके बाद ग्रामीणों ने स्कूल भवन के लिए पुरजोर तरीके से आवाज उठाई। क्षेत्रीय विधायक कलावती भूरिया के दौरे के दौरान ग्रामीणों ने उन्हें समस्या बताई और बताया कि पंचायत के खाते में राशि है और स्कूल भवन का निर्माण नहीं कराया जा रहा है।

संज्ञान के बाद अब हुआ स्कूल का 90% काम
विधायक के संज्ञान लेने के बाद तत्कालीन बीईओ नवीन श्रीवास्तव, बीआरसी प्रवीण प्रजापत, जनपद पंचायत के तात्कालीन सीईओ इंदरसिंह पटेल ने मौके पर पहुंचकर स्कूल के लिए तत्काल लाइन डलवाकर सचिव चंदरसिंह जमरा एवं सरपंच राधुसिंह कनेश को निर्देशित किया कि स्कूल का काम शुरू कराया जाया। इसके बाद स्कूल का काम शुरू हुआ और अब स्कूल तकरीबन बनने को है। सचिव का कहना है कि स्कूल का काम 90 प्रतिशत तक हो चुका है। अगले 15 दिनों में स्कूल बनकर तैयार हो जाएगा।

कोरोना के लॉकडाउन में बंद पड़ गया था काम
नवंबर 2019 में भवन का कार्य प्रारंभ कर दिया गया था। मार्च, अप्रैल, मई 2020 में कोरोना महामारी के कारण लगे लॉकडाउन में स्कूल का काम फिर से बंद पड़ गया था। इसके बाद जून, जुलाई, अगस्त व सितंबर तक कार्य में प्रगति आई। सचिव जमरा ने बताया कि अक्टूबर अंत तक भवन बनकर तैयार हो जाएगा। जहां कक्षा पहली से लेकर पांचवीं तक लगभग 75 छात्र-छात्राएं बैठकर अध्ययन कर सकेेंगे।

ग्रामीण बोले- ऐसे कई और भी फलिए जहां नहीं हैं स्कूल
ग्रामीणों ने कहा कि हमारे बच्चे सालों से स्कूल भवन के लिए तरसते रहे। बारिश में मकान से पानी टपकने के कारण छुट्टी कर दी जाती थी। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होती थी। पंचायत ने इस ओर ध्यान दिया होता ताे 2016 में स्कूल बनकर तैयार हो जाता। ग्रामीणों ने कहा कि ऐसे कई ओर भी गांव और फलिए है जहां स्कूल और आंगनवाड़ी भवन नहीं है। स्कूल नहीं खुलने से बच्चों को हमेशा परेशान ही होना पड़ेगा। ऐसे में आदिवासी बाहुल्य जिले का शिक्षा का स्तर कैसे सुधर पाएगा।

ग्रामीणों ने बताया तब मैंने तत्काल काम शुरू कराया था
ग्रामीणों ने मुझे स्कूल भवन नहीं होने की समस्या बताई थी। इस संबंध में जानकारी ली तो पता चला कि भवन के रुपए पंचायत के खाते में पड़े हैं। जिसके बाद मैंने तत्काल स्कूल का काम शुरू करवाया।
कलावती भूरिया, विधायक, जोबट



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