Angry clerks keep work of CMHO office closed due to order of Supportive Supervision | सपोर्टिव सुपरवीजन के आदेश से नाराज क्लर्कों ने सीएमएचओ ऑफिस का बंद रखा काम

Angry clerks keep work of CMHO office closed due to order of Supportive Supervision | सपोर्टिव सुपरवीजन के आदेश से नाराज क्लर्कों ने सीएमएचओ ऑफिस का बंद रखा काम


जबलपुर17 घंटे पहले

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मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का एक आदेश उनके ही कार्यालय के क्लर्कों को इतना नागवार गुुजरा कि बुधवार को उन्होंने काम का बहिष्कार किया। इतना ही नहीं कार्यालयों में ताले लगाने के बाद सीएमएचओ डॉ. रत्नेश कुररिया से तीखी बातचीत भी की। यह मामला नियमित और संविदा कर्मियों के अधिकार को लेकर है। बीते दिन सीएमएचओ द्वारा जिला समन्वयक टीबी सुनील शर्मा को कार्यालय कार्य के सपोर्टिव सुपरवीजन और माॅनीटरिंग का दायित्व सौंपा गया, कार्यालय के क्लर्क इसके विरोध में थे। उनका कहना था कि संविदा कर्मी उनकी मॉनीटरिंग कैसे कर सकता है।

सीएमएचओ असहाय- अपने कार्यालय के बेहतर संचालन के लिए सीएमएचओ ने संविदा या नियमित का भेेद न करते हुए सुनील शर्मा को कार्यालयीन काम से संबधित फाइलाें काे अभिमत के साथ उनके समक्ष प्रस्तुत करने का काम सौंपा था। इस व्यवस्था के पीछे कार्यालय में निजी स्वार्थ के लिए काम रोकने को समाप्त करने के साथ ही समय-सीमा में काम होने की मंशा थी, लेकिन यहाँ वर्षों से जमे कर्मचारी व्यवस्था में बदलाव नहीं चाहतेे। संभवत: इसी कारण संविदा और नियमित की बात कर काम बंद कर सीएमएचओ पर दबाव बनाया गया। असहाय सीएमएचओ ने विरोध को देखते हुए अपने आदेश में बदलाव कर पूर्व सीएमएचओ रेडियोलॉजिस्ट डॉ. मनीष मिश्रा को सभी स्वास्थ्य कार्यक्रमों की मॉनीटरिंग व प्रशासकीय फाइलों का काम सौंपा।

आधे से ज्यादा अटैचमेंट में- जानकारी के अनुसार सीएमएचओ आफिस में पदस्थ स्टाफ में आधे से ज्यादा की मूल पदस्थापना जिले के दूसरे स्वास्थ्य कार्यालयों में है, लेकिन ये अटैचमेंट में लंबे समय से यहाँ पदस्थ हैं।

मॉनीटरिंग की जरूरत नहीं- तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री योगेंद्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत आदि ने कहा कि वरिष्ठ व नियमित बाबुओं की मॉनीटरिंग के लिए संविदा कर्मी को नियुक्त करना गलत है। इसके लिए द्वितीय श्रेणी अधिकारी को नियुक्त किया जाना चाहिए था, ऐसी नियम विरुद्ध मानीटरिंग की जरूरत नहीं है। यह आदेश अपने ही स्टाफ पर विश्वास न करने जैसा है।



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