खरगोनएक दिन पहले
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- नई गाइडलाइन में सर्वे टीम लोगों से करेगी चर्चा, 100% कचरा संग्रहण पर पूछेंगे सवाल
अब स्वच्छता सर्वेक्षण में रैकिंग दिलाने का दारोमदार जनता पर रहेगा। स्वच्छ भारत मिशन 2021 की नई गाइडलाइन में सर्वे से जनता को और अधिक जाेड़ने के लिए डायरेक्ट आब्जर्वेशन को पूरी तरह पब्लिक फीडबैक से जोड़ दिया गया है। अब सर्वे के लिए आने वाली टीम लोगों से उनका फीडबैक लेगी। उसी के आधार पर रैंक तय होगी। टीम लोगों से यह जानेगी कि शहर धूलमुक्त, कचरामुक्त और डस्टबिन मुक्त है या नहीं। शहर में 100% डोर टू डोर कचरा कलेक्शन होता है या नहीं। रात की सफाई कमजोर पड़ी : सर्वेक्षण 2020 के सर्वे के लिए शहर में दिनभर की व्यवसायिक गतिविधियों के बाद रात में सफाई हो रही थी। सफाईकर्मियों ने तब खूब मेहनत की थी। लेकिन सफाई की यह प्रक्रिया अब नियमित नहीं चल रही है। अंदरुनी व गंदे इलाकों तक सफाई टीम नहीं पहुंच पा रही है। सर्वे टीम यदि ऐसे स्थानों पर पहुंचेगी तो सिटीजन फीडबैक में पिछड़ने के आसार हैं। ये भी है कमजोरी : शहर में जल आवर्धन व सीवरेज योना के काम चल रहे हैं। कई जगह पानी बह रहा है व कचरे के ढेर हैं। नियमित व बेहतर सफाई नहीं हो रही है। जहां से कचरे के ढेर हटाए गए वहां दोबारा कचरा जमा हो रहा है। प्रशासनिक बदलाव के कारण मॉनीटरिंग लगातार कमजोर हो रही है। स्वच्छता सर्वेक्षण में अब 1800 अंक का सिटीजन फीडबैक पिछले साल स्वच्छता सर्वेक्षण में 1278 अंक डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन के थे। जिसमें सिटीजन फीडबैक में 1275 अंक मिले थे। कुल 6000 अंकों के सर्वे में 20 फीसदी अंक इन दोनों कैटेगरी के थे। इनमें से एक-दूसरे की कैटेगरी में नंबर रिवाइज हो रहे थे, लेकिन अब सिटीजन फीडबैक के 1800 अंक है। ^सर्वेक्षण की गतिविधियां शुरू कर दी है। सर्वेक्षण में जनता के फीडबैक पर ही निर्भर होगा। सर्वे टीम गोपनीय रूप से पहुंचकर रिपोर्ट करेगी। अच्छी रैंकिंग के लिए प्रयासरत हैं। – प्रकाश चित्ते, स्वच्छता प्रभारी नपा, खरगोन
लक्ष्य : स्टार-5 का लक्ष्य लेकर करना है तैयारी
स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में खरगोन नगरपालिका देश में पहले नंबर पर रही है। सफाई के मामले में पिछले चार सालों से शहर की रैंकिंग के साथ ब्रांडिंग भी बढ़ी है। इसे बरकरार रखना होगा। इसके अलावा पिछले साल 5 स्टार के लिए तय लक्ष्य को भी पूरा करना होगा। जो कमियां पिछली बार रह गई थी, उन्हें पूरा कर मजबूत दावा पेश करना होगा। छोटे शहरों की बजाय महानगरों से स्पर्धा करना पड़ेगी। इसके लिए तैयारी भी उसी तरह की करना होगी।